Aayudh

12वीं में टाॅप करने वाले विद्यार्थियों को स्कूटी देने का किया एलान

संपूर्ण मध्य प्रदेश मेरा परिवार है. मै मुख्यमंत्री बनकर सरकार नहीं, परिवार चला रहा हूं. मेरे बेटा-बेटियों, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। आइ लव यू। अच्छी शिक्षा बच्चों को बहुत ऊंचे स्थान पर ले जाती है, सफल बनाती है। एक जमाना था, जब मध्यप्रदेश में स्कूल की बिल्डिंग ही नहीं हुआ करती थी। जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो हमने तय किया कि बच्चों के पढ़ने के लिए बेहतर स्कूल होने चाहिए, ताकि हमारे बच्चे आगे बढ़ सकें। आज सीएम राइज स्कूल आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं, ताकि गरीब के बेटा-बेटी भी खूब पढ़ें और आगे बढ़ें। ये कहना था मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का. मौका था भोपाल के भेल बरखेङा में बनने वाले सीएम राइज शासकीय महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक विधालय के भूमिपूजन कार्यक्रम का. बता दें की 81 करोङ 12 लाख की लागत से इसका निर्माण किया जाना है. संपूर्ण मध्यप्रदेश मेरा परिवार है। मैं मुख्यमंत्री बनकर सरकार नहीं, परिवार चला रहा हूं। मेरे बेटा-बेटियों, तुम्हारी मेहनत से अगर तुम्हारा एडमिशन मेडिकल कॉलेज में, इंजीनियरिंग में, आइआइटी में, आइआइएम में, लॉ कॉलेज में या फिर किसी बड़े संस्थान में होगा, तो फीस कितनी भी हो, वो तुम्हारे माता-पिता नहीं, तुम्हारा मामा भरवाएगा। 4 लाख 60 हजार बच्चों के खाते में साइकल वितरण योजना के तहत डाले गए 207 करोङ रुपये सीएम ने साइकल कय्र हेतु बैंक खाते में 207 करोङ रुपये की राशि का सिंगल किल्क से अंतरण किया. इसके अलावा उन्होंने 12वीं में टाप करने वाले   विद्यार्थियों  को स्कूटी की घोषणा की. कार्यक्रम से पूर्व स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने बताया कि साइकिल वितरण योजना वर्ष 2004-05 से संचालित है। इस योजना में ऐसे विद्यार्थी, जो शासकीय विद्यालयों में कक्षा 6वीं एवं 9वीं में अध्ययनरत है तथा वह जिस ग्राम के निवासी है, उस ग्राम में शासकीय माध्यमिक/हाईस्कूल संचालित नहीं है तथा वह अध्ययन के लिए किसी अन्य ग्राम/ शहर के शासकीय स्कूल में जाते हैं, उन्हें निश्शुल्क साइकिल से लाभान्वित किया जाता है। इसके अलावा बच्चों के आवागमन के लिए बसों की भी सुविधा उपल्बध कराई जाएगी.

तिरंगा यात्रा पर बम फेंककर आरोपी हुए फरार

पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था. कोई हर घर तिरंगा अभियान से जश्न मना रहा था तो कहीं कोई देशप्रेम के गीत सुनकर शहीदों को नमन कर रहा था. वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर और गुना में मामला तब गर्मा गया जब तिरंगा यात्रा के दौरान पेट्रोल बम से हमला कर दिया गया.जानिए क्या है पूरा मामला?दरअसल भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता तिरंगा रैली निकाल रहे थे. रैली के दौरान कुछ बाइक सवार बदमाश आते हैं और पथराव करना शुरू कर देते हैं. इतना ही नहीं बदमाशों ने पेट्रोल बम भी फेंक दिया. देखते ही देखते डीजे वैन आग की चपेट में आ गई. मौके पर पुलिस ने पहुंच कर मामले का संज्ञान लिया. चूंकि घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी वहां से फरार हो गए थे. आरोपी का पता नहीं लग पाया. पुलिस ने सीसीटीवी को खंगाल के जांच का आशवासन दिया है. सूत्रों के अनुसार इस हमले में एक कार्यकर्ता संग्राम सिंह के घायल होने की खबर है. बता दें की यह यात्रा केंद्र सरकार के आदेश अनुसार ही किया गया था. ये पूरी घटना इंदौर विधानसभा के क्रमांक संख्या 4 में अंजाम दिया गया. गुना में दो समुदायों में हुआ विवाद:गुना में भी आजादी के पर्व का मजा किरकिरा तब हो गया जब दो गुट आपस में भिङ गए. दरअसल यहां मुस्लिम समाज के लोग तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे. इसी दौरान युवा मोर्चा के सद्स्य बाइक रैली भी निकाल रहे थे. कुछ युवा जो बाइक रैली में शामिल होने जा रहे थे उन्होंने मुस्लिम समाज की तिरंगा यात्रा में घुसकर नारेबाजी करना शुरु कर दिया. देखते ही देखते दोनों गुटों में लङाई होने लगी. मौके पर स्थानिय पुलिस नदारथ रही. हांलाकि सूत्रों के अनुसार पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है. फिलहाल इलाके में शांति बहाल है और अभी किसी भी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है.

देश के दिल भोपाल में दिखा आजादी का अलौकिक जश्न

देश आजादी के 77वे साल में प्रवेश कर चुका है लेकिन आज भी कहीं ना कहीं लोग मानसिक परतंत्रता के बेङियाों में जकङा हुआ है. मानसिक गुलामी से आजादी दिलाने वाली संस्था ब्रह्माकुमारीज में अलौकिक अंदाज में आजादी का जश्न मनाया गया. सदा खुश रहना है सच्ची स्वतंत्रता: राजयोगिनी अवधेश दीदी आधत्मिकता की लॉ को पूरे विश्व में पहुंचाने वाली संस्था ब्रह्माकुमारीज राजयोग भवन में स्वर्णिम भारत को साकार करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर आजादी का जश्न मनाया गया.इस अवसर पर सभी ने एक विश्व एक परिवार के भाव को जागृत किया तथा सभी को आत्मिक दृष्टि से देखने का संकल्प लिया.ममता मई, करुणामई अवधेश दीदी जी का 73वा जन्मदिन भी मनाया गया. अवधेश दीदी ने अपना पूरा जीवन ईश्वरीय सेवा में समर्पित कर दिया था. उनके पिता के विरोध के बाबजूद दीदी ने अपना पूरा जीवन भारत को स्वर्णिम बनाने के लिए समर्पित कर दिया। दीदी पूरे भोपाल जोन का नेतृत्व करती हैं साथ ही मानव कल्याण के लिए देश भर में उनके नेतृत्व में अलग – अलग कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है जिसमें नशा मुक्ति भारत अभियान, दिव्यांग सशक्तिकरण और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं शामिल हैं. उन्होंने अपने जन्मदिवस के अवसर पर सभी को ईशवरीय वरदानों से भरपूर किया. आजादी और अपने जन्मदिवस के अवसर पर दीदी ने सभी को वरदानों से भरपूर किया. उन्होंने कहा की हमें खुद को सदा खुश रखना है. चाहे कोई हमारे बारे में कैसी भी बातें बोली या कैसी भी परिस्थिति हमारे सामने आ जाए हमें अपनी मन की खुशी नहीं खत्म करनी है. भारत की संस्कृति देने की है. हमें सदा सभी को सुख देना है.हमें कर्तव्यपरायण मन अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाना है.भारत की संस्कृति सभी को सुख देने की है. देश के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता सुंदर सांसकर्तिक प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया. बी.के. अंकु दीदी ने सुंदर नृत्य के माध्यम से दीदी के ममतामयी स्वरुप को दर्शाया.

देश भर में शान से लहराएगा ग्वालियर में बना तिरंगा

हर घर तिरंगा होना,देश की शान है।मेरी माटी पर मर मिटनामेरा सौभाग्य है।देश आजादी 77वां जश्न मनाने के लिए सभी तैयार हैं. हर देशवासी का दिल देश प्रेम और आजादी के गौरव को अनुभव करने के लिए उत्सुक है. आजादी के जश्न में इस साल भी हर घर तिरंगा अभियान की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. लेकिन इस वर्ष एक नए अभियान ने लोगों के अंदर अपने देश के माटी से प्रेम को और भी चार चांद लगा दिया है.इस वर्ष 30 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में “मेरी माटी मेरा देश” अभियान की घोषणा की थी. इस अभियान की आधिकारिक लॉन्चिंग 9 अगस्त को हुई। यह अभियान 30 अगस्त तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य वीर जवानों और देश के लिए शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान और आदर का भाव जागृत करना है.देश के लिए अपने गौरव को प्रदर्शित करने के लिए कोई तिरंगे का सहारा लेता है तो कोई केसरिया, सफेद और हरे रंग के साफे को पहनकर देश प्रेम जाहिर करता है. घर की छत हो, या कोई सरकारी इमारत या फिर स्कूल और कालेज. हर जगह एक चीज सामान्य होती है और वो होता है देश का तिरंगा.पर क्या आपको पता है इस तिरंगे का सबसे सटीक और सही पैमाने जैसे लंबाई, चौड़ाई का पूरी तरह ध्यान रखते हुए बनाने वाली संस्था मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है. जी हां संस्था का नाम है “मध्य भारत खादी संघ” जहां तिरंगे का निर्माण भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित राष्ट्र ध्वज बनाए जाते हैं.सीहोर से तिरंगे के कपड़े बनाने के लिए मंगाया जाता है सूत:यहां पर तिरंगे का निर्माण बहुत ही विधि विधान के साथ किया जाता है. यहां तिरंगे के निर्माण के लिए कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंगों का सही चुनाव जैसे मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता है. सबसे पहले तिरंगे के धागे का निर्माण किया जाता है. लैब में सारे मानकों को पास करने के बाद ही तिरंगे के निर्माण का कार्य आगे बढ़ाया जाता है. तिरंगे की क्वालिटी को बनाए रखने के लिए सिर्फ प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग किया जाता है. मध्य सीहोर से कपास मंगाया जाता है। इसके बाद सूत से कपड़ा बनाया जाता है. केसरिया, सफेद और हरे रंग की ड्राइंग बनाई जाती है. अशोक चक्र का निर्माण राष्ट्रीय ध्वज के लंबाई के हिसाब से की जाती है.90 फीसदी महिलाएं करती हैं तिरंगे का निर्माण:इस संस्था में सबसे ज्यादा मात्रा में महिलाएं तिरंगे का निर्माण कर रही हैं. महिलाएं कहती हैं की उन्हें देश के तिरंगे का निर्माण करके बहुत खुशी मिलती है और वो खुद को गौरवान्वित महसूस करती है. बता दें की यहां बनाए जाने वाले तिरंगों की डिमांड पूरे देश के अलग अलग जिलों में हैं. यहां 2×3, 3×4.5, और 6×4.5 साइज में बनाए जाते हैं। 6:4 के तिरंगे को सिलाई करने में 1 घंटे का समय लग जाता है.मध्य भारत खादी संघ का इतिहास:सन 1925 में मध्य भारत खादी संघ की स्थापना हुई थी. 1956 में संस्थान को आयोग का दर्जा मिला. 2016 से यहां तिरंगों का निर्माण आईएसआई मानकों को ध्यान में रखकर किया जाता है. यह भारत की पहली ऐसी संस्था है जो आईएसआई से सर्टिफाइड तिरंगों का निर्माण करती है. यहां से तिरंगों को अलग अलग सरकारी आवासों पर गौरव के साथ फहराए जाते हैं।इस स्वतंत्रता दिवस के लिए 14,300 राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर चुका है. पिछले वर्ष 2022 को 1-2 करोड़ रूपए तक के तिरंगों का निर्माण किया गया था. इस वर्ष 22 राज्यों में तिरंगों का सप्लाई किया जायेगा. इस साल संस्थान को 55 हजार तिरंगा बनाने का ऑर्डर दिया गया है. पूरे देश भर में अलग अलग राज्यों में ग्वालियर में बनाए जाने वाले तिरंगे को फहराकर कल देश आजादी का जश्न मनाएगा. Previous Post

युवाओं के सहयोग से भारत फिर से बनेगा विश्व गुरु: राजयोगिनी अवधेश दीदी

कहा जाता है की देश का भविष्य युवाओं के कंधे पर निर्भर करता है. युवा अगर ठान ले तो पत्थर को भी पारस बना देता है. अंतराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश भोपाल के अरेरा कॉलोनी स्थित राजयोग भवन में ब्रह्माकुमारी के युवा प्रभाग और सरकार के संयुक्त तत्वाधान में “ईयर ऑफ पॉजिटिव चेंज” के अंतर्गत युवाओं के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य अथिति के तौर पर नेहरू युवा केंद्र के स्टेट डायरेक्टर डॉ. सुरेंद्र शुक्ला जी मौजूद रहे और साथ ही “मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग” की सदस्य डॉ. निशा श्रीवास्तव भी उपस्थित रहीं.  युवा स्वरोजगार को अपनाकर भारत का परचम विश्व में लहरा रहा है: डॉक्टर सुरेंद्र शुक्ला नेहरू युवा केंद्र के स्टेट डायरेक्टर डॉ. सुरेंद्र शुक्ला ने कहा की आज युवा स्वरोजगार के नए अवसर ढूंढ रहा है. उन्होंने कहा की आज का युवा किसी पर निर्भर नहीं है. सबसे अच्छी बात ये है की युवा वर्ग विदेशों की ओर पलायन नहीं कर रहा है. युवा आज उद्यमशीलता के जरिए ना सिर्फ स्वयं को आत्मनिर्भर बना रहा है बल्कि रोजगार के अवसर दे रहा है. स्वप्न, योजना और कार्य के संगम से मिलेगी सफलता: डॉ. निशा श्रीवास्तव मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निशा श्रीवास्तव ने कहा कि जब हम कोई सपना देखते हैं तो उसे पूरा करने के लिए सही योजना बनाना बेहद जरूरी है. सिर्फ योजना बनाई और उसे कार्य में नहीं लगाया तो  बात नहीं बनेगी यानि स्वप्न, योजना और कार्य के समावेश से सफलता जरूर मिलती है. इसके अलावा उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आप चाहे कितने भी ऊंचे पद पर पहुंच जाएं पर अपने अंदर की विनम्रता को हमेशा बनाए रखें. उन्होंने इंटरव्यू देने के लिए  युवाओं को कुछ टिप्स भी दिए. उन्होंने कहा कि हमारा चेहरा मन का दर्पण होता है. हमारे चेहरे से सकारात्मक दिखाई देनी चाहिए. दूसरा उन्होंने बताया कि परिवेश बहुत जरूरी है. हमारा पहनावा बहुत शालीन होना चाहिए. तीसरा हमारी बॉडी लैंग्वेज ढीली डाली नहीं होनी चाहिए. हमारी बॉडी लैंग्वेज से आत्मविश्वास झलकनी चाहिए. चौथा उन्होंने बताया कि हमारी बात करने का तरीका बहुत ही सहज होना चाहिए. जिस विषय के लिए हम जा रहे हो उस विषय पर हमारी मजबूत पकड़ होनी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि शिक्षा ही किसी समाज को सशक्त बनाने का सबसे अच्छा माध्यम है। जो समाज शिक्षित है वह समाज अपने आप  ही सशक्त हो जाता है. अच्छा देखने का चश्मा पहन लो तो सब अच्छा ही दिखाई देगा: बीके सुनीता दीदी ब्रह्माकुमारीज युवा प्रभाग की सब जोनल कोऑर्डिनेटर बी.के. सुनीता दीदी ने भी युवाओं को प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि जो युवा असफल होते हैं वो सोचते हैं कि वह कुछ नहीं कर सकते. हमें खुद पर विश्वास नहीं होता है। उन्होंने कहा कि युवा को उल्टा करने पर वायु होता है।  युवा के अंदर वायु जितनी शक्ति है। युवाओं में तूफान के रुख को भी मोड़ने की ताकत होती है. उन्होंने कहा कि आज हम अपने भाग्य की रेखा दिखाने के लिए किसी पंडित के पास जाते हैं पर क्या उसे हमारा भाग्य बदल जाएगा. उन्होंने कहा कि आज टेंशन में आकर का युवा गलत चीजों में फंस जाते हैं। टेंशन के आगे और लगा देने से अटेंशन हो जाता है. अगर पढ़ाई में अच्छा करना है तो टेंशन लेने से कुछ नहीं होगा. अटेंशन देना शुरू कर दे. जिस तरह हम मोबाइल को चार्ज करते हैं वैसे हमें स्वयं को भी चार्ज करना है. आत्मविश्वास से हम अपनी ईच्छाशक्ति बढा सकते हैं. आध्यात्मिक ज्ञान और मेडिटेशन के द्वारा खुद को चार्ज कर सकते हैं। विवेकानंद का उदाहरण भी दिया और कहा कि उनका कहना था कि हमें 100 युवा भी मिल जाए आज तो भारत विश्व गुरु बन जाएगा। करियर में सफल होने के लिए उन्होंने कुछ टिप्स दीजिए जो इस प्रकार हैं: 1. जब तक जीना है तब तक सीखना है. 2. हर परीक्षा मेरे लिए उन्नति की सीढ़ी है. 3. सच्चाई के मार्ग पर चलना है क्योंकि सच की नांव हिलेगी डूलेगी लेकिन डूबेगी नहीं। 4. जो मिला है उसका शुक्रिया करना शुरू करो. 5.अच्छा  देखने का चश्मा पहन लो तो सदा अच्छा ही दिखाई देगा। राजयोग से बढ़ती है हमारी एकाग्रता: बी.के सक्षम सॉफ्टवेयर इंजीनियर बी.के. सक्षम ने सभी से अपने अनुभव साझा किए. बताया कि मैं पिछले पांच-छह सालों से राजयोग का अभ्यास कर रहा हूं. मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं. मेडिटेशन के नियमित अभ्यास से आपके चेहरे और संपूर्ण व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन आने लगता है. आप सभी 3 महीने राजयोग का अभ्यास करके जरूर देखें. कैसी भी परिस्थिति आ जाए लेकिन आपका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली बन जाएगा. शरीर कितना भी बूढा हो जाए मन को सदा जवान रखें. ये कहना था अवधेश दीदी का. उन्होंने युवाओं की वर्तमान सिथ्ति पर चिंता जताते हुए कहा कि आज छोटी सी बात में युवा गलत फैसला ले लेता है। आत्महत्या के मामले दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं. किसी ने कुछ कह दिया तो बच्चा आत्महत्या कर लेता है. अपने जीवन को खत्म करना किसी समस्या का समाधान नहीं है. भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर है. आज युवाओं के अंदर से पवित्रता की शक्ति खत्म होती जा रही है. उन्होंने कहा कि युवा अगर सही मार्ग पर आ जाए तो भारत फिर से विश्व गुरु बन जाएगा. इसके अलावा बी.के. ममता दीदी ने भी सबकी को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हम चलेंगे गिरेंगे दौड़ेंगे लेकिन रुकेंगे नहीं। उदाहरण देते हुए बताया कि सूर्य भी धीरे-धीरे निकलता है तो किसी का भी उदय अचानक नहीं होता। हमें कभी भी हार नहीं मानना है। इसके अलावा बी.के. आकृति दीदी ने सभी को सभी को ब्रह्माकुमारी युवा प्रभाग द्वारा देशभर में की जा रही सेवाओं से अवगत कराया। उन्होनें बताया कि युवाओं के सशक्तिकरण के लिए संस्था लगातार प्रयासरत है। साइकिल यात्रा पदयात्रा समय-समय पर युवाओं द्वारा निकाल कर शांति, एकता और भाईचारा का संदेश दिया जाता है. बी.के. ओम भाई ने “युवा जागो” गीत पर  सुंदर नृत्य प्रस्तुत कर युवाओं को जोश से लबरेज कर दिया।  बी.के. खुशबू दीदी ने सभी को संस्था का

सीआरपीसी बिल में किए गए बड़े बदलाव, लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया संशोधित बिल:

लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संघिता 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा2023, भारतीय साक्ष्य बिल 2023 पेश किए। नए कानून के हिसाब से इन बिल का मकसद अपराध को बढने से रोकना और न्याय दिलाना है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा की “जिस अपराध में 7 साल से अधिक की सजा होनी हो उसके लिए घटनास्थल पर जांच के लिए फारेन्सिक टीम मौजूद होनी चाहिए.  उन्होंने कहा की  2027 तक देश के सभी अदालतों को कंप्यूटराइज्ड करना चाहती है।  मॉब लिचिंग के केस में भी 7 साल की उम्र कैद या सजाए मौत हो सकती है। उन्होंने महिला अपराध पर कङा हुए कहा की महिलाओं के साथ अट्याचार करने वाले अपराधी को कङी सजा दी जाएगी.  सामूहिक बलात्कार के लिए 20 साल की सजा की गारंटी है और 18 साल से कम उम्र की किसी भी महिला के साथ दुष्कर्म होने पर मौत की सजा सुनिश्चित की जायेगी। भारतीय दंड संहिता 1860 और उसमें किए गए संशोधन: भारतीय दंड संहिता अंग्रेजी शासन के दौरान 1860 में लाई गई थी। इसके अनुसार राज्य के अस्तित्व को सुरक्षित रखने और सुरक्षित रखने और संरक्षित करने के प्रावधान हैं और राज्य के खिलाफ अपराध के मामले में मौत की सजा या आजीवन कारावास और जुर्माने की सबसे कठोर सजा देने का प्रावधान है। नए कानून के हिसाब से नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने का भाव है. इसका मकसद  अपराधी को सजा दिलाने से ज्यादा उन्हें उनकी गलती का एहसास कराना है. भारतीय न्याय संहिता 2023 के अनुसार दंड संहिता को न्याय संहिता में परिवर्तित कर दिया गया है। इसके अनुसार 22 प्रावधान पूर्व आईपीसी धारा के हैं जबकि 175 प्रावधानों में संशोधन किया गया है और 9 नए अनुभाग शामिल किए गए हैं। इस बिल में कुल 356 प्रावधान हैं। नए बिल के अनुछेद 150 में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना है. दंड प्रक्रिया संहिता 1898 और उसमें किए गए संशोधन: दंड प्रक्रिया संहिता  1898 में अस्तित्व में आया था। इसमें कुल 37 अध्याय और 484 धाराएं शामिल हैं। इस संहिता की मुख्य विशेषता ये थी की ये न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करना है। इस बिल का मुख्य लक्ष्य भारतीय समाज को सही तरीके से चलाना था.  अब इसकी जगह पर भारतीय नागरिक सुरक्षा 2023 को लाया गया है। इसमें नए बिल में 5 पूर्व प्रावधान और 23 प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं और एक नया प्रावधान शामिल किया गया है। इसमें कुल 170 अनुभाग शामिल हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 और उसमें किए गए संशोधन: भारतीय साक्ष्य अधिनियम के पूर्व के प्रावधान के अनुसार धारा 60 के अनुसार यदि मामले के तथ्यों के बारे में अदालत में एक गवाह द्वारा कोई भी मौखिक सबूत दिया जाता है। धारा 65 बी के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड सबूत के रूप में स्वीकार्य हैं। नए बिल में किए गए प्रमुख बदलाव: नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी जबकि पहले उसमें कुल 511 धाराएं होती थी. सबूत जुटाने के टाइव वीडियोग्राफी करनी जरूरी होगी. किसी भी तरह के गैंग रेप के लिए 20 साल की सजा या उर्म कैद की सजा होगी. जिन भी धाराओं में 7 साल से अधिक की सजा है वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी. पीङीत अपराध की रिपोर्ट देश के किसी भी थाने में दर्ज करा सकता है. 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. शादी का झांसा देकर रेप के लिए अलग से प्रावधान बनाए गए हैं. 90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी. सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 120 दोनों के अंदर अनुमति देनी जरूरी है. घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्क की जाएगी. संगठित अपराध में कठोर सजा सुनाई जाएगी. गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा. गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी. 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा. 

क्या अमेरिका सबसे छुप कर aliens पर काम कर रही है!

ऐसा पहली बार हुआ है की किसी देश के पूर्व अधिकारीयों ने खुद सामने आकर सरकार द्वारा इन aliens पर हो रहे एक्सपेरीमेंट्स का भांडा फोड़ा है। अमेरिका: अनआइडेंटिफाईड फ्लाइइंग ऑब्जेक्ट(UFO) और aliens अब फिल्मों तक सीमित नहीं रह गई है। ये बात कोई नई नहीं है। कई देश इसके ऊपर समझने की हर प्रयास कर रहे है। पर ऐसा पहली बार हुआ है की किसी देश के पूर्व अधिकारीयों ने खुद सामने आकर सरकार द्वारा इन एलीअंस पर हो रहे एक्सपेरीमेंट्स का भांडा फोड़ा है। अमेरिका के ऊपर पहले भी कई ऐसे आरोप लगते आए है की विश्व शक्ति बने रहने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी है। इसी कड़ी मे ये भी शामिल है की अब एलीअंस के ऊपर जानकारी छुपा रखी है जिससे कोई अन्य देश उनके शक्तियों का उपयोग ना कर पाए। इसपर खुद अमरीकी अधिकारियों  द्वारा इतने बार रिपोर्ट्स दायर किया गया की US Congress को सुनवाई रखनी पड़ी। जिसे नाम दिया गया “अज्ञात हवाई घटनाएँ(UPA)”। क्या दावे किए जा रहे है? जून में पूर्व ख़ुफ़िया विभाग के अधिकारी डेविड ग्रुश ने दावा किया की सरकार गुप्त रूप से विदेशी अंतरिक्ष यान को आश्रय दे रही थी। और ये दावा लास्ट नेल इन कॉफिन जैसा था, जिसके बाद सभी अमेरिकी विधायकों ने अमेरिकी सरकार से जवाब मांगी है। डेविड ग्रुश का दावा है कि वह “कई सहयोगियों” को जानते हैं जो यूएपी गतिविधि और अमेरिकी सरकार के भीतर व्यक्तियों द्वारा शारीरिक रूप से घायल हुए थे। आगे पूछे जाने पर, ग्रुश ने विस्तार से बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि कुछ यूएपी पुनर्प्राप्तियों के संबंध में बायोलॉजिक्स पाए गए थे, और कार्यक्रम के बारे में जानने वाले व्यक्तियों द्वारा उनका गैर-मानवीय मूल्यांकन किया गया था। ग्रुश का ये भी दावा है की अमेरिकी सरकार दुर्घटनाग्रस्त यूएफओ को इकट्ठा करने और इंजीनियर करने के लिए एक “बहु-दशक” कार्यक्रम चलाते आ रहे है। उसने बताया की वो जनता है की सरकार उन्हे कहा रखती है और उसने उसका खुलासा जिम्मेदार अधिकारियों के सामने किया। अन्य गवाहों में डेविड फ्रैवर, एक पूर्व नौसेना कमांडर शामिल थे, जिन्होंने 2004 के प्रशिक्षण मिशन के दौरान एक अजीब वस्तु को याद किया था, और एक सेवानिवृत्त नौसेना पायलट रयान ग्रेव्स, जिन्होंने वर्षों तक नियमित रूप से अटलांटिक तट पर यूएपी को देखा था। सुनवाई के दौरान तीन गवाहों ने UPA के साथ अपने अनुभव साँझा कीये। डेविड ग्रुश का आरोप है कि सरकार UPA के संबंध में गोपनीयता के साथ काम कर रही है, जबकि ग्रेव्स और फ्रैवर दोनों ने इन हवाई घटनाओं के साथ प्रत्यक्ष अनुभव के बारे में बताया। सरकार aliens पर क्या कह रही है? पेंटागन ने ग्रुश के कवर-अप दावों का खंडन किया, जिसमें कहा गया कि कोई भी सत्यापन योग्य सबूत अलौकिक सामग्री कार्यक्रमों के अस्तित्व का समर्थन नहीं करता है। 50 से अधिक वर्षों से, यूएपी में रुचि जारी है। यहां तक ​​कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड और जिमी कार्टर ने भी यूएफओ देखने का दावा किया था। यूएफओ के मुद्दे ने दोनों पक्षों के राजनेताओं को एकजुट कर दिया है। कांग्रेस सदस्यों का मानना ​​है कि जब यूएपी की रिपोर्ट की बात आती है तो अमेरिकी लोग पारदर्शिता और जवाबदेही के पात्र हैं। ये भी पढ़ें: Smart Tattoo- अब बस एक कला नहीं चिकित्सा उपकरण भी?

Smart Tattoo- अब बस एक कला नहीं चिकित्सा उपकरण भी?

कुछ शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि टैटू की अगली पीढ़ी “Smart Tattoo” चिह्नों से कहीं अधिक होगी। लंदन: कला के सबसे पुराने रूपों में से एक टैटू को माना जाता है, जो हजारों साल पुराना है और मानव इतिहास में कई संस्कृतियों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता है। इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक शोधकर्ता डॉ. अली यतिसेन ने बताया है की, “Smart Tattoo” पिगमेन्ट मानव शरीर में कुछ बायोमार्कर की निगरानी के लिए चमड़े के नीचे इंजेक्ट किया जा सकता है। यतिसेन कहते हैं, उनकी अवधारणा पारंपरिक टैटू स्याही को “कार्यात्मक सामग्रियों” से बदल देती है, “ऐसे टैटू बनाते हैं जो बाहरी उत्तेजनाओं के जवाब में अपना रंग बदलते हैं”, जैसे कि मधुमेह वाले लोगों के लिए ब्लड शुगर के स्तर में बदलाव, गुर्दे या यकृत के कार्यों की निगरानी करना, या एथलीट में डिहायड्रेशन जैसी दिक्कतें। यतिसेन का कहना हैं, “हमें उम्मीद है कि अब कोई भी बीमारी पहचानने के लिए ये नवीन प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाएगा”।  इसमें “इंजेक्टेबल सेंसर” की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है जो वास्तविक समय में मानव स्थिति की रिपोर्ट और प्रदर्शन कर सकती है। और कहा हुए है Smart Tattoo पर काम? कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के डॉ. कार्सन ब्रून्स विकिरण या यूवी प्रकाश जोखिम जैसे बाहरी कारकों की निगरानी में मदद करने के लिए स्मार्ट टैटू पर काम कर रहे हैं, जो त्वचा कैंसर का एक प्रमुख कारण है। ऐसे अदृश्य रहने वाले टैटू यूवी रे के संपर्क में आने पर स्वयं प्रकट हो जाएगा, जैसे कि जब कोई व्यक्ति बहुत लंबे समय तक धूप में रहता है। अधिक सनस्क्रीन लगाने पर या सूरज की रौशनी छोड़ने के बाद गायब हो जाता है। ब्रून्स के टीम ने तब से स्मार्ट टैटू पिगमेंट विकसित किया है जो कम से कम तीन साल तक काम कर सकता है, और प्रकाश स्रोत को नियंत्रित करके इसे “चालू और बंद” किया जा सकता है। Smart Tattoo के फायदे शोधकर्ताओं का कहना है कि स्मार्ट घड़ियों या ग्लूकोज मॉनिटर जैसी पहनने योग्य तकनीक की तुलना में स्मार्ट टैटू का एक फायदा यह है कि उन्हें हैक नहीं किया जा सकता है या बैटरी खत्म नहीं की जा सकती है। “(स्मार्ट टैटू) सबसे सुविधाजनक हैं,” उनका मानना ​​है, “क्योंकि यह पहनने योग्य वस्तुओं और इमप्लान्ट के बीच एक अद्भुत मध्य का रास्ता है”। चुनौतियाँ क्या है? एक चुनौती है आम जनता को इस तकनीक को स्वीकार करने के लिए तैयार करना। कुछ लोगों और संस्कृतियों के लिए, टैटू बनवाना एक कलंक है, जबकि अन्य के मन में त्वचा के नीचे इंजेक्शन की सुरक्षा के बारे में सवाल हैं। यतिसेन की तकनीक का परीक्षण सुअर की त्वचा पर किया गया है, और अगले तीन वर्षों में मानव नैदानिक ​​​​परीक्षणों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। एक और चुनौती यह सुनिश्चित करना होगी कि डेटा पर्याप्त और सटीक हों, जिससे बीमारी की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए “सार्थक, कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि” प्राप्त हो सके। ये भी पढ़ें: King Charles को मिलने वाला ग्रांट 45% से क्यों बढ़ाया गया? https://aayudh.org/king-charles-grant-hiked-by-45/

King Charles को मिलने वाला ग्रांट 45% से क्यों बढ़ाया गया?

इंग्लैंड के 70 वर्षीय King Charles के सालाना वेतन मे तत्काल के 908 करोड़ रुपये से 2025 में 45% बढ़ोतरी होने वाली है। और उधर डोकटोरों की बस 5% वेतन बधाई गई है। ब्रिटेन: किंग चार्ल्स III को UK के करदाताओं से सार्वजनिक धन में पर्याप्त वृद्धि प्राप्त होने वाली है, राजशाही के वार्षिक बजट में 2025 से 45% की वृद्धि हुई है। सरकार संप्रभु अनुदान को बढ़ावा देने की योजना बना रही है, जो क्राउन एस्टेट से होने वाले मुनाफे के मुकाबले मौजूदा £86 मिलियन (₹908 करोड़) से £125 मिलियन (₹1,320 करोड़) तक आंका गया है। राजकोष द्वारा प्रकाशित रॉयल फंडिंग की समीक्षा यह सुझाव देने के लिए तैयार की गई थी कि राजा सार्वजनिक सेवाओं के लिए क्राउन एस्टेट फंड को चैनल करने के लिए वेतन में कटौती करेंगे। हालाँकि, वास्तव में, राजशाही को 2025 से महत्वपूर्ण वेतन वृद्धि मिलने वाली है, जैसा कि द गार्जियन ने बताया है। कैसे तय होता है ये ग्रांट? 2011 में तत्कालीन प्रधान मंत्री डेविड कैमरन और चांसलर जॉर्ज ओसबोर्न द्वारा पेश किया गया फॉर्मूला, सम्राट की फंडिंग को क्राउन एस्टेट के मुनाफे के एक प्रतिशत से जोड़ता है। रॉयल ट्रस्टी, जिसमें प्रधान मंत्री, चांसलर और राजा के वित्तीय सलाहकार शामिल हैं, इस प्रतिशत को तय करते हैं, जिसे 2017 से 25% पर निर्धारित किया गया है, जिससे संपत्ति के मुनाफे में वृद्धि के कारण राजशाही के लिए वित्त पोषण में लगातार वृद्धि हुई है। King Charles क्या करते है इतने पैसों से? ब्रिटेन के सरकार का मानना है की ये शाही परिवार ब्रिटेन की शान है। इनको अपने कामन्वेल्थ देशों मे प्रजा से मिलने जाना होता है और कई कार्यक्रमों मे शिरकत देनी होती है इसलिए इतने पैसे इनको अपने रख रखाव और घूमने के लिए मिलते है। डॉक्टर धरने पर क्यों बैठे है? इंग्लैंड में वरिष्ठ डॉक्टर 20-21 जुलाई को लगभग 50 वर्षों में वेतन को लेकर अपनी पहली हड़ताल पर बैठे। 20,000 से अधिक सलाहकारों (86%) ने ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के मतदान में वेतन को लेकर हड़ताल के पक्ष में मतदान किया, जिसमें 71% मतदान हुआ। हड़ताल का मतलब है कि नैशनल हेल्थ सर्विस (NHS) को सेवा के बहुत कम स्तर पर काम करना होगा। यह वाकआउट वेतन-समीक्षा निकाय की सिफारिशों के अनुरूप 6% वृद्धि की सरकार की “अंतिम पेशकश” को लेकर है, लेकिन जो डॉक्टर चाहते हैं, उनका वेतन 8% के महंगाई दर के कारण कम हो गया है। यह डॉक्टर एक बार में पूर्ण वेतन बहाली की मांग नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय, वे चाहते हैं कि सरकार वेतन वृद्धि देना शुरू करे जो कम से कम इन्फ्लैशन रेट के बराबर हो, जो वर्तमान में 11% से थोड़ा ऊपर है। NHS कंसल्टेंटस प्रति वर्ष औसतन £126,000 से अधिक कमाते हैं, जिसमें अतिरिक्त घंटों और प्रदर्शन के लिए अतिरिक्त वेतन भी शामिल है। उन्हें निजी काम के लिए अतिरिक्त भुगतान भी किया जा सकता है – लेकिन सभी ऐसा नहीं करते हैं। इन्फ्लैशन के रीटेल प्राइस इंडेक्स (RPI) माप को ध्यान में रखने के बाद, 2008 से उनका वेतन 27% गिर गया है। ब्रिटेन को ये याद तो दिलाना ही पड़ता है की वो पहले शासक थे अब नहीं, पर वहाँ की सरकार को ये भी बताना होगा की वेतन बढ़ाने के लिए कौन योग्य है 24 घंटे काम करने वाले डॉक्टर की सबको लूटने वाले शासक। ये भी पढ़ें: Sweden में कुरान जलाने की नौबत क्यों आई? https://aayudh.org/quraan-burning-in-sweden/

Sweden में कुरान जलाने की नौबत क्यों आई?

“मुझे मुस्लिमों से कोई दिक्कत नहीं, उनकी विचारधारा से है”, कुरान जलाने वाले मोमिका ने कहा। स्वीडेन: “मुझे मुस्लिमों से कोई दिक्कत नहीं, उनकी विचारधारा से है”, ऐसा कहना है 37 साल के सलवान मोमिका का, जो की खुद स्वीडेन में रह रहे एक इराकी शरणार्थी है। इस साल 28 जून, इस्लाम के बड़े त्योहारों मे से एक, बकरीद के दिन इसने स्वीडेन की राजधानी स्टॉकहोम के सबसे बड़े मस्जिद के सामने इस्लाम का पवित्र किताब, कुरान के कुछ पन्ने जला दिए थे। स्वीडिश पुलिस ने ‘Freedom of Speech’ कानूनों के अनुसार, मोमिका को विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी थी। लेकिन बाद में पुलिस ने कहा कि नफरत फैलाने के लिए घटना की जांच की जा रही है। मुसलमान कुरान को ईश्वर का पवित्र शब्द मानते हैं और इसके प्रति किसी भी जानबूझकर क्षति या अनादर को बेहद अपमानजनक मानते हैं। मुस्लिम देशों ने क्या कहा? इस घटना से नाटो के सदस्य तुर्कीये सहित अन्य मुस्लिम-बहुल देशों में भी गुस्सा फैल गया।   तुर्कीये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा: “हम अंततः अहंकारी पश्चिमी लोगों को सिखाएंगे कि मुसलमानों का अपमान करना विचार की स्वतंत्रता नहीं है।” इराक, ईरान, सऊदी अरब और मिस्र सहित मध्य पूर्वी देशों ने इस आगजनी की कड़ी आलोचना की। मोरक्को और जॉर्डन ने स्टॉकहोम से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है और मोरक्को ने रबात में स्वीडन के प्रभारी डी’एफ़ेयर को भी तलब किया है। पाकिस्तान मे भारी रैलियाँ भी निकाली गई। कई देशों मे तो स्वीडिश एमबस्सी पर हमले भी किए गए। इराक के बग़दाद मे 20 जुलाई को स्वीडिश एम्बसी पर हमले के जवाब में फिर से स्टॉकहोम मे इराक़ी दूतावास के सामने मोमिका ने इराक़ी झंडे और कुरान को जमीन पर फेंक कर पैर से मारा। पहले भी कुरान जलाने की कोशिश हुई थी? फरवरी में, मोमिका ने स्टॉकहोम में इराकी दूतावास के सामने कुरान जलाने की अनुमति मांगी, जबकि एक अन्य व्यक्ति ने तुर्किये के स्टॉकहोम दूतावास के सामने कुरान जलाने की अनुमति मांगी। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया, लेकिन दोनों पुलिस के फैसले को अदालत में ले गए। स्वीडिश प्रशासनिक न्यायालय ने 4 अप्रैल को पुलिस के फैसले को पलट दिया, यह तर्क देते हुए कि “सुरक्षा जोखिम संबंधी चिंताएं” प्रदर्शन के अधिकार को सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं थीं। मामला जब देश की सुप्रीम कोर्ट में गया तो 12 जून को उसने जलाने की इजाजत को बरकरार रखा। 21 जनवरी को, डेनिश-स्वीडिश राजनेता रासमस पलुदान ने स्टॉकहोम में तुर्की दूतावास के सामने कुरान की एक प्रति जलायी थी। भारी पुलिस सुरक्षा के बीच हुई कार्रवाई के दौरान किसी को भी पलुदान के पास आने की अनुमति नहीं दी गई थी। स्वीडन के प्रधान मंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने कहा कि कुरान जलाना “कानूनी लेकिन उचित नहीं” था। पर सवाल ये है की ‘Freedom of Expression’ के अंदर किसी की धार्मिक भावना को आहत करना कितना सही है? ये भी पढ़ें: क्या अमेरिका में चुनाव एक कारोबार बन गया है? https://aayudh.org/america-2020-election-budget/