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क्या अब पैसों के लिए Deep Sea को भी नहीं छोड़ रही ये दुनिया?

Revolt against Deep Sea Mining

कैरीबीयन द्वीप के जमैका में मीटिंग हुई जिसमे कई देश और कम्पनी ये चर्चा कर रहे है की Deep Sea में खनन करना सही होगा या नहीं।

Deep sea समुद्र के उस क्षेत्र को कहते है जहां से रौशनी दिखनी बंद हो जाती है। और अब लोग उसका खनन करना चाहते है।

वैज्ञानिकों की माने तो डीप सीबेड मे निकल, मैंगेनिस  और कोबाल्ट जैसे धातु पाए जाते है जिनका इस्तेमाल कई विद्युत वाहनों के बैटरी और कई ग्रीन टेक्नॉलजी के लिए किया जाता है।

क्या है ISA?

क्योंकि समुद्र किसी देश का हिस्सा नहीं है, इसलिए ये यूनाइटेड नेशन्स के अंतर्गत आता है। तो यहाँ कुछ भी करने के लिए पहले यू. एन. से पहले अनुमति लेनी होती है और उसी के लिए है इंटरनेशनल सिबेड अथॉरिटी (ISA)। 
ISA Jamaica
इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) का गठन 16 नवंबर 1994 को समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) के तहत एक अंतर सरकारी निकाय के रूप में किया गया था।

Deep Sea माइनिंग की बात शुरू हुई थी 2021 मे जब कनाडा की एक कंपनी The Metals Company ने Nuoro नामक एक बहुत छोटी आइलैंड के साथ ये करने के लिए ISA मे अर्जी दाखिल कर दी थी।

Picture of The Metals Company ship in Deep Sea Mining

पर ISA ने इसपर 2 सालों के लिए रोक लगा दिया था जो की अब खत्म हो गया। तब ही से वापस इसे शुरू करने के लिए काफी देश और कम्पनियाँ इस मीटिंग का हिस्सा बने थे।

Deep Sea माइनिंग पर क्या है और देशों के राय?

इसी बीच फ्रांस,जर्मनी जैसे देशों ने Deep Sea माइनिंग के खिलाफ ISA से अनुरोध किया है की इसपर बैन लगना चाहिए और तब तक रोके जाना चाहिए जब तक इस पर और पुख्ते वैज्ञानिक तथ्य ना सामने आ जाए। और बड़े देश जैसे भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन अभी तक अपना पक्ष नहीं रखा है। वो अभी भी इसके ऊपर जानकारी ले रहे है की इसके क्या फायदे-नुकसान हो सकते है।

जो ये खनन करना चाहते है उनका कहना है की ये जमीनी खनन से कम हानिकारक है। हालांकि इसपर अभी तक कोई और सबूत सामने नहीं आए है।

ऐसा प्रतीत होता है की लोग अपने फायदे के लिए इतनी त्रासदी के बावजूद प्रकृति के किसी भी हिस्से को नहीं छोड़ना चाहते।

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