France Protest के बजाय यूरोपीय संसद ने मणिपुर के हिंसों पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए ये दिखा दिया की उनकी दोहरी नीतियाँ कैसी होती है।
फ़्रांस: भारत के मणिपुर मे हो रहे हिंसे पर यूरोपी संसद ने 13 जुलाई को एक बैठक मे प्रस्ताव पारित किया। इसमे भारतीय अधिकारियों से मणिपुर में हिंसा को रोकने और धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर ईसाइयों की रक्षा के लिए "सभी आवश्यक" उपाय करने का आह्वान करने को कहा है।
ये प्रस्ताव 5 राजनीतिक गुटों द्वारा पेश किया गया था और 705 सदस्यीय संसद में लगभग 80% विधायक उनकी हिस्सेदारी से ही है।
भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक दौरे के लिए फ्रांस पहुंचने के तुरंत बाद ही निर्धारित समय पर अन्य वोटों के साथ प्रस्ताव की प्रक्रिया हुई।
बैठक मे क्या कहा गया?
·प्रस्ताव में चिंता व्यक्त की गई कि पिछले दो महीनों में मणिपुर में जातीय हिंसा में 120 से अधिक लोग मारे गए हैं, 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं और 1,700 घर, 250 से अधिक चर्च और कई मंदिर नष्ट हो गए हैं।
·इसने राजनीतिक नेताओं से "भड़काऊ बयान बंद करने, विश्वास फिर से स्थापित करने और तनाव को सुलझाने में निष्पक्ष भूमिका निभाने" का भी आग्रह किया।
·यूरोपीय संसद ने यह भी कहा कि "जो लोग सरकार के आचरण की आलोचना करते हैं उन्हें अपराधी नहीं ठहराया जाएगा"।
·और कहा कि हिंसा "राजनीति से प्रेरित, हिंदू बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने वाली विभाजनकारी नीतियों" के साथ-साथ उग्रवादी समूहों की बढ़ती गतिविधि के कारण भड़की थी।

भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने प्रतिक्रिया व्यक्त की कि यह "अस्वीकार्य" और "औपनिवेशिक मानसिकता" का प्रतिबिंब था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा, "भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है, और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।"
“न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर भारतीय अधिकारी मणिपुर की स्थिति से अवगत हैं और शांति और सद्भाव तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठा रहे हैं। यूरोपीय संसद को सलाह दी जाएगी कि वह अपने आंतरिक मुद्दों पर अपने समय का अधिक उत्पादक ढंग से उपयोग करे, उन्होंने कहा।
France Protest 2023 की वजह?
27 जून को पेरिस के एक शहर मे एक पुलिस वाले ने ट्राफिक नियम तोड़ने पर 17 साल के नाहेल की पॉइंट ब्लैंक पर गोली मारकर हत्या कर दी थी। नाहेल अल्जीरियाई मूल से था। और उसकी माँ का दावा है की इसी वजह से उसके साथ ये बर्बरता हुई थी।

इस घटना का विरोध करने के लिए हजारों की तादाद में वहाँ के लोगों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। जो आगे बढ़ कर दंगे मे तब्दील हो गया जिसमे 29 तारीख तक, 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया गए, 24 अधिकारी घायल हो गए थे, और 40 कारों को आग लगा दी गई थी।
यह विरोध प्रदर्शन सालों से हो रहे फ़्रांस पुलिस द्वारा जातिवाद हमलों के खिलाफ था।
·1983 मे एक 19 साल के लड़के को पॉलिक ने ऐसे मारा था की वो 2 सप्ताह तक कॉम मे चला गया था।
·2005 मे फिर जैसा नाहेल के साथ हुआ ठीक वैसी ही घटना सामने आई थी।
·और एक बार 3 किशोर लड़कों को इस तरह पुलिस ने डराया था की वो उनसे छिपने के लिए ट्रैन्स्फॉर्मर मे चले गए थे। इससे उन्मे से 2 की मौत हो गई थी और 1 बुरी तरीके से घायल हो गया था।
·फ्रांस में एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण, डिफेंडर ऑफ राइट्स के अनुसार, बाकी आबादी की तुलना में काले या उत्तरी अफ्रीकी मूल के युवाओं की पुलिस द्वारा पहचान जांच किए जाने की संभावना 20 गुना अधिक है।
जून के इस प्रदर्शन को फ़्रांस के मीडिया ने “एंटी-फ़्रांस” बताया था और एमनुयाल मैक्रोन की सरकार ने अराजक दंगा करार दिया।
तब युरोपियन यूनियन ने ना कोई मीटिंग रखी और ना ही कोई प्रस्ताव पारित किया।
पश्चिमी देशों के हिसाब से भारत मे कुछ हो तो वो मानवाधिकार का उल्लंघन है और उनके देशों मे कुछ हो तो देश विरोधी गतिविधि है।
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