Aayudh

पहले प्यार में फसाकर शादी की फिर डाला धर्म परिवर्तन का दवाब

पति पर लगाया धर्म परिवर्तन का आरोप

मध्य प्रदेश के गुना से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक युवती ने अपने पति पर धर्म परिवर्तन और अप्राकृतिक कृत्य कर प्रताड़ित करने जैसे आरोप लगाये हैं.महिला ने अंसार खान नामक युवक से प्रेम विवाह किया था , जिसके बाद अंसार दहेज़ की मांग करने लगा और धर्म परिवर्तन का दवाब डालने लगा. पति की प्रताड़ना से परेशान होकर महिला मायके आगयी और पति के खिलाफ FIR दर्ज करायी . धर्म परिवार्तन का डाला दवाब पीड़िता की शादी 2016 में अंसार खान से भोपाल कोर्ट में रजिस्टर हुई, सहदी के 2-3 साल तक सब ठीक रहा पर उसके बाद अंसार ने पत्नी के साथ मार पीट करना शुरू कर दिया.अंसार लगातार महिला पर धर्म परिवर्तन का दवाब डाल रहा था. लेकिन फिर भी महिला धर्म परिवर्तन करने को राज़ी नहीं हुई तो अंसार ने दहेज़ माँगना शुरू कर दिया. अंसारी महिला से 250000 रुपये मांग रहा था. महिला जब भी बच्चे के लिए ज़रूरतमंद चीज़ मांगती तो अंसारी वह मायके से लाने की बात कहता था.यह सब कुछ भी महिला चुप चाप सहती रही पर और साल 2022 में तो अंसार ने साड़ी हदें पार करदी ,उसने  महिला के साथ  आप्राकृतिक कृत्य करना शुरू कर दिया और महिला उसका विरोध करती तो वो मारपीट और बदसलूकी पर उतर आता था . महिला ने करायी पति पर FIR महिला की आपबीती सुनकर पुलिस के भी होश उड़ गए.महिला की बात परिवार में किसी ने नहीं सुनी,जिसके बाद महिला अपनी माँ के पास वापस आगयी.महिला करीब 5-6 महीने से अपनी माँ के पास ही है पर सामाज के डर से अभी तक उसने पति के खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज नहीं कराया था पर बहुत हिम्मत कर के आखिर महिला ने सिटी कोतवाली में पति अंसारी पर धर्म परिवर्तन और आप्राकृतिक कृत्य करने पर FIR दर्ज करा दी.पुलिस ने  पीड़िता की शिकायत के आधार पर आरोपी अंसार खान के खिलाफ ,मप्र धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 (3) , मप्र धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 (5) के तहत FIR दर्ज की है.

जनजातीय वोटर तय करेंगे मध्यप्रदेश का भविष्य, प्रधानमंत्री के शहडोल दौरे की बैकग्राउंड स्टोरी !

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मध्यप्रदेश के शहडोल के दौरे पर हैं. पहले प्रधानमंत्री का यह दौरा 27 जुलाई को होने वाला था लेकिन बारिश के कारण इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई. शहडोल जिले में 44.65% आबादी जनजातीय समुदाय की है, वहीँ पुरे मध्यप्रदेश में जनजाति आबादी 21.1% है. प्रधानमन्त्री से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा खरगोन के दौरे पर थे और गृहमंत्री का बालाघाट दौरा प्रस्तावित था. खरगोन और बालाघाट भी जनजातीय बहुल जिले हैं. ऐसे में एक बात तो साफ़ है कि मध्यप्रदेश विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा जनजातीय वोटर्स पर फोकस कर रही है. मध्यप्रदेश में जनजातीय समुदाय की बड़ी आबादी उन्हें महत्वपूर्ण बनाती है और यही कारण है कि हर राजनीतिक दल उन्हें साधने की कोशिश में लगा है. क्यूँ ख़ास हैं जनजाति ? मध्यप्रदेश में जनजातियों की संख्या आबादी की 21.1% है, 100 विधानसभा सीटों में जनजातीय आबादी 15% से ज्यादा है. मध्यप्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें जनजातीय समाज के लिए आरक्षित है और 2018 के विधानसभा चुनावों में 30 सीटें कांग्रेस के हिस्से में आयीं थी और 16 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते थे. 2023 के चुनावों में अगर मध्यप्रदेश भाजपा जनजातीय वोटर्स को साध लेती है तो जीत की संभावना कहीं ज्यादा बढ़ जाएगी. 2018 में क्यूँ मिली कांग्रेस को बढ़त ? 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जनजातीय वोटर्स को साधने के लिए कई दांव चले थे, इनमें से एक था जय युवा आदिवासी (जयस) के संस्थापक हीरालाल अलावा को मनावर विधानसभा से टिकट देना. कांग्रेस के इस कदम ने जनजातीय युवाओं के बीच एक्टिव कैडर को कांग्रेस के साथ कर दिया. इसके साथ हीं कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में जनजातीय समुदाय से 68 वादे किये थे जिनमें से एक पेसा एक्ट को लागू करना था. पुरे प्रदेश और देश में एक नैरेटिव चलाया गया कि मध्यप्रदेश में जनजातियों के साथ अत्याचार हो रहा है. जनजातियों को हिन्दू समाज से अलग बताने का प्रोपगेंडा और स्थानीय स्तर पर काम कर रहे सैंकड़ों एनजीओ का नेटवर्क भी कांग्रेस के लिए मददगार रहा. 2023 क्यूँ अलग है? सबसे पहले अगर कांग्रेस से ही शुरुवात करें तो जो हीरालाल अलावा 2018 में कांग्रेस की शक्ति बने थे उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. विधानसभा चुनावों से पहले हीं हीरालाल अलावा ने साफ़ कर दिया है कि जयस और कांग्रेस एक नहीं हैं. दूसरी तरफ अपने 15 महीने के शासन में जहाँ कांग्रेस ने जनजातीय समाज के साथ किया एक भी वादा पूरा नहीं किया, वहीँ शिवराज सरकार द्वारा जनजातीय समाज को मिलने वाली कई योजनायें बंद करवा दी. जैसे जनजातीय छात्रों को मिलने वाले स्कालरशिप, सहरिया महिलाओं को मिलने वाला पोषण भत्ता. दूसरी तरफ भाजपा लगातार जनजाति समाज के बीच काम करती रही. शिवराज सिंह चौहान ने वर्षों से हो रही पेसा एक्ट की मांग को पूरा किया. भाजपा सरकार जनजातीय समाज के गौरव और विकास के लिए दर्जनों योजनायें लेकर आई. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा की गयी और देश के पहले पीपीपी मॉडल पर बने रेलवे स्टेशन का नाम गौंड महारानी कमलापति के नाम पर रखा गया. मध्यप्रदेश की सरकार ने सिद्धू-कान्हो और तांत्या मामा जैसे जनजातीय वीरों को सम्मान दिलवाया. इसके साथ हीं जनजातीय क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज और विकास कार्यों को भी बढ़ावा दिया गया. 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद जनजातीय समुदाय के साथ हुए धोखे की परत को साफ़ कर विकास की कहानी लिखी गई. इन सभी तःयों और जनजाति समुदाय के बीच भाजपा की स्वीकार्यता को देखते हुए एक बात साफ़ लग रही है कि 2023 में भाजपा जनजातीय सीटों पर बढ़त लेकर आगे रहेगी.

मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक यज्ञ में शिवराज की आहुति

मैं मानता हूँ सरकार का काम भौतिक प्रगति करना है, विकास और जनता का कल्याण ये है. लेकिन लोगों को संतों के मार्गदर्शन में ठीक दिशा मिले ये भी सरकार का काम है. ये विचार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की है. जब प्रदेश के मुखिया की ये दृष्टि हो तो निश्चय हीं उसका प्रभाव सरकार के कामों पर दिखता है. बीते 18 वर्षो में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार ने प्रदेश के सांस्कृतिक वैभव को अद्भुत रूप से बढाने का काम किया है. मध्यप्रदेश की धरती हमेशा से भारत का सांस्कृतिक केंद्र रही है. इसी मध्यप्रदेश की भूमि में सतयुग में भगवान् ब्रह्मा ने तपस्या की, त्रेता युग में भगवान् राम 12 वर्षों तक चित्रकूट में रहे. द्वापर युग में भगवान् श्री कृष्ण ने उज्जैन में शिक्षा प्राप्त की और कलयुग में आदि गुरु शंकराचार्य ने यहाँ दीक्षा ली. आज मध्यप्रदेश के ओम्कारेश्वर के पास आदि गुरु शंकराचार्य के संदेशों की स्मृति में विशाल एकात्मता की प्रतिमा का निर्माण हो रहा है. 108 फीट ऊंची यह प्रतिमा 54 फीट ऊंचे प्लेटफार्म पर स्थापित होने वाली है. प्रतिमा के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने दो हजार करोड़ का बजट दिया और उसे तेजी से पूरा भी करवाया. सिर्फ प्रतिमा बना कर छोड़ दिया ऐसा नहीं है. प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने पुरे देश में घूम घूम कर आचार्य शंकर के संदेशों का प्रसार किया. मध्यप्रदेश की सरकार एकमात्र ऐसी सरकार है जो वृद्धों को हवाई जहाँ से तीर्थ दर्शन करवाती है और युवाओं को एकात्म का पाठ भी पढ़ाती है. ये सरकार का संस्कृति और समाज से लागाव हीं तो है कि अपने शासन काल में भाजपा सरकार ने हजारों नहीं बल्कि लाखों वृद्धों को सरकारी सहयोग से तीर्थों का दर्शन करवाया. आप भोपाल समेत प्रदेश के किसी भी बड़े शहर में निकल जाएँ, जो दीवारें कभी धुल और पान के पीक से ढंकी मिलती थी वो आज भारतीय संस्कृति और कला के अद्भुत नमूनों से ढंकी हुई है. कहीं जनजातीय समुदाय के पारंपरिक चित्र बने हैं तो कहीं पौराणिक कथाओं और शिक्षाओं को दर्शाते जीवंत भित्तिचित्र. कितनी खुबसूरत बात है आप खुद सोचिये की अगर आज कोई बालक मध्यप्रदेश के शहरों में घुमने भर निकल जाए और अपने आस पास ध्यान से देखे तो वो अपने साथ वो वेदज्ञान लेकर आएगा जिसके लिए ऋषियों-मुनियों ने अपना जीवन खपा दिया. मुख्यमंत्री अपने भाषणों में अक्सर कहते हैं कि भौतिकता की दगदग अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को संस्कार और अध्यात्म का पाठ भारत ही पढ़ा सकता है. हमारी अर्तव्यवस्था लगतार मजबूत हो रही है, आज भारत विश्व का सर्वाधिक युवा और जनसँख्या वाला देश है. ऐसे में निश्चय हीं भारत आगे बढ़कर विश्व के विकास की बागडोर को संभालेगा, और इसमें कोई संदेह नहीं उस समय भारत का दिशा हमारी संस्कृति देगी, हमारे संस्कार देंगे. मध्यप्रदेश की सरकार ने सांस्कृतिक वैभव को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अनेक ऐसे कदम उठाये हैं जिन्हें आप गिनने बैठो तो आप गिनती भूल जाओगे. इसी सरकार के मार्गदर्शन में भोपाल का जनजातीय संग्राहलय बना, जो आज के समय में देश का एकमात्र ऐसा केंद्र है जहाँ आप एक छत के निचे जनजातीय समाज की कला, संस्कृति, नृत्य, गायन, खान-पान सबको समझ सकते हो. इसी सरकार ने भारत भवन को एक ऐसे सांस्कृतिक केंद्र की तरह विकसित किया कि आज देश भर के कलाकार यहाँ आना अपना सौभाग्य समझते हैं. यहाँ के भूरी बाई जैसे कलाकारों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. त्रिवेणी संग्राहलय जैसा अद्भुत केंद्र, जहाँ जाकर आप सम्पूर्ण श्रृष्टि के ज्ञान और जान सकते हैं, इसी सरकार ने बनवाया. अब सांस्कृतिक वैभव की बात करें और महाकाल की नगरी उज्जैन में बने महाकाल लोक का जिक्र न हो ये तो संभव नहीं है. शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक ऐसा वैभवशाली महाकाल लोक बना जिसके उद्घाटन पर स्वय प्रधानमंत्री उसके वैभव को देखकर भावविभोर हो गए. जिसके दर्शन के लिए देश हीं नहीं बल्कि दुनिया भर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुँचने लगे हैं. शिवराज सरकार से पहले किसी ने इसका ख्याल भी नहीं लाया होगा कि महाकाल के उज्जैन को इतना भव्य रूप भी दिया जा सकता है. अब तो जल्द हीं सलकनपुर लोक और भव्य राम वन पथ गमन क्षेत्र का भी निर्माण होने वाला है. पुरे विश्व ने देखा की किस तरह 2016 में शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने अद्भुत, दिव्य सिंहस्थ कुम्भ का आयोजन किया. देश और दुनिया से 7.5 करोड़ श्रद्धालु इस अद्भुत आयोजन में शामिल हुए और मजाल हो कि किसी को थोड़ी भी परेशानी आई हो. पुरे उज्जैन को दुल्हन की तरह सजा दिया गया, विक्रमादित्य के वैभव और महाकाल की महिमा को इतने खुबसूरत तरीके से चित्रित किया गया कि भूतो न भविष्यति. अपने सम्पूर्ण शासन काल में जिस तरह शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक वैभव को निखारने का काम किया है, वो कोई आध्यात्मिक व्यक्ति हीं कर सकता है. मुख्यमंत्री के भाषण आज भी संस्कृत के खुबसूरत और ओजपूर्ण श्लोकों से भरे होते हैं. उनकी ललाट पर चमकता तेज शायद इश्वर का आशीर्वाद है जो उन्हें इस सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना की लिए मिला है.