AIIMS Bhopal Doctor Case: भोपाल एम्स की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रश्मि वर्मा का मामला अब सिर्फ आत्महत्या की कोशिश तक सीमित नहीं रहा है। इस घटना ने सरकारी मेडिकल संस्थानों में काम के दबाव, मानसिक स्वास्थ्य और प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
एम्स से मिली जानकारी के अनुसार, डॉ. रश्मि ने एनेस्थीसिया की दवा का हाई डोज खुद को इंजेक्ट किया था। दवा का असर इतना तेज था कि उनका दिल करीब 7 मिनट तक नहीं धड़का। इस दौरान दिमाग को ऑक्सीजन नहीं मिल सकी, जिससे गंभीर ब्रेन डैमेज हुआ।
MRI रिपोर्ट में गंभीर ब्रेन डैमेज की पुष्टि
घटना के 72 घंटे बाद कराई गई MRI रिपोर्ट में डॉक्टरों ने ग्लोबल हाइपोक्सिया ब्रेन की पुष्टि की है। इसका मतलब है कि पूरे मस्तिष्क को लंबे समय तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिली। विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति बेहद गंभीर होती है और इसमें पूरी तरह ठीक होने की संभावना अनिश्चित रहती है।
फिलहाल डॉ. रश्मि वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं और डॉक्टर उनकी हालत पर लगातार नजर रखे हुए हैं।
READ MORE: सीएम मोहन यादव का वाराणसी–जौनपुर दौरा, काशी विश्वनाथ के करेंगें दर्शन; जाने पूरा शेड्यूल
IV लाइन लगवाकर गई थी घर
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि डॉ. रश्मि अस्पताल से केनुला (IV लाइन) लगवाकर घर गई थी। इसी IV लाइन के जरिए उन्होंने एनेस्थीसिया का हाई डोज लिया, जिससे दवा सीधे नसों में पहुंच गई।
जब उनके पति उन्हें एम्स लेकर पहुंचे, तब तक उन्हें कार्डियक अरेस्ट आ चुका था। इमरजेंसी में तीन बार CPR देने के बाद लगभग 7 मिनट में हार्टबीट वापस आई, लेकिन तब तक दिमाग को भारी नुकसान हो चुका था।
आपात बैठक, बड़े प्रशासनिक फैसले
मामले की गंभीरता को देखते हुए रविवार को, छुट्टी के दिन, एम्स प्रबंधन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात बैठक हुई। बैठक के बाद कई बड़े फैसले लिए गए –
- ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग के HOD डॉ. मोहम्मद यूनुस को पद से हटा दिया गया
- ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग को दो अलग-अलग विभागों में बांटा गया
- पूरे मामले की हाई लेवल कमेटी से गोपनीय जांच कराई जाएगी
सूत्रों के अनुसार, इसी विभाग में पहले भी एक महिला डॉक्टर ने HOD के खिलाफ शिकायत की थी, जिसकी जांच अब नई कमेटी करेगी।
READ MORE: प्रशासन ने नहीं कि सुनवाई तो जनता ने खुद हटाया भाईजान का अतिक्रमण