अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन भारतीय इतिहास में एक विशेष दिन है, जो एक ऐसे नेता के उत्सव के रूप में चिह्नित है जिसका प्रभाव आज भी गूंजता रहता है। राजनीतिक दायरे से परे, यह उनके द्वारा प्रतिपादित आदर्शों का सम्मान करने और उनके नेतृत्व से प्रेरणा लेने का दिन है।
यह एक ऐसे राजनेता की स्थायी विरासत की पुष्टि करता है जिसने भारत की नियति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश के पहले प्रधान मंत्री थे जो चाहते थे कि भारत में शिक्षा का माध्यम मातृ भाषा होनी चाहिए। ऊँची से ऊँची शिक्षा मातृ भाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए।
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अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन समारोह राजनीतिक नेताओं को, पार्टी से जुड़े होने के बावजूद, एकता की भावना से एक साथ आने और पूर्व प्रधान मंत्री द्वारा किए गए सकारात्मक योगदान को स्वीकार करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि राज्य कौशल राजनीतिक विभाजन से परे है, और नेता राष्ट्र के व्यापक हित के लिए सामान्य आधार ढूंढ सकते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीति के बाहर की दुनिया
राजनीति से परे अटल बिहारी वाजपेयी अपनी वाक्पटुता और काव्यात्मक अभिव्यक्ति के लिए जाने जाते थे। एक प्रतिभाशाली वक्ता, उनके भाषणों में बुद्धि, बुद्धिमत्ता और राजनेता कौशल का एक दुर्लभ मिश्रण होता था। उनके शब्दों में लाखों लोगों को प्रेरित करने और समाज के विभिन्न वर्गों में गूंजने की शक्ति थी। “मेरी इक्यावन कविताएँ” जैसे संग्रहों में प्रकाशित वाजपेयी की काव्य रचनाएँ, नेता के एक नरम, अधिक चिंतनशील पक्ष को प्रदर्शित करती हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी के कुछ खास उद्देश्य
- शिक्षा का माध्यम मातृ भाषा होनी चाहिए। ऊँची से ऊँची शिक्षा मातृ भाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए।
•टाष्ट कुछ संप्रदायों तथा जनसमूहों का समुच्चय मात्र नहीं, अपितु एक जीवमान इकाई है। - मुझे स्वदेश-प्रेम, जीवन-दर्शन, प्रकृति तथा मधुर भाव की कविताएँ बाल्यावस्था से ही आकर्षित करती रही हैं।
- इंसान बनो केवल नाम से नहीं, केवल रूप से नहीं, शक्ल से नहीं
- बल्कि दिल से, दिमाग से, सरकार से व नाम से
- निरक्षरता और निर्धनता का बड़ा गहरा संबंध है।
- सेवा-कार्यों की उम्मीद सरकार से नहीं की जा सकती। उसके लिए समाज सेवी संस्थाओं को ही आगे उगना पड़ेगा।
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