Aayudh

“Rahul Gandhi जी तेलंगाना में हमारे जंगल काटना बंद करें”, BJP नेता ने लगवाए होर्डिंग

Rahul Gandhi

Rahul Gandhi Hoarding War : हैदराबाद में काटे जा रहे पेड़ों की चीख देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गई है। दरअसल 30 मार्च को तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से सटे 400 एकड़ में फैले जंगलों को काटने के लिए वहाँ बुलडोज़र तैनात किये। हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों और शहर के पर्यावरण संरक्षकों ने इसका विरोध किया। विरोध की यह लहर अब केवल हैदराबाद तक सिमित नहीं है, राजधानी दिल्ली में BJP ने होर्डिंग लगाकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पेड़ों के काटे जाने पर रोक लगा दी है। क्या है पूरा मामला ? राष्ट्रीय राजधानी में BJP के नेता तजिंदर सिंह बग्गा ने होर्डिंग लगाकर Rahul Gandhi से तेलंगाना में काटे जा रहे पेड़ों को रोकने की मांग की है। होर्डिंग पर लिखा है – राहुल गांधी जी कृपया तेलंगाना में हमारे जंगलों को काटना बंद करें। राज्य सरकार का कहना है कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से सटे 400 एकड़ की जमीन सरकार की है। सरकार ने इस जमीन को तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉपरेशन को आवंटित किया है ताकि वहां विकास किया जा सके। 30 मार्च को पेड़ों की कटाई करने के लिए बुलडोज़र तैनात किये गए, जिसके बाद हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों और पर्यावरणविदों ने विरोध शुरू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला छात्रों और पर्यावरणविदों के विरोध प्रदर्शन के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष आया। पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को कांचा गाचीबाउली जंगल में संबंधित जगह का दौरा करने और अंतरिम रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्य सचिव को भी निर्देश दिए हैं कि अगले आदेश तक कांचा गाचीबाउली जंगल में कोई पेड़ नहीं काटा जाए। पुलिस ने छात्रों को डंडों से पीटा विपक्षी पार्टी BRS ने आरोप लगाया है कि जमीन को समतल करने के लिए दर्जनों बुलडोज़र लाये गए थे। इस दौरान पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों को भी डंडों से पीटा। करीब 200 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। हालांकि इस मामले में पुलिस का कहना है कि सरकारी काम में बाधा उत्पन करने वाले 53 छात्रों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस का कहना है कि कुछ छात्रों ने उनपर हमला भी किया था। जिन छात्रों ने हमला किया था उनपर केस भी किया जाएगा। ALSO READ : Waqf Amendment Bill को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतेज़ार, होंगे बड़े बदलाव WATCH : https://youtu.be/n1Gjb3c-w-c?si=jx3OKR72zPL3C2yD

पश्चिम बंगाल में ममता दीदी को लगा बड़ा झटका, HC ने दी अनुमति

HC

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में रामनवमी का पर्व हमेशा से उत्साह का प्रतिक रहा है। 4 अप्रैल 2025 को कलकत्ता हाई कोर्ट (HC) ने हावड़ा में शोभायात्रा निकालने की अनुमति दे दी है, जिसने ममता बनर्जी की सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले से हिन्दू समाज के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। HC ने दी इजाजत, पुलिस ने किया था इंकार कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हिंदू संगठनों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हावड़ा में रामनवमी शोभायात्रा को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी। कोर्ट के इस फैसले के अनुसार, शोभायात्रा 6 अप्रैल 2025 को सुबह 8:30 बजे शुरू होगी और निर्धारित समय के भीतर समाप्त होगी। इसके लिए पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी वाहनों को तैनात करने का निर्देश दिया गया है। यह निर्णय तब आया जब हावड़ा पुलिस ने पुरानी घटनाओं का हवाला देते हुए इस आयोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। पुलिस का कहना था कि पिछले वर्षों में इस तरह के आयोजनों के दौरान सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं हुई थीं, जिसके कारण सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई थीं। हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाई। हथियार पर लगा प्रतिबन्ध हावड़ा में होने वाली इस शोभायात्रा का आयोजन अनजनी पुत्र सेना और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों के द्वारा किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार यह शोभायात्रा नरसिंह मंदिर से शुरू होकर जीटी रोड के रास्ते हावड़ा मैदान तक जाएगी। कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि इस दौरान कोई हथियार नहीं ले जाएगा, हालांकि झंडे और प्लास्टिक की गदाएं ले जाने की अनुमति दी गई है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, पुलिस ड्रोन और CCTV के जरिए इसकी निगरानी करेगी ताकि किसी भी तरह की सांप्रदायिक घटना को होने से रोका जा सके। भाजपा ने लगाए आरोप इस फैसले को ममता बनर्जी सरकार के लिए एक झटके के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही रामनवमी के अवसर पर शांति बनाए रखने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि वह किसी भी धार्मिक आयोजन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जाना चाहिए। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस फैसले को अपनी जीत के रूप में पेश किया है। भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने इसे “आस्था की जीत” करार देते हुए ममता सरकार पर धार्मिक अधिकारों को दबाने का आरोप लगाया। ALSO READ : America Imposes Tarrif : भारत समेत 180 देशों पर लगा टैरिफ WATCH : https://youtu.be/5MMI2QghmJE?si=T0vhgQZb–aBAeVB

America Imposes Tarrif : भारत समेत 180 देशों पर लगा टैरिफ

America

America Imposes Tarrif : अमेरिका ने भारत सहित कई देशों पर पारस्परिक शुल्क (reciprocal tariffs) लगाने की घोषणा की है। इस नीति के तहत भारत पर 26% का शुल्क लगाया गया है, अमेरिका का दावा है कि यह भारत द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए 52% शुल्क का आधा है। इसके अलावा, यूरोप, एशिया और अन्य क्षेत्रों के कई देश भी इस शुल्क के दायरे में आए हैं। America Imposes Tarrif : भारत पर क्या होगा असर ? अमेरिका ने भारत पर 26% का पारस्परिक शुल्क लगाया है, जिसे 5 अप्रैल से 10% की आधार दर के साथ शुरू किया जाएगा और 9 अप्रैल से पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। यह शुल्क भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है, हालांकि फार्मा सेक्टर को इससे छूट दी गई है। ट्रम्प ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना “अच्छा मित्र” बताया, लेकिन यह भी कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार में “कठोर” रवैया अपनाता है। उनके अनुसार, यह शुल्क उन देशों के खिलाफ “दयालु” जवाबी कार्रवाई है जो अमेरिकी वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के आईटी और फार्मा क्षेत्र बड़े पैमाने पर प्रभावित नहीं होंगे, लेकिन अन्य क्षेत्रों में चुनौतियां बढ़ सकती हैं। Trump ने Penguins पर लगाए टैरिफ यह शुल्क नीति केवल भारत तक सीमित नहीं है। यूरोपीय यूनियन (EU) पर 20%, चीन पर 34%, और जापान पर 24% का शुल्क लगाया गया है। छोटे देशों में लेसोथो जैसे अफ्रीकी देश को सबसे अधिक 50% शुल्क का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा, एक हैरान करने वाली खबर यह है कि अमेरिका ने अंटार्कटिक क्षेत्र के हर्ड आइलैंड और मैकडोनाल्ड आइलैंड्स पर भी 10% शुल्क लगाया है। इन आइलैंड्स पर कोई भी व्यक्ति नहीं रहता है, यह केवल पेंगुइन और पक्षियों का निवास स्थान हैं, जिसके कारण अमेरिका का यह फैसला सोशल मीडिया पर चर्चा और मजाक का विषय बन गया है। अमेरिका के इस फैसले से वैश्विक बाजार में हलचल मच गई है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि EU इसके जवाब में अपनी नीतियां तैयार कर रहा है, जबकि चीन ने भी जवाबी कार्यवाही करते हुए अमेरिका पर 34% टैरिफ लगाया है। ALSO READ : PM मोदी और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात…क्या भारत करेगा स्वीकार ? WATCH : https://youtu.be/Nxw71-XItRE?si=h0RMYI46hYNK24EM

Manoj Kumar Passes Away : भारतीय सिनेमा ने खोया एक नायाब सितारा…’पाकिस्तान में हुआ था जन्म’

Manoj Kumar

Manoj Kumar Passes Away : शुक्रवार (4 अप्रैल, 2025) को भारतीय सिनेमा ने अपने एक अनमोल रत्न को खो दिया। मशहूर अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार का 87 वर्ष की आयु में मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। देशभक्ति से जुड़ी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले मनोज कुमार ने अपने अभिनय और निर्देशन से लाखों दिलों पर राज किया। उनके निधन से पूरा देश स्तब्ध है। Manoj Kumar के जीवन से जुड़ी रोचक बातें : मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई, 1937 को तत्कालीन ब्रिटिश भारत के अब्बोटाबाद (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। उनका असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी था। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया, जहां से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। बॉलीवुड में कदम रखने से पहले उन्होंने अपने नाम को हरिकृष्ण से बदलकर मनोज कुमार रख लिया। इस बदलाव के पीछे की सबसे बड़ी वजह दिलीप कुमार थे। उन्होंने जब दिलीप कुमार की फिल्म शबनम (1949) देखी तो वह उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होने दिलीप के स्क्रीन नाम मनोज कुमार को अपना लिया। Manoj Kumar : “फैशन” से “मैदान-ए-जंग” तक मनोज कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1957 में फिल्म “फैशन” से की, लेकिन उन्हें असली पहचान 1965 में रिलीज हुई फिल्म “शहीद” से मिली। इस फिल्म में उन्होंने भगत सिंह की भूमिका निभाई, जिसने दर्शकों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगा दी। इसके बाद “उपकार” (1967), “क्रांति” (1981), और “पूरब और पश्चिम” (1970) जैसी फिल्मों ने उन्हें “भारत कुमार” की उपाधि दिलाई। मनोज कुमार की फिल्में केवल मनोरंजन का साधन नही थीं, बल्कि समाज में देशप्रेम की भावना को बढ़ाने का एक जरिया थीं। “उपकार” में उनका गीत “मेरे देश की धरती” आज भी लोगों के दिलों में गूंजती है। बड़े पर्दे पर मनोज कुमार को आखिरी बार “मैदान-ए-जंग” में देखा गया था। मनोज कुमार की खासियत यह थी कि वे अपनी फिल्मों के जरिए सामाजिक संदेश देने में माहिर थे। उन्होंने न सिर्फ अभिनय किया, बल्कि कई फिल्मों का लेखन और निर्देशन भी किया। उनकी फिल्मों में देश की संस्कृति, एकता और स्वतंत्रता संग्राम की भावना को प्रमुखता से दर्शाया गया। “क्रांति” जैसी फिल्म में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को जीवंत कर दिखाया। सिनेमा में योगदान के लिए मिले पुरस्कार मनोज कुमार को सिनेमा जगत में योगदान देने के लिए कई पुरस्कार म‍िले हैं। 1992 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। उन्होंने कई फिल्मफेयर अवार्ड्स भी जीते, जिनमें उन्हें उपकार और रोटी कपड़ा और मकान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिला। मनोज कुमार को वर्ष 2015 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च सम्मान “दादा साहेब फाल्के अवार्ड” से भी सम्मानित किया गया। एक अपूरणीय क्षति मनोज कुमार का निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी फिल्में और उनकी देशभक्ति का जज्बा हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। वे भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी रचनाएं और उनका व्यक्तित्व हमेशा सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेगा। ALSO READ : Waqf Amendment Bill को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतेज़ार, होंगे बड़े बदलाव WATCH : https://youtu.be/5MMI2QghmJE?si=TdJ35nIAOzbRImd1

Waqf Amendment Bill को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतेज़ार, होंगे बड़े बदलाव

Waqf Amendment Bill

Waqf Amendment Bill Awaits for President Approval : 4 अप्रैल, 2025 को भारतीय संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह अब कानून बनने की दिशा में केवल एक कदम दूर है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद इस विधेयक को कानून बना दिया जाएगा। लोकसभा में यह विधेयक 288-232 वोटों से और राज्यसभा में 128-95 वोटों से पारित हुआ। इस विधेयक के लागू होने से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। Waqf Amendment Bill से होने वाले बदलाव डिजिटाइजेशन: वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना है। इसके तहत एक केंद्रीकृत पंजीकरण पोर्टल बनाया जाएगा, जिसमें सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड होगा। इससे संपत्तियों के दुरुपयोग और अतिक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी: इस विधेयक के तहत वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है। सरकार का कहना है कि इससे विविधता और निष्पक्षता आएगी, लेकिन कई मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला बताया है। सरकारी नियंत्रण में वृद्धि: अब जिला कलेक्टर जैसे सरकारी अधिकारी वक्फ संपत्तियों का सर्वे करेंगे। यदि कोई सरकारी संपत्ति गलत तरीके से वक्फ के रूप में दर्ज है, तो उसे वक्फ की सूची से हटाया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले कोई भी संपत्ति बिना दस्तावेज के वक्फ घोषित हो सकती थी। महिला सशक्तिकरण: विधेयक के अनुसार Waqf Board में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का प्रावधान है। इसका मकसद मुस्लिम महिलाओं, खासकर विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। आर्थिक सुधार: वक्फ संस्थानों से बोर्ड को दी जाने वाली अनिवार्य राशि 7% से घटाकर 5% कर दी गई है। साथ ही, 1 लाख रुपये से अधिक आय वाली संस्थाओं का ऑडिट राज्य द्वारा नियुक्त ऑडिटर करेंगे। Waqf Amendment Bill पर सरकार का पक्ष इस विधेयक को लेकर मुस्लिम समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। सरकार और समर्थक इसे गरीब मुस्लिमों के लिए फायदेमंद मानते हैं, क्योंकि इससे वक्फ संपत्तियों की आय बढ़ेगी, जिसका उपयोग कल्याण योजनाओं में किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के किसी भी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, बल्कि इससे करोड़ों गरीबों को लाभ होगा। Waqf सम्पतियों की कीमत जानकारी के अनुसार वक्फ संपत्तियों की कुल संख्या 872,351 है, जिनकी कीमत करीब 14.22 अरब डॉलर है। इनका बेहतर प्रबंधन निश्चित रूप से समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए लाभकारी हो सकता है। यह विधेयक अब राष्ट्रपति के पास जाएगा, और मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। वक्फ संशोधन विधेयक 2025 एक ओर पारदर्शिता और सुधार का वादा करता है, तो दूसरी ओर धार्मिक स्वायत्तता और समुदाय के अधिकारों पर सवाल भी खड़े करता है। इसका असली प्रभाव तो लागू होने के बाद ही सामने आएगा। ALSO READ : Waqf Amendment Bill Passed : 13 घंटे की चर्चा के बाद हुआ पास, PM मोदी का बयान WATCH : https://youtu.be/5MMI2QghmJE?si=nj1EB2dLP7lHx7Tq

Waqf Amendment Bill Passed : 13 घंटे की चर्चा के बाद हुआ पास, PM मोदी का बयान

Waqf Amendment Bill

Waqf Amendment Bill Passed : 4 अप्रैल 2025 को भारत की संसद ने Waqf Amendment Bill को मंजूरी दे दी, जिसे एक लंबी और तीखी बहस के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित किया गया। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के उद्देश्य से लाया गया था, जिसे लेकर सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच गहरे मतभेद देखने को मिले। इस विधेयक के पारित होने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण” करार दिया। लोकसभा में पारित: 12 घंटे की बहस Waqf Amendment Bill को सबसे पहले लोकसभा में 2 अप्रैल को पेश किया गया। इसके बाद 12 घंटे से अधिक समय तक चली बहस में सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी दलों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। NDA ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय, खासकर गरीबों और महिलाओं के लिए लाभकारी बताया, जबकि विपक्ष ने इसे “संविधान विरोधी” और “मुस्लिम विरोधी” करार दिया। बहस के बाद मतदान में विधेयक को 288 सांसदों के समर्थन से पारित कर दिया गया, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया। गृह मंत्री अमित शाह ने इस दौरान मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि यह विधेयक उनकी धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करेगा। राज्यसभा में मंजूरी: 13 घंटे की जद्दोजहद लोकसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक 3 अप्रैल को राज्यसभा में पेश किया गया। यहां भी करीब 13 घंटे तक चली बहस के बाद, शुक्रवार सुबह 4 बजे के आसपास इसे मंजूरी मिली। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि 95 सांसदों ने इसका विरोध किया। बहस के दौरान विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर अल्पसंख्यकों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया, वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे “सबका साथ, सबका विकास” के मंत्र का हिस्सा बताया। रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों को शामिल किया गया है, जिससे यह और प्रभावी बनेगा। Waqf Amendment Bill : मुख्य बिंदु वक्फ संशोधन विधेयक 2025 में कई बदलाव किये गए हैं, जैसे कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, केवल 5 साल से अधिक समय से इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्तियों को संपत्ति दान करने की अनुमति, और सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा करने पर रोक। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ प्रशासन में पारदर्शिता लाएगा और गरीब मुस्लिमों को लाभ पहुंचाएगा। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। कांग्रेस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है। लोक सभा और राज्य सभा से पास होने के बाद अब यह बिल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा। इसके लागू होने के बाद वक्फ बोर्ड के कामकाज में बड़े बदलाव की उम्मीद है। ALSO READ : Panna Viral Video : पन्ना में पत्नी ने पति को पीटा…Video देख रोंगटे हो जाएंगे WATCH : https://youtu.be/Nxw71-XItRE?si=LdPhiIUOlitIkZOM

Panna Viral Video : पन्ना में पत्नी ने पति को पीटा…Video देख रोंगटे हो जाएंगे

Panna

Panna Viral Video : मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पत्नी ने अपने पति को बुरी तरह पीटा। यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। क्या है पूरा मामला ? यह घटना पन्ना शहर के एक मोहल्ले की है, जहाँ पत्नी ने गुस्से में आकर अपने पति पर हाथ उठा दिया और उसे पीटना शुरू कर दिया। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद पीड़ित पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज की और न्याय की गुहार लगाई। Panna : कैमरे में रिकॉर्ड हुई, पूरी वारदात पीड़ित का नाम लोकेश मांझी है, जो पन्ना में रेलवे लोको पायलट के पद पर कार्यरत हैं। लोकेश ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी पत्नी लंबे समय से उनके साथ मारपीट कर रही थी। इस बार उन्होंने इस घटना को छिपे हुए कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया, जो अब उनके आरोपों का सबसे बड़ा सबूत बन गया है। वीडियो में साफ दिखाई देता है कि उनकी पत्नी उन्हें लगातार थप्पड़ मार रही है, जबकि लोकेश हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगते नजर आ रहे हैं। सोने-चांदी की मांग लोकेश ने पुलिस को बताया कि उनकी पत्नी और ससुराल वाले उनसे पैसे और सोने-चांदी की मांग करते हैं। जब वह उनकी मांग पूरी नहीं कर पाते, तो उनकी पत्नी उनके साथ मारपीट करने लग जाती हैं। इसके अलावा, उनकी पत्नी ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी, जिसके चलते लोकेश ने आखिरकार कानून का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी पत्नी की धमकियों से इतने परेशान हो गए थे कि उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा था। लोकेश ने वीडियो की फुटेज पुलिस अधीक्षक को सौंपकर जल्द से जल्द कार्रवाही की मांग की है। ALSO READ : Gujarat Blast : MP के 21 मजदूर मरे, परिवार वालों का छलका दर्द\ WATCH : https://youtu.be/oMPgVuv3FMY?si=38ogHA8ZFBEdjF7D

Gujarat Blast : MP के 21 मजदूर मरे, परिवार वालों का छलका दर्द

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Gujarat Blast : गुजरात के बनासकांठा जिले में मंगलवार (2 अप्रैल, 2025) की सुबह एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में बड़ा विस्फोट हुआ। इस हादसे में 21 लोगों की जान चली गई, जबकि छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा दीसा शहर के धुनवा रोड पर स्थित पटाखा फैक्ट्री के एक गोदाम में हुआ। विस्फोट इतना भयंकर था कि गोदाम की छत ढह गई, जिसके मलबे में कई मजदूर दब गए। मरने वालों की संख्या 21 बताई जा रही है, जिसमें अधिकांश मजदूर मध्य प्रदेश के हरदा और देवास जिले के रहने वाले थे, जो रोजगार की तलाश में गुजरात गए थे। क्या है पूरा मामला ? जानकारी के अनुसार, यह विस्फोट मंगलवार की सुबह, करीब 9 बजकर 45 मिनट पर हुआ। जांच में पता चला कि गोदाम में एक बॉयलर में विस्फोट के बाद आग लगी, जो तेजी से फैल गई। आग की लपटों ने पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। जब तक दमकल विभाग की टीम बचाव कार्य के लिए घटनास्थल पर पहुंची तब तब तक भारी नुकसान हो चुका था। बनासकांठा के कलेक्टर मिहिर प्रवीणकुमार पटेल ने बताया कि मृतकों की पहचान कर ली गई है और शवों को उनके मूल स्थान पर भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हरदा जिले के आठ मृतकों के शव उनके गांव भेजे जा रहे हैं। Gujarat Blast : MP से मजदूरों का कनेक्शन इस हादसे से मध्य प्रदेश के हरदा और देवास जिले में शोक का माहौल है। मृतक मजदूरों में से ज्यादातर गरीब परिवारों से थे, जो चार दिन पहले ही गुजरात में काम की तलाश में गए थे। गांव के निवासियों ने बताया कि ये मजदूर पटाखा फैक्ट्री में दिहाड़ी पर काम कर रहे थे। मध्य प्रदेश के मंत्री नागर सिंह चौहान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार गुजरात प्रशासन के साथ मिलकर पीड़ितों की हर संभव मदद कर रही है। पीड़ितों को मिलेगा मुआवजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी मृतकों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है। वहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने का ऐलान किया। बनासकांठा पुलिस ने गोदाम के मालिक दीपक मोहनानी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। ALSO READ : Waqf Amendment Bill : “Thankyou Modi Ji” का बैनर लिए समर्थन में उतरा भोपाल WATCH : https://youtu.be/oMPgVuv3FMY?si=38ogHA8ZFBEdjF7D

Waqf Amendment Bill : “Thankyou Modi Ji” का बैनर लिए समर्थन में उतरा भोपाल

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Waqf Amendment Bill : एक तरफ जहाँ वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का विरोध हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मुस्लिम समुदाय के लोग हाथों में गुलाब लिए PM मोदी का शुक्रिया कर रहे हैं। Waqf Amendment Bill का भोपाल में हुआ समर्थन वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का मकसद 1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव लाना है। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण को आसान बनाएगा और प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा। किरेन रिजिजू ने लोकसभा में कहा कि यह बिल किसी धार्मिक हस्तक्षेप के लिए नहीं, बल्कि संपत्ति के प्रबंधन के लिए है। भोपाल में मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग इस बिल के समर्थन में सड़कों पर उतरा। मस्जिद रेहमत आनंदपुरा के सामने लोगों ने ढोल बजाकर और “थैंक्यू मोदी जी” के पोस्टर लेकर खुशी जाहिर की। विपक्ष का विरोध विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर लोक सभा में कड़ा रुख अपनाया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इसे संविधान के खिलाफ बताया और कहा कि यह देश में शांति भंग करेगा। सपा सांसद अखिलेश यादव ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसे “काला कानून” कहकर इसका विरोध किया और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर कब्जे की कोशिश है। ALSO READ : Waqf Amendment Bill : लोक सभा में हुई तीखी बहस… WATCH : https://youtu.be/oMPgVuv3FMY?si=38ogHA8ZFBEdjF7D

Waqf Amendment Bill : लोक सभा में हुई तीखी बहस…

Waqf Amendment Bill

Waqf Amendment Bill : 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में Waqf Amendment Bill 2024 को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। इस विधेयक को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया। इस विधेयक को वक़्फ की सम्पतियों में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए लाया गया है। हालांकि, विपक्ष ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए इसका कड़ा विरोध किया, जिससे सदन में हंगामा शुरू हो गया। Waqf Amendment Bill : किरेन रिजिजू ने किया समर्थन केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह किसी धार्मिक संस्था के प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं करता है बल्कि इसका मकसद वक्फ संपत्तियों को पारदर्शी और तकनीकी रूप से बेहतर तरीके से संचालित करना है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में संसद भवन और CGO कॉम्प्लेक्स जैसी संपत्तियां भी वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की जा सकती थीं। रिजिजू ने यह भी कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने इस विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श किया, जिसमें 97.27 लाख याचिकाएं और 284 प्रतिनिधिमंडलों की राय शामिल की गई। सरकार का तर्क है कि यह विधेयक गरीब मुस्लिमों को मुख्यधारा में लाने और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए जरूरी है। विपक्ष का विरोध कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक ने इस विधेयक को संविधान के खिलाफ बताया और इसका पुरजोर विरोध किया। कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान की मूल संरचना पर हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस कानून के जरिए अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करना, समाज को बांटना और उनके अधिकारों को छीनना चाहती है। गोगोई ने यह भी कहा कि BJP शासित राज्यों में ईद के दौरान सड़कों पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई गई, जो धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस (TMC) और अन्य विपक्षी दलों ने भी इसे असंवैधानिक करार दिया। विपक्ष का कहना है कि JPC में उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया और विधेयक को जल्दबाजी में पारित करने की कोशिश की जा रही है। सत्तापक्ष का जवाब रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि कुछ लोग मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने पूछा, “अगर भारत में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं, तो मुस्लिम समुदाय गरीब क्यों है?” उन्होंने कहा कि यह विधेयक गरीब मुस्लिमों के हित में है और इसे वोट बैंक की राजनीति से जोड़ना गलत है। BJP सांसद जगदंबिका पाल, जो JPC के अध्यक्ष हैं, उन्होंने भी विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह पारदर्शिता लाने के लिए है। लोकसभा में आठ घंटे की लंबी बहस के बाद विधेयक पर मतदान की उम्मीद है। एनडीए के पास बहुमत होने के कारण इसके पारित होने की संभावना ज्यादा है। ALSO READ : Waqf Amendment Bill 2024 : लोकसभा में 2 अप्रैल को पेश होने की तैयारी WATCH : https://youtu.be/oMPgVuv3FMY?si=Egqsy7yU51vtU4oa