Exclusive Interview: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आयुध से विशेष बातचीत में सम्राट विक्रमादित्य के जीवन, उनके आदर्शों पर आधारित भव्य नाटक ‘महानाट्य’ के बारे में चर्चा की। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य न सिर्फ उज्जैन बल्कि पूरे भारत की गौरवशाली परंपरा के प्रतीक हैं।
डॉ. यादव ने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य सुशासन, उदारता, वीरता और न्यायप्रियता के प्रतीक माने जाते हैं। उनका शासन रामराज्य की तरह आदर्श था, जिसमें नीति, चरित्र और सर्वांगीण विकास मुख्य आधार थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उज्जैन उनकी कर्मभूमि रही है और वहीं से इस महानाट्य की परिकल्पना की शुरुआत हुई थी। जब वे उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने ‘विक्रम शोध संस्थान’ की स्थापना में सहयोग किया, जो अब सम्राट विक्रमादित्य से जुड़े ऐतिहासिक प्रमाण जुटाने का काम कर रहा है।
‘महानाट्य’ के बारे में उन्होंने बताया कि यह सामान्य नाटक नहीं, बल्कि एक भव्य अनुभव है। इसमें घोड़े, हाथी, युद्ध दृश्य और साउंड के अद्भुत प्रभावों के साथ दर्शकों को विक्रमादित्य के युग में ले जाया जाता है। प्रधानमंत्री ने भी इस प्रस्तुति की सराहना की है। यह नाटक दिल्ली, हैदराबाद और अब भोपाल में प्रस्तुत किया जा रहा है, आगे इसे मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में भी ले जाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नाटक युवाओं को निडरता, सत्य और जनकल्याण के आदर्शों से प्रेरित करता है। उन्होंने विक्रमादित्य के जीवन की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि वे न्याय के लिए अपने संबंधियों पर भी दया नहीं दिखाते थे और अपराधियों को सुधारने की क्षमता रखते थे।
डॉ. यादव ने बताया कि इस नाटक में डॉक्टर, वकील, इंजीनियर और छात्र जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लोग बिना किसी पारिश्रमिक के भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भोपाल में आयोजित इस ‘महानाट्य’ को देखें और भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ें।
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