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Dhar : भोजशाला में हिन्दुओं के प्रवेश पर था प्रतिबंध…मुस्लिम पढ़ते हैं नमाज

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Dhar : मंगलवार (8 अप्रैल 2025) को हिन्दू समाज के लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर उत्सव मनाया। इस दौरान आतिशबाजी भी हुई। एक समय ऐसा भी था जब भोजशाला में हिन्दू समाज के लोगों को प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी।

8 अप्रैल की तारीख हिन्दू समाज के लोगों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि आज ही के दिन 8 अप्रैल 2003 को हिन्दू समाज के लोगों को फिर से इस भोजशाला में प्रवेश की अनुमति मिली थी। लगातार प्रदर्शन और संघर्ष करने के बाद 8 अप्रैल 2003 को भोजशाला का ताला खोला गया।

आज से कई सालों पहले कलेक्टर ने आदेश जारी कर हिन्दुओं के प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।

भोजशाला पर क्यों है विवाद ?

भोजशाला को लेकर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय दोनों के अपने-अपने तर्क और मान्यताएं हैं। एक तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग यहाँ नमाज पढ़ते हैं तो वहीं दूसरी तरफ हिन्दू समाज देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में याचिका लगाकर इसे स्थान को राजाभोज द्वारा स्थापित वाग्देवी का प्राचीन मंदिर बताया था।

वहीं मुस्लिम समुदाय इसे कलाम मौला मस्जिद मानते हैं। भोजशाला के धार्मिक पक्ष को समझने के लिए कोर्ट ने ASI को सर्वे का आदेश दिया है। अब ASI की रिपोर्ट पर यह तय होगा कि भोजशाला राजा भोज द्वारा स्थापित वाग्देवी का मदिर है या फिर कलाम मौला मस्जिद।

भोजशाला का इतिहास

भोजशाला का निर्माण परमारवंश के महान शासक राजा भोज के द्वारा कराया गया था। 1034 ईस्वी में भोजशाला एक महाविद्यालय हुआ करता था जहाँ छात्र अध्ययन किया करते थे। एक समय पर यह शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। राजा भोज ने यहाँ वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित करवाई थी।

भोजशाला पर हुआ था आक्रमण

1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने इस स्थान को पूरी तरह तबाह कर दिया था। मंदिर को ध्वस्त करने के बाद कई सालों तक यह जगह विरान रही। 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने इस स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवाया। महमूद शाह ने 1514 ईस्वी में मस्जिद के दूसरे हिस्से का निर्माण करवाया। इस तरह देखते ही देखते राजा भोज की भोजशाला पर मस्जिद बना दी गई।

वाग्देवी की मूर्ति कहाँ है ?

जानकारी के अनुसार 1875 में भोजशाला की खुदाई की गई थी। इस खुदाई के दौरान वाग्देवी की वह मूर्ती भी मिली जिसकी स्थापना परमार वंश के शासक राजा भोज द्वारा कराई गई थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मूर्ती को मेजर किनकेड नाम का एक अंग्रेज इंग्लैंड ले गया। लंदन के संग्रहालय में इस मूर्ती को सुरक्षित रखा है। इसे वापस लाए जाने के लिए भी कोर्ट में याचिका लगाई गई है।

ASI की रिपोर्ट को हाई कोर्ट में पेश कर दिया गया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी है। इस रिपोर्ट में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलने का खुलासा हुआ है।

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WATCH : https://youtu.be/6FtkA0J3txo?si=OzNLBJHuDbYO7GQ1

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