सुप्रीम कोर्ट ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में लगे बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) पर बढ़ते दबाव को देखते हुए राज्यों को अहम निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि BLO के काम के घंटे कम करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया जाए। साथ ही, व्यक्तिगत आधार पर छूट के अनुरोधों पर विचार किया जाए और जरूरत पड़ने पर दूसरे कर्मचारियों को नियुक्त किया जाए।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि राज्य सरकारों और राज्य चुनाव आयोगों के कर्मचारी, जो SIR सहित अन्य वैधानिक कर्तव्यों के लिए ड्यूटी पर हैं, इन कर्तव्यों को निभाने के लिए बाध्य हैं। इसके बावजूद अगर BLO को स्वास्थ्य या निजी कारणों से कठिनाई हो रही है, तो उनके अनुरोधों पर तुरंत निर्णय लिया जाए।
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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी BLO को राहत नहीं मिल रही है, तो वह सीधे अदालत से संपर्क कर सकता है। इस मामले में तमिलगा वेत्री कझगम की ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि काम के दबाव के कारण BLO पर अनुचित कार्रवाई की जा रही है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि SIR जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के लिए पर्याप्त कर्मचारियों की व्यवस्था करें, ताकि BLO पर अत्यधिक दबाव न पड़े और उनका काम सही ढंग से पूरा हो सके।
इस निर्देश से BLO को राहत मिलने की उम्मीद है और उनकी कार्य स्थिति में सुधार होने की संभावना है।