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Bangladesh: शेख हसीना को फांसी की सजा के बाद बांग्लादेश ने भारत से तत्काल प्रत्यर्पण की मांग की तेज

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Bangladesh: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने मौत की सजा सुनाई है। सोमवार, 17 नवंबर 2025 को दिए गए इस फैसले में कोर्ट ने उन्हें जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार माना। ट्रिब्यूनल के मुताबिक हसीना ने हिंसा रोकने के बजाय कार्रवाई के आदेश दिए, जिससे कई छात्रों की मौत हुई।

इसी मामले में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी दोषी पाया गया और फांसी की सजा सुनाई गई। तीसरे आरोपी और पूर्व पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल-ममून को मामले में सरकारी गवाह बनने के बाद 5 साल जेल की सजा हुई। कोर्ट ने हसीना और असदुज्जमान की संपत्ति जब्त करने का भी आदेश दिया।

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फैसले के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने भारत से शेख हसीना और असदुज्जमान को तुरंत बांग्लादेश को सौंपने की मांग की। बयान में कहा गया कि 2013 की भारत–बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि दोनों देशों को दोषियों को एक-दूसरे को सौंपने के लिए बाध्य करती है। अंतरिम सरकार का कहना है कि यदि कोई देश दोषियों को शरण देता है, तो यह अनुचित और न्याय के खिलाफ होगा।

तख्तापलट के बाद 5 अगस्त 2024 को हसीना और असदुज्जमान देश छोड़कर भारत आ गए थे। तब से दोनों भारत में रह रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के बाद हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। दिलचस्प बात यह है कि जिस ICT कोर्ट ने हसीना के खिलाफ फैसला सुनाया, उसकी स्थापना खुद शेख हसीना ने 2010 में युद्ध अपराधों की सुनवाई के लिए की थी।

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