चीन मे स्थित डागु ग्लेशियर को पिघलने से बचाने के लिए चीन के कुछ शोधकर्ता उसपर एक ऐसी डिजाइन की हुई चादर डाल रहे है जिस से सूर्य की 50 से 70 प्रतिशत किरणें वापस आसमान मे रिफ्लेक्ट हो जाएंगी।
कई सालों से डागु के आस पास हज़ारों लोग रह रहे है जिनको इस से पानी और हाइड्रो पावर के रूप मे बिजली मिलती है। इसकी खूबसूरती देखने के लिए सालाना 2 लाख के करीब पर्यटक आते है और इस से करीबन 2000 लोगों की नौकरियां जुड़ी है। अब पृथ्वी के गर्म होने से यह सब ख़तरे में है।
तिब्बती पठार में ऐसे प्रयोग हजारों नौकरियों को संरक्षित करने में मदद कर सकता है। इसलिए ये कदम उठाए जा रहे है। इन चीनी शोधकर्ताओं का कहना है की इसे बस छोटे जगहों पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए जून मे डागु के 400sq मीटर पर ये परीक्षण के तौर पर किया गया था।
डागु ग्लेशियर से पहले कहाँ किया जा चूका है ऐसा?
ग्लेशियरों को परावर्तक सामग्री की चादरों से ढंकना कोई नया विचार नहीं है। यूरोपीय स्की रिसॉर्ट लगभग दो दशकों से अपनी बर्फ की सुरक्षा के लिए सफेद कंबल का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन चीन ने अभी इस दृष्टिकोण का प्रयोग शुरू ही किया है।
अब आगे क्या हो सकता है?
ये वैज्ञानिकों की टीम अब एक नई सामग्री का परीक्षण कर रही है जो उनके शोध से पता चलता है कि इसमें 93% से अधिक सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट करने की क्षमता है और डागु को सक्रिय रूप से गर्मी खोने में मदद मिलेगी। पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए, फिल्म सेलूलोज़ एसीटेट और पौधों से बने प्राकृतिक फाइबर से बनाई गई है। इस पदार्थ का उपयोग कम पहुंच वाले ग्लेशियरों पर ड्रोन द्वारा जमा किए गए छोटे कणों के रूप में भी किया जा सकता है।
जानकारों का कहना है की ऐसा करना ठीक वैसा ही है जैसे बेहद बुरे बीमारी से जूझ रहे मरीज़ को कुछ और वर्ष देना। एकमात्र वास्तविक इलाज है ग्रह-वार्मिंग कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में भारी कटौती करना, जिसका चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत है।
Read about: कनाडा मे खालिस्तानी पर Trudeau