Aayudh

Aayudh की खबर का हुआ बड़ा असर….NHRC ने DM को दिए निर्देश

Villagers of Papada Village

रायसेन। बीते दिनों Aayudh ने एक बड़ा खुलासा किया था। इस खुलासे में बताया गया था कि कैसे हिन्दू समुदाय के नट वर्ग का धर्मांतरण करवाया जा रहा है। रायसेन जिले की गैरतगंज तहसील के पापड़ा गांव में इस अपराध को अंजाम दिया जा रहा था। इस गांव में ‘नट’ वर्ग के 30 से 40 परिवार रहते हैं। यूं तो यह वर्ग हिन्दू समाज का हिस्सा है मगर एक दूसरे समुदाय के द्वारा इन्हें कुरान और अजान की विधि बताई जा रही है। जब Aayudh की टीम ने लोगों से बात की तो उन्होंने भी खुद को हिन्दू कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वो बचपन से मुस्लिम हैं। जब Aayudh ने उनसे सरकार से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार की वो सारी सुविधाएं मिलती हैं जो एक अनुसूचित वर्ग के व्यक्ति को मिलनी चाहिए। आपको बता दें कि भारत सरकार की अधिसूचना संख्या 27 दिनांक 11.08.1950 के अनुसार, केवल वे व्यक्ति जो हिंदू से बौद्ध और सिख धर्म में परिवर्तित हुए हैं, वे ही अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं। NHRC ने उठाया बड़ा कदम Aayudh की इस रिपोर्ट का बड़ा असर देखने को मिला है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने रायसेन जिले के डीएम को नोटिस भेजकर जल्द से जल्द कार्रवाही करने का आदेश दिया है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना मानवाधिकार संरक्षण (पीएचआर) अधिनियम, 1993 के तहत मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों की जांच के लिए की गई है। Read More : MP के हिंदुओं को कुरान पढ़ाया जा रहा है , अजान सुनाई जा रही है ? Aayudh की टीम का बड़ा खुलासा Watch : https://youtu.be/7XtzFEfZ5VU?si=DNef5aSslEOs9EGm Watch More : https://www.facebook.com/share/v/15L9XepVb3/?mibextid=wwXIfr

सुप्रीम कोर्ट ने Ranveer Allahbadia को लगाई फटकार, कहा – उनके दिमाग में गंदगी भरी है

Supreme Court on Ranveer Allahbadia

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (18 फरवरी 2025) को India’s Got Latent शो से जुड़े विवाद को लेकर Ranveer Allahbadia को फटकार लगाई है। आपको बता दें की Ranveer Allahbadia के खिलाफ देशभर के अलग-अलग शहरों में शिकायत दर्ज़ की गई है। इसी को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में 16 फरवरी को एक याचिका दायर की थी। जिसमें देशभर के अलग-अलग हिस्सों में उनके खिलाफ हुए FIR को एक साथ जोड़ने की मांग की गई थी। सुनवाई में क्या हुआ ? सुनवाई की शुरुआत में Ranveer Allahbadia के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए FIR को एक साथ जोड़ने की गुहार लगाई। उन्होंने यह भी बताया कि Ranveer Allahbadia को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि आप दिए गए बयानों का बचाव कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर के दिए गए बयान पर कहा कि अगर आप फेमस हो गए हैं तो आपको कुछ भी बोलने का लाइसेंस नहीं मिल गया है। उन्होंने रणवीर के द्वारा उपयोग किए गए शब्दों की निंदा की है। Ranveer Allahbadia की जुबान काटने वाले को मिलेगा इनाम सुप्रीम कोर्ट में रणवीर इलाहाबादिया के वकील चंद्रचूड़ ने कहा कि सह-आरोपी को एसिड अटैक की धमकी दी गई है। वकील ने रणवीर को मिली धमकी का जिक्र करते हुए कहा कि “Ranveer Allahbadia की जुबान काटकर लाने वाले को मिलेगा 5 लाख का इनाम”, इसपर जस्टिस कांत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील शब्दों का उपयोग करके फेमस हो सकता है तो जिसने धमकी दी है वो भी फेमस होना चाहता होगा। उन्होंने इलाहाबादिया की सोंच को विकृत मानसिकता बताते हुए कहा कि उन्होंने जिस प्रकार के शब्दों के इस्तेमाल किया है उससे माता-पिता शर्मिंदा होंगे, बहनें शर्मिंदा होंगी और साथ ही साथ समाज भी शर्मिंदा होगा। ठाणे पुलिस में जमा करना होगा पासपोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने Ranveer Allahbadia के मामला में कहा कि उन्होंने माता-पिता की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाया है। जस्टिस कांत ने रणवीर को अपना पासपोर्ट ठाणे पुलिस में जमा करने के लिए कहा है। जस्टिस कांत ने इलाहाबादिया को न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने का आदेश दिया है। उन्होंने याचिकाकर्ता और उनके सहयोगियों को अगली सुनवाई तक अन्य शो प्रसारित करने पर रोक लगाई है। Read More : Indore में धर्मांतरण का सनसनीखेज मामला, पढ़िए Aayudh की पूरी रिपोर्ट… Watch : https://youtu.be/dYfsxLxL0Lg?si=-S8rQ44nKNBNi61W

भारत में हिन्दू से मुस्लिम बनाए गए थे लोग, इस्लाम तो अरब का धर्म है – IAS नियाज़ खान का बड़ा बयान

IAS Niyaz Khan of Madhya Pradesh

भोपाल। मध्य प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी नियाज़ खान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बीते दिनों एक पोस्ट किया। अपने पोस्ट के जरिए उन्होंने देश के मुसलमानों को सबसे पहले हिन्दुओं को भाई मानने की अपील की है। अपने आदर्शों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में सभी हिन्दू थे, उन्हें बाद में मुसलमान बनाया गया। क्या है मामला ? IAS अधिकारी नियाज़ खान ने 16 फरवरी 2025 को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा – “इस्लाम तो अरब का धर्म है। यहां तो सभी हिंदू थे। हिंदू से लोग मुस्लिम बनाए गए थे। इसलिए भले ही धर्म अलग अलग हों लहू तो एक है। सभी एक संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। अगर जो मुस्लिम अरब के लोगों को आदर्श मानते हैं वे पुनर्विचार करें। सर्वप्रथम हिंदुओं को अपना भाई माने बाद में अरब को।” इस पोस्ट में उन्होंने इस्लाम को अरब का धर्म बताते हुए कहा कि इस्लाम तो अरब का धर्म है, भारत में तो सभी हिन्दू थे। उन्होंने कहा कि हम सभी एक ही संस्कृति का हिस्सा हैं। एक निजी चैनल से बात करते हुए उन्होंने अपने पोस्ट के पीछे का जेनेटिक कारण बताया है। उन्होंने कहा कि पूरा इस्लाम अरब में था उसके बाद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल गया। भारत में सभी हिन्दू थे – IAS नियाज़ खान मलेसिया, इंडोनेशिया और भारत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन देशों में हिन्दू पहले से ही सनातन धर्म को मानते थे। इस्लाम का उद्भव सनातन से ही हुआ है। उन्होंने ने आगे कहा कि “हम जब भी जीन की जांच कराते हैं तब वो भारत से मेल करता है न कि सऊदी अरब और कुवैत से।” आईएएस अधिकारी ने मुसलमानों को नसीहत देते हुए कहा कि भले ही हमारा धर्म अलग हो लेकिन लहू तो एक ही है। Read More : Indore में धर्मांतरण का सनसनीखेज मामला, पढ़िए Aayudh की पूरी रिपोर्ट… Watch : https://youtu.be/7XtzFEfZ5VU?si=7E_p6764O5ydkoAZ

Indore में धर्मांतरण का सनसनीखेज मामला, पढ़िए Aayudh की पूरी रिपोर्ट…

PFI

Indore Conversion Case : मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला और भारत के स्वच्छ शहरों में शुमार इंदौर अब धर्मांतरण की चपेट में है।शहर से धर्मांतरण का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इंदौर के एक गार्डन में ईसाई महिलाओं द्वारा 50 बच्चों को बहला फुसलाकर ईसाई धर्म अपनाने की कोशिश की जा रही थी। जब सामाजिक संगठनों को इस बात की सूचना मिली तो उन्होंने इसका विरोध किया। क्या है पूरा मामला ? स्थानीय निवासियों के अनुसार इंदौर के संयोगितागंज इलाके में कुछ ईसाई महिलाएं मैजिक वाहन से 50 बच्चों को एक गार्डन में लेकर आईं और उनसे प्रार्थना करवाने लगीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि वो बच्चों से कह रही थीं कि यीशु ही उनके भगवान हैं, इसलिए राम और कृष्ण की पूजा करना बंद कर दो। जब स्थानीय लोगों ने सामाजिक संगठनों को इस मामले की खबर दी तो उन्होंने पुलिस के साथ मौके पर पहुँचकर कार्यक्रम रुकवा दिया। सामाजिक संगठनों की शिकायत पर पुलिस ने दो महिलाओं समेत चार लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। संयोगितागंज पुलिस थाने में नितीन गोयल की शिकायत पर शीला सबरी मैथ्यू, अशुमन, फ्रसीना नेलसन और प्रभा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आपको बता दें कि बच्चों का धर्मांतरण करवाने के लिए उन्हें कॉपी-किताबें, गिफ्ट्स और नाश्ते का लालच दिया जा रहा था। बच्चों से पूछताछ करने पर पता चला कि ये लोग उनकी स्कूल फीस का भी खर्च उठा रहे हैं। मासूम बच्चों को गिफ्ट्स का लालच देकर उनका धर्मांतरण किया जा रहा था। ऐसी वारदातें सिर्फ इंदौर से ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग कोनों से हर रोज आती हैं। ये ख़बर एक इशारा है ताकि हम सभी सतर्क हो जाएं। इस तरह की घटनाओं के खिलाफ आवाज़ उठाएं। Read More : दिल्ली NCR सहित बिहार और ओडिशा में भूकंप के झटके महसूस किए गए, प्रधानमंत्री ने अलर्ट रहने की अपील की Watch : https://youtu.be/7XtzFEfZ5VU?si=rTAitn3IToh62y65

Mahakumbh 2025 : प्रयागराज महाकुंभ में सफाई का रखा जा रहा है विशेष ध्यान…. पढ़िए Aayudh की पूरी रिपोर्ट

Sweepers are playing a major role in mahakumbh

प्रयागराज। महाकुंभ जैसे भव्य आयोजन में सफाई कर्मियों की भूमिका बेहद अहम होती है। लाखों श्रद्धालुओं के बीच साफ-सफाई बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन ये सफाई कर्मी बिना रुके, बिना थके अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। Aayudh की टीम ने प्रयागराज महाकुंभ में सफाई कर्मियों से मुलाकात कर जाना कि वे इस ऐतिहासिक आयोजन में किस तरह अपना योगदान दे रहे हैं। “हम देश की सेवा कर रहे हैं” – सफाई कर्मी सफाई कर्मियों ने गर्व के साथ बताया कि वे सिर्फ अपना काम नहीं कर रहे, बल्कि इसे देश सेवा मानते हैं। एक सफाई कर्मी ने कहा—”हम चाहते हैं कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। हम सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं ताकि कुंभ स्वच्छ और पवित्र बना रहे।” हजारों की संख्या में सफाई कर्मी मौजूद सफाई का यह बड़ा काम हजारों हाथों से पूरा किया जा रहा है। एक कर्मी ने बताया— “पूरे महाकुंभ में कुल 20 से 30 हजार सफाई कर्मी होंगे। सभी अलग-अलग जगहों से आए हैं। कुछ मध्य प्रदेश से हैं, कुछ झारखंड से, लेकिन ज्यादातर उत्तर प्रदेश से ही हैं।” प्रशासन की मदद और सुविधाएं जब प्रशासन की ओर से मिलने वाली सहायता के बारे में पूछा गया, तो सफाई कर्मियों ने बताया— “हमारा राशन कार्ड बना हुआ है, जिससे हमें हर महीने राशन मिलता है। प्रशासन की तरफ से यह सुविधा दी गई है।”इसके अलावा, सफाई कर्मियों ने बताया कि जिस कंपनी के तहत वे काम कर रहे हैं, वह उन्हें समय पर वेतन देती है, जिससे उनकी रोजी-रोटी सुचारू रूप से चल रही है। इसके अलावा, सफाई कर्मियों ने बताया कि जिस कंपनी के तहत वे काम कर रहे हैं, वह उन्हें समय पर वेतन देती है, जिससे उनकी रोजी-रोटी सुचारू रूप से चल रही है। शिक्षा सुविधाओं की कमी जब टीम ने स्कूल सुविधाओं के बारे में सवाल किया, तो सफाई कर्मियों ने बताया कि उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए कोई विशेष सुविधा नहीं दी गई है। “हमारे बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं बनाया गया है। हमें काम के साथ-साथ उनकी पढ़ाई की चिंता भी रहती है, लेकिन फिलहाल हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।” महिला सफाई कर्मियों की स्थिति Aayudh की टीम ने कुछ महिला सफाई कर्मियों से भी बातचीत की। एक महिला सफाई कर्मी ने कहा—”हम लगभग एक महीने से यहां रह रहे हैं, लेकिन साधु-संतों के दर्शन तक नहीं कर पाए। हमारी ड्यूटी इतनी व्यस्त रहती है कि समय ही नहीं मिलता।” उन्होंने बताया कि भले ही वे श्रद्धालुओं की सेवा में लगी हुई हैं, लेकिन आध्यात्मिक लाभ लेने का अवसर उन्हें खुद नहीं मिल पा रहा है। कुछ सफाई कर्मियों ने अपने काम को आध्यात्मिक दृष्टि से भी देखा। उन्होंने कहा— “हम मानते हैं कि सफाई करना भी एक पुण्य का काम है। महाकुंभ में काम करके हम अपने पाप धो रहे हैं। यह हमारे लिए सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि सेवा का अवसर है।” महाकुंभ में सफाई कर्मी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, ताकि यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए सुचारू रूप से चले। उनका समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा इस बात का प्रमाण है कि वे सिर्फ सफाई कर्मचारी नहीं, बल्कि महाकुंभ के सच्चे सेवक हैं। Aayudh की टीम को इस बातचीत से यह समझ आया कि सफाई कर्मी न सिर्फ मेहनत कर रहे हैं, बल्कि इसे एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में देख रहे हैं। उनके बिना महाकुंभ की कल्पना भी अधूरी है।

क्या है अघोरियों के पीछे का रहस्य? क्यों पहनते हैं काले कपड़े? इन सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़िए Aayudh की रिपोर्ट….

Inside Story of Aghori

प्रयागराज। महाकुंभ में अघोरियों की उपस्थिति हमेशा से ही लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय रही है। लोग अघोरियों को देखकर उत्सुकता से भर जाते हैं, लेकिन उनके जीवन, उनकी साधना और उनके विचारों के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इसी रहस्य से पर्दा उठाने के लिए Aayudh की टीम ने प्रयागराज महाकुंभ में एक अघोरी बाबा से मुलाकात की और अघोर परंपरा के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। क्या होता है अघोर? अघोरी बाबा से बातचीत के दौरान उन्होंने अघोर शब्द का अर्थ स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि ‘घोर’ का अर्थ होता है जटिल, और ‘अघोर’ का अर्थ होता है सरल और निर्मल। अघोर वह अवस्था है जो व्यक्ति को सभी बंधनों से मुक्त कर देती है। यह मार्ग उन्हें सांसारिक मोह-माया से परे ले जाता है और परम सत्य की खोज में सहायता करता है। साधु-संतों और अघोरियों में अंतर अघोरी बाबा ने बताया कि आमतौर पर लोग संतों और अघोरियों को एक ही श्रेणी में रख देते हैं, लेकिन दोनों में एक बहुत बड़ा अंतर है। उन्होंने अघोरी को एक प्रकार का शोधकर्ता बताया, जो ब्रह्मांड के गुप्त रहस्यों पर शोध करता है और सत्य की खोज में लगा रहता है। उन्होंने बताया कि अघोर साधना में केवल दो ही पक्ष होते हैं— गुरु और शिष्य। अघोर पंथ में मंत्र, शास्त्र या वेदों की बहुत अधिक भूमिका नहीं होती है। गरुड़ पुराण में अघोरियों का उल्लेख मिलता है, लेकिन उसमें भी उनके रहस्यों को उजागर नहीं किया गया है। अघोरी क्यों रखते हैं डरावना रूप? जब अघोरी से उनके रूप-रंग और विचित्र आचरण के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य लोगों को डराना नहीं, बल्कि स्वयं को समाज से अलग रखना होता है। उन्होंने कहा—”हम अपना रूप इसलिए ऐसा रखते हैं ताकि लोग हमसे दूर भागें और हमें साधना के लिए एकांत मिल सके।” अघोरी और तांत्रिक विद्या अघोरी बाबा ने बताया कि तांत्रिक विद्या केवल काले जादू तक सीमित नहीं है। इसमें योग, चिकित्सा और कला का भी ज्ञान होता है। कुछ लोग इसे गलत तरीके से उपयोग करते हैं, इसलिए समाज में तांत्रिकों को लेकर नकारात्मक धारणा बन गई है। अघोरी कौन-सी साधना करते हैं? अघोरी विशेष रूप से श्मशान साधना करते हैं। इस पर उन्होंने कहा—”श्मशान साधना हमें वैराग्य सिखाती है। जब शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है, तो वह हमें जीवन की असलियत से परिचित कराता है।”उन्होंने यह भी बताया कि शिव का सबसे प्रिय स्थान श्मशान है, क्योंकि यह एकांत और शांति का प्रतीक है। नागा साधुओं और अघोरियों में क्या अंतर है? अघोरी बाबा ने स्पष्ट किया कि नागा साधु और अघोरी एक नहीं होते। नागा साधु सनातन संस्कृति के संरक्षक होते हैं और समाज के भीतर धर्म की रक्षा के लिए कार्य करते हैं। अघोरी ब्रह्मांड की गुप्त शक्तियों और रहस्यों पर शोध करते हैं और उनका उपयोग कल्याणकारी कार्यों में करते हैं। अघोरी और नरभक्षण की सच्चाई अघोरी बाबा से जब नरभक्षण को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया—”हम किसी चीज से घृणा नहीं करते। अगर कुछ भी खप्पर में आ जाए, तो हम उसे ग्रहण कर लेते हैं। हमारे लिए भोजन जीवन जीने का एक माध्यम है, न कि जीने का उद्देश्य।” साथ ही उन्होंने बताया कि अघोरियों के काले कपड़े पहनने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है चूकी काला रंग ऊर्जा को अवशोषित करता है, जिससे साधना में मदद मिलती है। अघोरी बाबा ने बताया कि अघोर परंपरा न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी जानी जाती है। कई विदेशी साधक अघोर मार्ग को समझने और इसका अनुभव लेने के लिए भारत आते हैं। महाकुंभ और अघोरियों का संबंध अघोरी बाबा ने महाकुंभ के महत्व को भी बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है, और यह शिव तथा अघोरियों की साधना का प्रतीक भी है।अंत में, अघोरी बाबा ने कहा कि उनकी साधना का अंतिम लक्ष्य परम सत्य की प्राप्ति है। अघोरी सांसारिक बंधनों को तोड़कर आत्मज्ञान की ओर बढ़ते हैं और अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलते हुए जीवन व्यतीत करते हैं। Aayudh की टीम ने इस बातचीत से जाना कि अघोरी केवल रहस्यमयी साधु नहीं होते, बल्कि वे ब्रह्मांड और जीवन के गहरे रहस्यों की खोज में लगे होते हैं। उनके लिए हर चीज पवित्र होती है, और वे किसी भी चीज से घृणा नहीं करते। उनकी साधना उन्हें आत्मज्ञान और परम मुक्ति की ओर ले जाती है।

महाकुंभ में आए बांग्लादेशी हिंदुओं ने सुनाई अपने दर्द की कहानी, किए कई बड़े खुलासे, पढ़िए Aayudh की ग्राउंड रिपोर्ट…

Bangladeshi Hindu devotee in Mahakumbh

प्रयागराज। दुनिया के सबसे बड़े मेले में देश-विदेश के अलग-अलग जगहों से लोग आ रहे हैं। भारत ही नहीं बल्कि भारत के पड़ोसी देशों में रहने वाले हिन्दू समुदाय के लोग भी महाकुंभ में डुबकी लगाने प्रायगराज आ रहे हैं। Aayudh की टीम ने बांग्लादेश से आए हुए एक श्रद्धालु से बात की तो उन्होंने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। बांग्लादेश में हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है… देश और विदेश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले हिन्दू लोग महाकुंभ में स्न्नान करने के लिए आ रहे हैं। ग्राउंड पर लोगों से बात करते हुए हमें एक सज्जन मिले जिन्होंने बताया कि वो बांग्लादेश से आए हैं। जब हमनें उनसे बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं के हालातों के बारे में पूछा तो उन्होंने Aayudh के सामने कई ऐसे खुलासे किए जिसे मीडिया ने नहीं दिखाया है। Aayudh की टीम से बात करते हुए शमल जी ने बताया कि वो 4 दिनों से प्रयागराज आए हुए हैं। जब हमनें उनसे बांग्लादेश में हुए अत्याचार को लेकर सवाल किए तो उन्होंने कहा कि वर्तमान में बांग्लादेश में हिन्दुओं के लिए दयनीय स्तिथि बनी हुई है। बांग्लादेश के हिन्दू नेता चिन्मय कृष्णदास महाराज जी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महाराज जी हिन्दुओं को एकजुट करने में लगे हैं। हिन्दू हैं इसलिए अत्याचार किया जा रहा है… शमल जी ने Aayudh की टीम को बताया कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर वहां की सरकार खामोश है। मीडिया में इसे राजनीतिक मामला बताया जा रहा है। हिन्दुओं के मंदिर, उनके जो बिज़नेस हैं उनपर हमला किया जा रहा है। उनका कहना है कि हम हिन्दू हैं इसलिए बांग्लादेश में हम पर अत्याचार किया जा रहा है। हिन्दुओं को भारत नहीं आने दिया जा रहा Aayudh से बात करते हुए उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर कई बातें बताई। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के हिन्दुओं को टूरिस्ट वीसा पर भारत नहीं आने दिया जा रहा है। जब Aayudh की टीम ने उनके भारत आने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि “मैं मेडिकल वीजा पे भारत आया हूँ।” अब आप सोच सकते हैं कि बांग्लादश में हिन्दुओं पर कितने अत्याचार किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि मेडिकल वीजा भी कुछ ही लोगों को दिया जा रहा है। बांग्लादेश और भारत में कितना अंतर शमल जी से बात करते हुए जब Aayudh की टीम ने दोनों देशों के हालातों के बारे में पुछा तो उन्होंने कहा कि भारत में हिन्दू ज्यादा सुरक्षित हैं। बांग्लादेश में उन्हें बोलने का अधिकार नहीं है। यदि कोई हिन्दू बोलता है तो उसपर हमला कर दिया जाता है। Watch Now : https://youtu.be/kJxosL6ShoM?si=gwQLctHwYne9Su9x Read More : क्या महाकुंभ में सच में है 15 किलोमीटर तक जाम ? Aayudh ने की जनता से बात…

क्या महाकुंभ में सच में है 15 किलोमीटर तक जाम ? Aayudh ने की जनता से बात…

Monks of Mahakumbh

Mahakumbh 2025 : प्रयागराज के महाकुंभ में Aayudh की टीम पिछले कई दिनों से मौजूद है। कुछ दिनों से प्रयागराज और महकुंभ में भीड़ की समस्या को लेकर कई बातें कही गई, मगर जब Aayudh की टीम ने ग्राउंड पर लोगों से बात की तो कुछ और ही सच निकल कर सामने आ रहा है। महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाकर सभी श्रद्धालु काफी प्रसन्न हैं। महकुंभ को लेकर मीडिया में कई भ्रम फैलाए गए। ये भी कहा गया कि भीड़ बढ़ने के कारण लोगों को पैदल चलना पड़ रहा है। ट्रेन में कई घंटों तक इंतज़ार करना पड़ रहा है। मगर सवाल ये है कि महाकुंभ में स्नान करने वाले लोगों का क्या कहना है ? क्या कह रहे हैं लोग ? मीडिया के द्वारा महाकुंभ में बढ़ती भीड़ और प्रशासन की व्यवस्था को लेकर जो बातें बताई गई। उसी की पड़ताल करने Aayudh की टीम जब ग्राउंड पे पहुंची तो हकीकत कुछ और ही निकलकर सामने आई। झाँसी से आए एक युवक ने हमें बताया कि महाकुंभ में प्रशासन ने बहुत अच्छे इंतजाम किए हैं। उनका स्नान भी काफी सरलता से हो गया। उन्होंने कहा – “सरकार ने बहुत ही अच्छी व्यवस्था की है। पानी , बिस्कुट , खाना सारी चीज़ें उपलब्ध हैं। पुलिस और प्रशासन भी अच्छा काम कर रही है।” महिलाओं से बात करने पर पता चला कि उन्हें भी किसी प्रकार की दिक्कतें नहीं देखने को मिल रही हैं। नोएडा से आए एक परिवार से जब Aayudh की टीम ने बात कि तो उन्होंने कहा कि आने-जाने में कोई दिक्क्त नहीं हो रही है। जब भीड़ को लेकर हमनें सवाल किया तो उन्होंने कहा – “देश के अलग -अलग हिस्सों से लोग आ रहे हैं इसलिए भीड़ दिख रही है, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है। सारी व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं।” उन्होंने आगे कहा कि वो तीन-चार दिन से प्रयागराज में ही रुके हैं। उन्हें खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं हुई। खाने में एक भी रूपए खर्च नहीं हुए। उनका कहना है कि कुछ लोगों को परेशानी इस वजह से हो रही है क्यूंकि वो मिल रही सुविधाओं का सही से इस्तमाल नहीं कर रहे हैं। उन्होंने लोगों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का सही से रख-रखाव की अपील की है। लाखों की संख्या में लोग हर दिन आ रहे हैं देश के हर राज्य हर शहर से लोग महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं। गुजरात से आसाम और जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक से लोग प्रयागराज की पवित्र भूमि पर त्रिवेणी में स्नान करने आ रहे हैं। जम्मू से आए एक व्यक्ति से जब Aayudh की टीम ने बात की तो उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग हर रोज महाकुंभ में आ रहे हैं लेकिन व्यवस्था में कहीं भी कोई कमी नहीं देखने को मिल रही है। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक की एक फ़ौज महाकुंभ में देखने को मिल रही है। नौजवानों का कहना है कि मेला क्षेत्र में वाहनों को इसलिए प्रतिबंधित किया गया है ताकि कोई दुर्घटना न हो। वाहनों को लगाने के लिए एक अलग से कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। वहीं 65 साल के गिरिराज शरण सिंह जो राजस्थान से आए हैं उनका कहना है कि महाकुम्भ में बहुत ही अच्छे से स्न्नान हो गया , प्रशासन और सरकार के द्वारा बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है। बिहार के मधुबनी से तीन पीढ़ियों के लोग हमें महाकुंभ में मिले उनसे भी हमें प्रशासन और सरकार की व्यवस्थों को लेकर सकारात्मक जवाब ही सुनने को मिला। आप भी महाकुंभ में स्नान करने जरूर जाएं 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में अब कुछ ही समय बचा है। 144 सालों के बाद ये संयोग बना है जब 12 पूर्ण कुंभ होने के बाद महाकुंभ का आयोजन किया गया है। कहा जाता है कि ये मौका किसी भी व्यक्ति के जीवन में केवल एक बार आता है। यदि आपने भी अब तक महाकुंभ में आस्था की डुबकी नहीं लगाई है तो प्रयागराज अवश्य जाएं। Watch Now : https://youtu.be/O1Amp0Rvz6o?si=6DaUjSc1L9rhjiKH Read More : प्रयागराज महाकुंभ: कश्मीरी पंडितों ने बताई अपनी आप बीती, पढ़िए Aayudh की रिपोर्ट…

महाकुंभ में स्नान के महत्व पर डॉक्टर वगीश स्वामी जी के विचार, पढ़िए आयुध्‍द की पूरी रिपोर्ट…

doctor vageesh swami ji

प्रयागराज। एक माह तक लगने वाले महाकुंभ में हर रोज़ लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। Aayudh की टीम भी इस भव्य महाकुम्भ में आपको अलग-अलग पहलुओं से वाकिफ़ कराने पहुंची। इसी कड़ी में हमारी मुलाकात डॉक्टर वगीश स्वामी जी से हुई, जिन्होंने हमें महाकुंभ में स्न्नान के फायदे बताए। आइए जानते हैं महाकुंभ में स्नान करने के फ़ायदे। सारे तीर्थों में स्नान का पुण्य मिल जाता है.. जब स्वामी जी से Aayudh की टीम ने बात कि तो उन्होंने बताया कि एक महीने तक लगने वाले इस महकुंभ में सभी देवी – देवता पधारते हैं। उन्होंने बताया कि प्रयागराज में लगने वाले महाकुम्भ में स्नान करने से सारे तीर्थों के पुण्य मिल जाते हैं। उन्होंने कहा – “हम मनुष्य सभी तीर्थों पर नहीं जा सकते हैं, हो सकता है कि कोई तीर्थ हमसे छूट गया हो तो प्रयागराज के संगम में स्नान करने से हम उन सभी तीर्थों के स्नान के भागी बन सकते हैं।” एक महीने में किस-किस दिन स्नान करना शुभ है ? स्वामी जी ने बताया कि एक महीने में किसी भी दिन स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि आप पूरा महीना कुंभ में स्नान करते हैं तो और भी अच्छा है। कुछ दिन ऐसे हैं जिसमें अवश्य स्नान करना चाहिए। कुछ विशेष दिन कौन-कौन से हैं ? यदि आप मकर संक्रांति, वसंत पंचमी और मौनी अमावस्या के दिन स्नान करते हैं तो और भी शुभ माना जाता है। उन्होंने साधुओं के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि जिस प्रकार हमारे घर में कोई साधु आते हैं तो हम सबसे पहले उन्हें भोजन करवाते हैं, उसी प्रकार इन विशेष दिनों पर हम साधुओं को पहले स्नान का अधिकार देकर उनका सम्मान करते हैं। इसी स्नान करने की व्यवस्था को हम शाही स्नान और अमृत स्नान कहते हैं। यदि आप इन विशेष दिनों में कभी भी स्नान करते हैं तो वह अमृत स्नान ही होगा। स्वामी जी ने युवाओं को दिशाहीन क्यों कहा ? हम सभी जानते हैं कि इस वर्ष महाकुंभ में युवाओं की एक बड़ी संख्या देखने को मिल रही है। युवा देश के अलग – अलग कोनों से आकर महाकुम्भ में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। जब Aayudh की टीम ने स्वामी जी से युवाओं को संदेश देने के लिए कहा तो उन्होंने युवाओं को दिशाहीन बता दिया। उन्होंने कहा – “युवा दिशाहीन है, वो बस चल रहा है। जहाँ युवत्व ख़त्म हो जा रहा है, वहां तो वो जीना शुरू कर रहा है।” उन्होंने युवाओं को अध्यात्म से जुड़ने की सलाह दी। Read more : प्रयागराज महाकुंभ: कश्मीरी पंडितों ने बताई अपनी आप बीती, पढ़िए Aayudh की रिपोर्ट…

प्रयागराज महाकुंभ: कश्मीरी पंडितों ने बताई अपनी आप बीती, पढ़िए Aayudh की रिपोर्ट…

प्रयागराज। 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ अब कुछ ही दिनों में समाप्त होने वाला है। धर्म, आध्यात्म ,परंपरा और पर्यटन के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करने वाला महकुंभ इस सदी का सबसे बड़ा समागम है। इसी समागम में अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधि मंडल भी शामिल हुए हैं। इसी में एक प्रतिनिधि मंडल कश्मीरी पंडितों का भी है। जी हाँ, वही कश्मीरी पंडित जिन्हें 90 के दशक में उन्हीं के कश्मीर से भगा दिया गया। इतने अत्याचार किए गए की उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा। जब भी कश्मीरी पंडितों का जिक्र होता है तो आँखों के सामने उस समय की तस्वीरें घूमने लगती हैं। कैसे उन्हें रातों- रात वहां से भगा दिया गया था। साल 1990 से लेकर अब तक वो अपने हक़ की मांग कर रहे हैं, मगर सरकार अब भी उनकी मांगों को पूरा करने में असफल है। जब Aayudh की टीम कश्मीरी पंडितों के शिविर में पहुंची तो उन्होंने बताया कि कश्मीरी पंडित आज भी विपरीत परिस्थितियों में जी रहे हैं। क्या कहना है शिविर के संस्थापक का ? जब Aayudh की टीम ने शिविर के संस्थापक अश्विनी जी से बात कि तो उन्होंने बताया कि इस शिविर के लगाने के पीछे का उद्देश्य हिन्दू समुदाय के लोगों को अपनी दास्तां सुनाना है। उन्होनें बताया कि हम कुंभ में अपने हिस्से के मूल्यों को देने आए हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि जम्मू शहर में कश्मीरी पंडितों का एक बड़ा तबका दयनीय स्तिथि में जी रहा है। सरकार उनके लिए कुछ कदम उठाए। कश्मीर और देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले कश्मीरी पंडितों के लिए इस शिविर में भोजन और रुकने कि निः शुल्क व्यवस्था की गई है। 1990 में बेटियों की प्राइवेसी ख़त्म हो गई थी जब Aayudh की टीम ने एक महिला से बात करने की कोशिश कि तो उन्होंने भी हमें एक ऐसी कहानी सुनाई, जिसने हमें झंकझोर कर रख दिया। उन्होंने बताया कि 1990 में जब कश्मीरी पंडितों को भगाया गया तब एक ही घर में 15-15 परिवार रहने को मजबूर थे। बेटियों और महिलाओं की प्राइवेसी ख़त्म हो चुकी थी। पार्टिशन के लिए साड़ियों का इस्तमाल किया जाता था। उन्होंने बंदूक उठाया, हमनें कलम उठाई 90 के दसक में प्रताड़ित कश्मीर के लोगों का कहना है कि यदि आज हम अपने हालातों को थोड़ा भी बेहतर कर पाए हैं तो उसके पीछे की वजह है ‘शिक्षा’। हमनें भले ही एक वक्त खाना खाया हो मगर अपने बच्चों को पढ़ाया है। संघियों को मारने के लिए नाम निकाले गए कश्मीरी पंडितों के शिविर में जब Aayudh की टीम लोगों से बात कर रही थी तभी एक व्यक्ति ने कहा – “उन्होंने तो हमें मारने के लिए हिटलिस्ट निकाले थे।” जब Aayudh की टीम ने उनसे पूरी जानकारी ली तब पता चला कि उनका नाम कुलदीप है, वो संघी हैं और कश्मीर में शाखा चलाते थे। उनका कहना है कि कश्मीर में उस वक्त की सरकार हमें इंडिया का एजेंट कहती थी। अब सवाल ये है कि अपने ही देश के एक राज्य में रहने वाला व्यक्ति अपने ही देश का एजेंट कैसे हो सकता है, उन्होंने हमें आगे बताया कि अचानक एक दिन रात को सभी मुस्लिम समुदाय के लोग निकलकर ‘यहाँ बनेगा पाकिस्तान’ के नारे लगाने लगे थे। इन कहानियों से आपको इतना तो जरूर पता चल गया होगा कि कश्मीरी पंडितों को 90 के दशक में किन-किन हालातों से गुजरना पड़ा। Article 370 हटने से क्या हैं उम्मीदें ? जब Aayudh की टीम ने कुलदीप जी से आर्टिकल 370 के बारे में सवाल किया तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तो आई मगर साथ ही उन्होंने एक चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाकर एक अच्छा कदम उठाया है मगर अभी उसका असर दिखने में कम से कम दस साल लगेंगे। यदि आप भी कश्मीरी पंडितों के इतिहास, उनपर हुए अत्याचार और बरबर्ता की कहानी को सुनना और समझना चाहते हैं तो Aayudh के यूट्यूब चैनल पर सुन सकते हैं। Watch : https://youtu.be/cDlY7sJ0bAE?si=Q8ZfhOixhz_0Jw6O Read more : https://aayudh.org/death-of-the-chief-priest-of-ram-mandir/