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भोपाल बना ‘अर्बन जंगल’: शहर के आसपास 30 टाइगर्स, तेंदुओं की संख्या तीन गुना बढ़ी

Bhopal News

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल अब सिर्फ इंसानों के रहने के लिए ही नहीं, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी सबसे सुरक्षित शहरों में शुमार होने लगी है। ताजा वन्यजीव गणना में सामने आए आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि भोपाल तेजी से एक अर्बन वाइल्डलाइफ हब बन रहा है। 

शहर और उसके आसपास के जंगलों में बाघों की संख्या 18 से बढ़कर 30 हो गई है, जबकि तेंदुओं की आबादी करीब तीन गुना बढ़कर लगभग 40 तक पहुंचने का अनुमान है। भोपाल देश का इकलौता ऐसा शहर बनता जा रहा है, जहां शहरी सीमा से सटे जंगलों में बाघ, तेंदुआ, भालू और नीलगाय की स्थायी मौजूदगी देखी जा रही है। इसके साथ ही बड़े तालाब, कलियासोत, केरवा और कोलार डैम जैसे जलाशयों में मगरमच्छ और घड़ियालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।

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वन विभाग द्वारा यह गणना पूरी तरह साइंटिफिक मेथड से की गई। भोपाल के आसपास के जंगलों में 450 से ज्यादा हाई-रेजोल्यूशन कैमरा ट्रैप लगाए गए, जिनसे दिन-रात वन्यजीवों की गतिविधियों की निगरानी की गई। इसके साथ ही पगमार्क, स्कैट, पेड़ों पर खरोंच और फील्ड साइट निरीक्षण के जरिए फिजिकल वेरिफिकेशन किया गया।

अधिकारियों के मुताबिक बाघों से जुड़े 90 प्रतिशत से अधिक आंकड़े कैमरा ट्रैप और ग्राउंड वेरिफिकेशन में मेल खाते हैं, जिससे गणना की विश्वसनीयता और मजबूत होती है।

सूत्रों के मुताबिक तेंदुओं की संख्या में हुई तेज बढ़ोतरी वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए भी हैरान करने वाली है। विशेषज्ञों के मुताबिक बेहतर होता जंगल कवर, जलस्रोतों की उपलब्धता और शिकार प्रजातियों की संख्या में बढ़ोतरी के चलते बड़े मांसाहारी जानवर भोपाल के आसपास के जंगलों में टिके हुए हैं।

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे का कहना है कि यह वृद्धि संरक्षण प्रयासों की सफलता है, लेकिन इसके साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा भी बढ़ रहा है। ग्रामीण इलाकों और शहर से सटे क्षेत्रों में अब पहले से ज्यादा सतर्कता और वैज्ञानिक प्रबंधन जरूरी हो गया है।

भोपाल के आसपास बाघों और तेंदुओं की बढ़ती मौजूदगी जहां पर्यावरण के लिहाज से सकारात्मक संकेत है, वहीं यह वन विभाग और नागरिकों के लिए एक बड़ी चुनौती भी है। पहले भी वन्यजीवों के शिकार, सड़क दुर्घटनाओं और इंसानों से टकराव की घटनाएं सामने आती रही हैं। मगर विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वन्यजीव कॉरिडोर की सुरक्षा, जन-जागरूकता और निगरानी व्यवस्था को और मजबूत नहीं किया गया, तो सहअस्तित्व पर असर पड़ सकता है।

आज भोपाल का जंगल सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि एक जीवंत अर्बन वाइल्डलाइफ कॉरिडोर बन चुका है जहां इंसान और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी जरूरत है।

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