Conversion Case Bilaspur : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हाल ही में एक धर्मांतरण का मामला सामने आया है। यह घटना रामनवमी के दिन घटी, जब एक प्रार्थना सभा के आयोजन के दौरान कथित तौर पर लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा था। इस मामले ने सामाजिक हिन्दू संगठनों को आक्रोशित कर दिया, जिसके बाद उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक पास्टर समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया। Conversion Case : क्या है पूरा मामला ? यह घटना बिलासपुर के कोनी थाना क्षेत्र में हुई। रामनवमी के अवसर पर एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे। हिंदू संगठनों का आरोप है कि इस सभा की आड़ में भोले-भाले लोगों को लालच देकर और भय दिखाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। संगठनों का दावा है कि सभा में उपस्थित लोगों को यह कहा गया कि वे “यशु के प्रकोप से डरें” और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ दें। इस तरह के बयानों से स्थानीय हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया। जब इस घटना की जानकारी हिंदू संगठनों तक पहुंची, उन्होंने तुरंत इसका विरोध शुरू कर दिया। संगठन के कार्यकर्ताओं ने कोनी थाने के पास प्रदर्शन किया और पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि क्षेत्र में लंबे समय से इस तरह की गतिविधियां चल रही हैं। उनका कहना है कि गरीब और अशिक्षित लोगों को निशाना बनाकर उन्हें लालच दिया जाता है, जिससे वे अपने मूल धर्म को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं। पुलिस की कार्रवाई विरोध प्रदर्शन और शिकायतों के बाद पुलिस हरकत में आई। कोनी थाने में इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई और जांच शुरू की गई। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि प्रार्थना सभा में शामिल कुछ लोग वास्तव में धर्मांतरण के लिए दबाव डाल रहे थे। इसके आधार पर एक पास्टर और पांच अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। सरकार से मांग सामाजिक हिंदू संगठनों ने सरकार से मांग की है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि धर्मांतरण एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसे रोका जाना जरूरी है। वहीं, कुछ लोगों ने इसे सामाजिक एकता के लिए खतरा बताया और कहा कि इससे स्थानीय समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ सकता है। ALSO READ : Conversion in Jashpur : सिस्टर विंसी ने छात्रा को विदेश में नौकरी का दिया प्रलोभन WATCH : https://youtu.be/FC7T0flhV2o?si=KV8RgSTocOXS8z7f
Ishant Sharma पर BCCI ने क्यों लगाया जुर्माना ?
Ishant Sharma Fined : आईपीएल 2025 का रोमांच अपने चरम पर है, लेकिन इस बीच गुजरात टाइटंस के तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा एक विवाद के कारण सुर्खियों में आ गए हैं। BCCI ने सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के खिलाफ खेले गए मैच के दौरान आईपीएल आचार संहिता के उल्लंघन के लिए ईशांत पर 25 प्रतिशत मैच फीस का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही उन्हें एक डिमेरिट पॉइंट भी दिया गया है। यह घटना रविवार, 6 अप्रैल 2025 को हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में हुई, जहां गुजरात टाइटंस ने SRH को हराकर अपनी तीसरी जीत दर्ज की थी। लेकिन इस जीत के बावजूद ईशांत के लिए यह मैच किसी झटके से कम नहीं है। क्या हुआ था मैच में…क्यों लगा जुर्माना ? ईशांत शर्मा का प्रदर्शन इस मैच में बेहद निराशाजनक रहा। उन्होंने अपने चार ओवरों में बिना कोई विकेट लिए 53 रन लुटा दिए। SRH के बल्लेबाजों ने उनकी गेंदबाजी पर जमकर धुनाई की, जिसके चलते वे मैदान पर अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईशांत ने क्रिकेट की सामग्रियों या मैदान की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जो आईपीएल की आचार संहिता के अनुच्छेद 2.2 के तहत एक अपराध माना जाता है। इस अनुच्छेद में “मैच के दौरान क्रिकेट की सामग्री, कपड़ों, मैदान के उपकरणों या फिक्सचर और फिटिंग्स के दुरुपयोग” को प्रतिबंधित किया गया है। इस तरह का व्यवहार, जैसे कि विकेट को लात मारना या विज्ञापन बोर्ड को नुकसान पहुंचाना, स्तर 1 (लेवल 1) का अपराध माना जाता है। मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ ने इस मामले की जांच की और ईशांत को दोषी पाया। ईशांत ने अपनी गलती स्वीकार कर ली और श्रीनाथ द्वारा प्रस्तावित सजा को मान लिया। इस कारण औपचारिक सुनवाई की जरूरत नहीं पड़ी। Ishant Sharma : जुर्माना और डिमेरिट पॉइंट का मतलब आईपीएल में आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले खिलाड़ियों पर सख्त कार्रवाई की जाती है। ईशांत पर 25 प्रतिशत मैच फीस का जुर्माना लगाया गया, जो उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा है। इसके अलावा, एक डिमेरिट पॉइंट भी उनके रिकॉर्ड में जोड़ा गया। अगर कोई खिलाड़ी 24 महीने की अवधि में चार डिमेरिट पॉइंट जमा कर लेता है, तो उसे एक मैच के लिए निलंबित कर दिया जाता है। कई खिलाड़ियों पर लगे जुर्माने ईशांत इस सीजन के पहले खिलाड़ी नहीं हैं जिन पर आचार संहिता के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगा हो। लखनऊ सुपर जायंट्स के स्पिनर दिग्वेश राठी, मुंबई इंडियंस के कप्तान हार्दिक पांड्या, राजस्थान रॉयल्स के कप्तान रियान पराग और लखनऊ सुपर जायंट्स के कप्तान ऋषभ पंत भी अलग-अलग कारणों से दंडित किए जा चुके हैं। ALSO READ : Damoh Fake Doctor : फर्ज़ी विदेशी डॉक्टर ने ली 7 लोगों की जान WATCH : https://youtu.be/FC7T0flhV2o?si=Jy66mFFYyyY1d4MS
Damoh Fake Doctor : फर्ज़ी विदेशी डॉक्टर ने ली 7 लोगों की जान
Damoh Fake Doctor : मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक नकली डॉक्टर ने मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया। यह घटना दमोह के मिशन हॉस्पिटल से जुड़ी है, जहां एक शख्स जिसने खुद को कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) बताया। इस नकली डॉक्टर का नाम एन. जॉन कैम बताया जा रहा है, जिसने अपनी पहचान को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। Fake Doctor की असलियत एन. जॉन कैम जिसका असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है, कई दिनों से मिशन हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज कर रहा था। लेकिन जांच में पता चला कि उसके पास न तो कोई वैध मेडिकल डिग्री है और न ही वह किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रशिक्षित है। दावा है कि उसने सिर्फ आंध्र प्रदेश की किसी यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। दमोह से पहले वह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भी कॉर्डियोलॉजिस्ट बनकर कुछ लोगों का ऑपरेशन किया था। यह खुलासा तब हुआ जब कुछ मरीजों की हालत बिगड़ने पर उनके परिजनों ने शक जताया और स्थानीय प्रशासन से शिकायत की। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छानबीन शुरू की तो यह साफ हो गया कि जॉन कैम एक ठग था, जिसने नकली पहचान बनाकर लोगों को धोखा दिया। राजनीतिक रंग और सोशल मीडिया पर हंगामा इस मामले ने तब और तूल पकड़ा जब जॉन कैम के सोशल मीडिया पोस्ट सामने आए। उसने अपने पोस्ट में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रति समर्थन जताया और कांग्रेस पार्टी की आलोचना की। इन पोस्ट्स में उसने खुद को बीजेपी का समर्थक बताते हुए राजनीतिक बयानबाजी की, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उसे जमकर ट्रोल किया गया। कुछ यूजर्स ने इसे बीजेपी से जोड़कर तंज कसा, तो कुछ ने इसे स्वास्थ्य व्यवस्था की नाकामी का सबूत बताया। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। मरीजों के परिजनों ने हॉस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, क्योंकि यह सवाल उठ रहा है कि बिना जांच-पड़ताल के एक नकली डॉक्टर को कैसे नियुक्त किया गया। वहीं, पुलिस ने जॉन कैम के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज कर लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज कर दी है और निजी अस्पतालों में डॉक्टरों की साख की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस ने दर्ज़ किया FIR कोतवाली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत धोखाधड़ी, दस्तावेजों से छेड़छाड़ सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया है। इस मामले में फिलहाल एक नामजद व्यक्ति डॉ. एनजान केम आरोपी है, जबकि दूसरे अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज़ किया गया है। फिलहाल आरोपी डॉक्टर केम फरार है और उसकी तलाश की जा रही है। CM मोहन यादव का बयान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारी सरकार इस विषय को लेकर गंभीर है। हम लगातार केंद्र सरकार के साथ मिलकर इस तरह की घटनाओं पर काम कर रहे हैं। जब भी ऐसी कोई घटना सामने आती है तब हमारी सरकार उसपर कार्रवाही करती है। मैंने संबंधित अधिकारीयों को इसपर एक्शन लेने के आदेश दिए हैं। ALSO READ : Damoh में पुलिस पर हमला: गौहत्या के आरोपी ने की फायरिंग, ASI घायल WATCH : https://youtu.be/FC7T0flhV2o?si=xbWVJd2j1D2kpkaE
Waqf Bill Becomes Law : वक्फ संशोधन विधेयक को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी
Waqf Bill Becomes Law : भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से लाए गए Waqf Amendment Bill, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी मंजूरी दे दी है। यह विधेयक संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – में लंबी और गरमागरम बहस के बाद पारित हुआ था। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह विधेयक अब कानून बन गया है, जिसे “यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) एक्ट, 2025” के नाम से जाना जाएगा। इस नए कानून के लागू होने से वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों के संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की उम्मीद जताई जा रही है। Waqf Bill Becomes Law : पारित होने से लेकर, मंजूरी मिलने तक वक्फ (संशोधन) विधेयक को पहली बार अगस्त 2024 में संसद में पेश किया गया था। इसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया। JPC की सिफारिशों के आधार पर इसमें संशोधन किए गए और इसे बजट सत्र के दौरान संसद में पारित कर दिया गया। लोकसभा में 12 घंटे की मैराथन बहस के बाद 288 सांसदों ने इसके पक्ष में और 232 ने विरोध में मतदान किया। वहीं, राज्यसभा में 17 घंटे से अधिक की चर्चा के बाद 128 वोटों के समर्थन और 95 वोटों के विरोध के साथ यह पारित हुआ। यह राज्यसभा में अब तक की सबसे लंबी बहस में से एक थी। इसके बाद 5 अप्रैल, 2025 को विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया, और 6 अप्रैल की रात को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर कर इसे कानून में बदल दिया। नए कानून के मुख्य प्रावधान इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना है। इसके तहत वक्फ परिषद में चार गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है। जिसमें दो महिलाएं होंगी। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों यह निर्धारित करेंगे कि कोई संपत्ति वक्फ की है या सरकारी। यह कदम वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों को कम करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। इसके अलावा, 1923 के मुसलमान वक्फ अधिनियम को भी निरस्त कर दिया गया है, जो स्वतंत्रता से पहले का कानून था। सरकार का दावा और विपक्ष का विरोध केंद्र सरकार ने इस कानून को सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “सीमांत वर्गों के लिए आवाज और अवसर” प्रदान करने वाला कदम बताया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कानून गरीब मुस्लिमों के हित में है। हालांकि, विपक्षी दलों में शामिल कांग्रेस, AIMIM और AAP, ने इसका कड़ा विरोध किया है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, उनका दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्वायत्तता पर हमला है और संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन करता है। ALSO READ : Waqf Amendment Bill को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतेज़ार, होंगे बड़े बदलाव WATCH : https://youtu.be/FC7T0flhV2o?si=ysMaWOSaBevvhS1b