First Hindu Village in MP : मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम में देश का पहला हिन्दू गांव बनाने की नींव रख दी गई है। कथावाचक और बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार अगले दो सालों में यह हिन्दू गांव बनकर तैयार हो जाएगा। धीरेन्द्र शास्त्री ने 4 अप्रैल, 2025 को विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के भूमिपूजन कर इस गांव की नींव रखी। इस परियोजना के तहत लगभग 1,000 हिंदू परिवारों के लिए एक गांव बसाया जाएगा। एक तरफ हिन्दू समुदाय इस मुहीम का समर्थन कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने मुस्लिम, सिख और ईसाई गांव बसाने की बात कही है। Hindu गांव में मिलने वाली सुविधाएं इस गांव में एक संस्कृत विद्यालय, गौशाला और यज्ञशाला की स्थापना की जाएगी, जो इसे एक धार्मिक और शैक्षिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। धीरेन्द्र शास्त्री का कहना है कि यह परियोजना हिंदू समाज को संगठित करने और हिंदू राष्ट्र की नींव रखने की दिशा में एक पहला कदम है। उनका कहना है कि पहले हिंदू परिवार मजबूत होंगे, फिर हिंदू समाज और अंततः हिंदू ग्राम से हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ा जा सकेगा। Hindu Village : तीन कैटगरी में मिलेंगे फ्लैट गांव में फ्लैट्स धर्म के नाम पर मिलेंगे। गांव में मिलने वाले फ्लैट्स को तीन कैटगरी में बाँटा गया है। ग्राउंड फ्लोर के फ्लैट की कीमत 17 लाख रुपये होगी। फर्स्ट फ्लोर के फ्लैट की कीमत 16 लाख और सेकंड फ्लोर के फ्लैट की कीमत 15 लाख रुपये तय की गई है। जानकारी के अनुसार मकानों की फाइनल बुकिंग होने पर 5 लाख रुपये एडवांस देने होंगे, बाकी की राशि एक साल के भीतर जमा करना होगा। गैर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित इस गांव की एक खास बात यह है कि यहां जमीन बागेश्वर धाम जनसेवा समिति द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन इसे खरीदा या बेचा नहीं जा सकेगा। शास्त्री ने यह भी घोषणा की है कि इस गांव में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित होगा, जिसने इसे विवादों के केंद्र में ला दिया है। धीरेन्द्र शास्त्री का मानना है कि यह गांव न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बनेगा। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि हर गांव में सच्चे हिंदुओं को तैयार करने का अभियान शुरू किया जाएगा, जिसके लिए बागेश्वर धाम से टीमें पहले ही रवाना हो चुकी हैं। कांग्रेस ने की मुस्लिम और ईसाई गांव की मांग कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि यदि हिंदू ग्राम बनाया जा रहा है, तो मुस्लिम, ईसाई और सिख समुदायों के लिए भी अलग-अलग गांव बनाए जाएं। उनका कहना है कि यह परियोजना संविधान के समानता के सिद्धांत के खिलाफ है और इससे सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं, धीरेन्द्र शास्त्री के समर्थकों का कहना है कि यह एक निजी धार्मिक पहल है, जिसमें किसी को जबरदस्ती शामिल नहीं किया जा रहा। ALSO READ : पश्चिम बंगाल में ममता दीदी को लगा बड़ा झटका, HC ने दी अनुमति WATCH : https://youtu.be/Nxw71-XItRE?si=KKYa9zP3Zul3sM81
पश्चिम बंगाल में ममता दीदी को लगा बड़ा झटका, HC ने दी अनुमति
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में रामनवमी का पर्व हमेशा से उत्साह का प्रतिक रहा है। 4 अप्रैल 2025 को कलकत्ता हाई कोर्ट (HC) ने हावड़ा में शोभायात्रा निकालने की अनुमति दे दी है, जिसने ममता बनर्जी की सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले से हिन्दू समाज के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। HC ने दी इजाजत, पुलिस ने किया था इंकार कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हिंदू संगठनों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हावड़ा में रामनवमी शोभायात्रा को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी। कोर्ट के इस फैसले के अनुसार, शोभायात्रा 6 अप्रैल 2025 को सुबह 8:30 बजे शुरू होगी और निर्धारित समय के भीतर समाप्त होगी। इसके लिए पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी वाहनों को तैनात करने का निर्देश दिया गया है। यह निर्णय तब आया जब हावड़ा पुलिस ने पुरानी घटनाओं का हवाला देते हुए इस आयोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। पुलिस का कहना था कि पिछले वर्षों में इस तरह के आयोजनों के दौरान सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं हुई थीं, जिसके कारण सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई थीं। हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाई। हथियार पर लगा प्रतिबन्ध हावड़ा में होने वाली इस शोभायात्रा का आयोजन अनजनी पुत्र सेना और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों के द्वारा किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार यह शोभायात्रा नरसिंह मंदिर से शुरू होकर जीटी रोड के रास्ते हावड़ा मैदान तक जाएगी। कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि इस दौरान कोई हथियार नहीं ले जाएगा, हालांकि झंडे और प्लास्टिक की गदाएं ले जाने की अनुमति दी गई है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, पुलिस ड्रोन और CCTV के जरिए इसकी निगरानी करेगी ताकि किसी भी तरह की सांप्रदायिक घटना को होने से रोका जा सके। भाजपा ने लगाए आरोप इस फैसले को ममता बनर्जी सरकार के लिए एक झटके के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही रामनवमी के अवसर पर शांति बनाए रखने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि वह किसी भी धार्मिक आयोजन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जाना चाहिए। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस फैसले को अपनी जीत के रूप में पेश किया है। भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने इसे “आस्था की जीत” करार देते हुए ममता सरकार पर धार्मिक अधिकारों को दबाने का आरोप लगाया। ALSO READ : America Imposes Tarrif : भारत समेत 180 देशों पर लगा टैरिफ WATCH : https://youtu.be/5MMI2QghmJE?si=T0vhgQZb–aBAeVB
America Imposes Tarrif : भारत समेत 180 देशों पर लगा टैरिफ
America Imposes Tarrif : अमेरिका ने भारत सहित कई देशों पर पारस्परिक शुल्क (reciprocal tariffs) लगाने की घोषणा की है। इस नीति के तहत भारत पर 26% का शुल्क लगाया गया है, अमेरिका का दावा है कि यह भारत द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए 52% शुल्क का आधा है। इसके अलावा, यूरोप, एशिया और अन्य क्षेत्रों के कई देश भी इस शुल्क के दायरे में आए हैं। America Imposes Tarrif : भारत पर क्या होगा असर ? अमेरिका ने भारत पर 26% का पारस्परिक शुल्क लगाया है, जिसे 5 अप्रैल से 10% की आधार दर के साथ शुरू किया जाएगा और 9 अप्रैल से पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। यह शुल्क भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है, हालांकि फार्मा सेक्टर को इससे छूट दी गई है। ट्रम्प ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना “अच्छा मित्र” बताया, लेकिन यह भी कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार में “कठोर” रवैया अपनाता है। उनके अनुसार, यह शुल्क उन देशों के खिलाफ “दयालु” जवाबी कार्रवाई है जो अमेरिकी वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के आईटी और फार्मा क्षेत्र बड़े पैमाने पर प्रभावित नहीं होंगे, लेकिन अन्य क्षेत्रों में चुनौतियां बढ़ सकती हैं। Trump ने Penguins पर लगाए टैरिफ यह शुल्क नीति केवल भारत तक सीमित नहीं है। यूरोपीय यूनियन (EU) पर 20%, चीन पर 34%, और जापान पर 24% का शुल्क लगाया गया है। छोटे देशों में लेसोथो जैसे अफ्रीकी देश को सबसे अधिक 50% शुल्क का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा, एक हैरान करने वाली खबर यह है कि अमेरिका ने अंटार्कटिक क्षेत्र के हर्ड आइलैंड और मैकडोनाल्ड आइलैंड्स पर भी 10% शुल्क लगाया है। इन आइलैंड्स पर कोई भी व्यक्ति नहीं रहता है, यह केवल पेंगुइन और पक्षियों का निवास स्थान हैं, जिसके कारण अमेरिका का यह फैसला सोशल मीडिया पर चर्चा और मजाक का विषय बन गया है। अमेरिका के इस फैसले से वैश्विक बाजार में हलचल मच गई है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि EU इसके जवाब में अपनी नीतियां तैयार कर रहा है, जबकि चीन ने भी जवाबी कार्यवाही करते हुए अमेरिका पर 34% टैरिफ लगाया है। ALSO READ : PM मोदी और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात…क्या भारत करेगा स्वीकार ? WATCH : https://youtu.be/Nxw71-XItRE?si=h0RMYI46hYNK24EM
PM मोदी और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात…क्या भारत करेगा स्वीकार ?
PM Modi Meets Muhammad Yunus : शुक्रवार (4 अप्रैल, 2025) को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक ऐतिहासिक मुलाकात हुई, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की। यह बैठक BIMSTEC शिखर सम्मेलन के दौरान हुई, जो दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह पहली बार था जब दोनों नेता आमने-सामने बैठे, खासकर उस समय जब बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में खटास देखी जा रही थी। बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में खटास की वजह ? पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी थी, जिसके बाद मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की कमान संभाली। इस बदलाव के बाद से भारत-बांग्लादेश के संबंधों में तनाव बढ़ा, खासकर अल्पसंख्यकों पर हमलों और बांग्लादेश के चीन के साथ बढ़ते संबंधों को लेकर। भारत ने कई बार बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों पर चिंता जताई थी, जिसका जवाब ढाका ने यह कहकर दिया था कि यह उसका आंतरिक मामला है। हाल ही में यूनुस की चीन यात्रा और वहां एयरबेस निर्माण की पेशकश ने भारत की चिंताओं को और बढ़ा दिया था। ऐसे में यह मुलाकात दोनों देशों के बिगड़े संबधों को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या हुआ बैठक में ? मोहम्मद यूनुस और PM मोदी के बीच हुई यह बैठक करीब 40 मिनट तक चली। दोनों नेताओं ने आपसी हितों, क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक, PM मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया, जबकि यूनुस ने भारत से शेख हसीना को वापस करने की मांग दोहराई। इस मुलाकात में औपचारिक रूप से हाथ मिलाते हुए दोनों नेताओं की तस्वीरों ने सुर्खियां बटोरीं। ALSO READ : Manoj Kumar Passes Away : भारतीय सिनेमा ने खोया एक नायाब सितारा…’पाकिस्तान में हुआ था जन्म’ WATCH : https://youtu.be/RnP-YJxflDA?si=2RHATJwDnxiChQu7
Manoj Kumar Passes Away : भारतीय सिनेमा ने खोया एक नायाब सितारा…’पाकिस्तान में हुआ था जन्म’
Manoj Kumar Passes Away : शुक्रवार (4 अप्रैल, 2025) को भारतीय सिनेमा ने अपने एक अनमोल रत्न को खो दिया। मशहूर अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार का 87 वर्ष की आयु में मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। देशभक्ति से जुड़ी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले मनोज कुमार ने अपने अभिनय और निर्देशन से लाखों दिलों पर राज किया। उनके निधन से पूरा देश स्तब्ध है। Manoj Kumar के जीवन से जुड़ी रोचक बातें : मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई, 1937 को तत्कालीन ब्रिटिश भारत के अब्बोटाबाद (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। उनका असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी था। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया, जहां से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। बॉलीवुड में कदम रखने से पहले उन्होंने अपने नाम को हरिकृष्ण से बदलकर मनोज कुमार रख लिया। इस बदलाव के पीछे की सबसे बड़ी वजह दिलीप कुमार थे। उन्होंने जब दिलीप कुमार की फिल्म शबनम (1949) देखी तो वह उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होने दिलीप के स्क्रीन नाम मनोज कुमार को अपना लिया। Manoj Kumar : “फैशन” से “मैदान-ए-जंग” तक मनोज कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1957 में फिल्म “फैशन” से की, लेकिन उन्हें असली पहचान 1965 में रिलीज हुई फिल्म “शहीद” से मिली। इस फिल्म में उन्होंने भगत सिंह की भूमिका निभाई, जिसने दर्शकों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगा दी। इसके बाद “उपकार” (1967), “क्रांति” (1981), और “पूरब और पश्चिम” (1970) जैसी फिल्मों ने उन्हें “भारत कुमार” की उपाधि दिलाई। मनोज कुमार की फिल्में केवल मनोरंजन का साधन नही थीं, बल्कि समाज में देशप्रेम की भावना को बढ़ाने का एक जरिया थीं। “उपकार” में उनका गीत “मेरे देश की धरती” आज भी लोगों के दिलों में गूंजती है। बड़े पर्दे पर मनोज कुमार को आखिरी बार “मैदान-ए-जंग” में देखा गया था। मनोज कुमार की खासियत यह थी कि वे अपनी फिल्मों के जरिए सामाजिक संदेश देने में माहिर थे। उन्होंने न सिर्फ अभिनय किया, बल्कि कई फिल्मों का लेखन और निर्देशन भी किया। उनकी फिल्मों में देश की संस्कृति, एकता और स्वतंत्रता संग्राम की भावना को प्रमुखता से दर्शाया गया। “क्रांति” जैसी फिल्म में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को जीवंत कर दिखाया। सिनेमा में योगदान के लिए मिले पुरस्कार मनोज कुमार को सिनेमा जगत में योगदान देने के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। 1992 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। उन्होंने कई फिल्मफेयर अवार्ड्स भी जीते, जिनमें उन्हें उपकार और रोटी कपड़ा और मकान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिला। मनोज कुमार को वर्ष 2015 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च सम्मान “दादा साहेब फाल्के अवार्ड” से भी सम्मानित किया गया। एक अपूरणीय क्षति मनोज कुमार का निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी फिल्में और उनकी देशभक्ति का जज्बा हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। वे भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी रचनाएं और उनका व्यक्तित्व हमेशा सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेगा। ALSO READ : Waqf Amendment Bill को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतेज़ार, होंगे बड़े बदलाव WATCH : https://youtu.be/5MMI2QghmJE?si=TdJ35nIAOzbRImd1
Waqf Amendment Bill को राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतेज़ार, होंगे बड़े बदलाव
Waqf Amendment Bill Awaits for President Approval : 4 अप्रैल, 2025 को भारतीय संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह अब कानून बनने की दिशा में केवल एक कदम दूर है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद इस विधेयक को कानून बना दिया जाएगा। लोकसभा में यह विधेयक 288-232 वोटों से और राज्यसभा में 128-95 वोटों से पारित हुआ। इस विधेयक के लागू होने से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। Waqf Amendment Bill से होने वाले बदलाव डिजिटाइजेशन: वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना है। इसके तहत एक केंद्रीकृत पंजीकरण पोर्टल बनाया जाएगा, जिसमें सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड होगा। इससे संपत्तियों के दुरुपयोग और अतिक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी: इस विधेयक के तहत वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है। सरकार का कहना है कि इससे विविधता और निष्पक्षता आएगी, लेकिन कई मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला बताया है। सरकारी नियंत्रण में वृद्धि: अब जिला कलेक्टर जैसे सरकारी अधिकारी वक्फ संपत्तियों का सर्वे करेंगे। यदि कोई सरकारी संपत्ति गलत तरीके से वक्फ के रूप में दर्ज है, तो उसे वक्फ की सूची से हटाया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले कोई भी संपत्ति बिना दस्तावेज के वक्फ घोषित हो सकती थी। महिला सशक्तिकरण: विधेयक के अनुसार Waqf Board में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का प्रावधान है। इसका मकसद मुस्लिम महिलाओं, खासकर विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। आर्थिक सुधार: वक्फ संस्थानों से बोर्ड को दी जाने वाली अनिवार्य राशि 7% से घटाकर 5% कर दी गई है। साथ ही, 1 लाख रुपये से अधिक आय वाली संस्थाओं का ऑडिट राज्य द्वारा नियुक्त ऑडिटर करेंगे। Waqf Amendment Bill पर सरकार का पक्ष इस विधेयक को लेकर मुस्लिम समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। सरकार और समर्थक इसे गरीब मुस्लिमों के लिए फायदेमंद मानते हैं, क्योंकि इससे वक्फ संपत्तियों की आय बढ़ेगी, जिसका उपयोग कल्याण योजनाओं में किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के किसी भी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएगा, बल्कि इससे करोड़ों गरीबों को लाभ होगा। Waqf सम्पतियों की कीमत जानकारी के अनुसार वक्फ संपत्तियों की कुल संख्या 872,351 है, जिनकी कीमत करीब 14.22 अरब डॉलर है। इनका बेहतर प्रबंधन निश्चित रूप से समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए लाभकारी हो सकता है। यह विधेयक अब राष्ट्रपति के पास जाएगा, और मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। वक्फ संशोधन विधेयक 2025 एक ओर पारदर्शिता और सुधार का वादा करता है, तो दूसरी ओर धार्मिक स्वायत्तता और समुदाय के अधिकारों पर सवाल भी खड़े करता है। इसका असली प्रभाव तो लागू होने के बाद ही सामने आएगा। ALSO READ : Waqf Amendment Bill Passed : 13 घंटे की चर्चा के बाद हुआ पास, PM मोदी का बयान WATCH : https://youtu.be/5MMI2QghmJE?si=nj1EB2dLP7lHx7Tq
Waqf Amendment Bill Passed : 13 घंटे की चर्चा के बाद हुआ पास, PM मोदी का बयान
Waqf Amendment Bill Passed : 4 अप्रैल 2025 को भारत की संसद ने Waqf Amendment Bill को मंजूरी दे दी, जिसे एक लंबी और तीखी बहस के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित किया गया। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के उद्देश्य से लाया गया था, जिसे लेकर सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच गहरे मतभेद देखने को मिले। इस विधेयक के पारित होने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण” करार दिया। लोकसभा में पारित: 12 घंटे की बहस Waqf Amendment Bill को सबसे पहले लोकसभा में 2 अप्रैल को पेश किया गया। इसके बाद 12 घंटे से अधिक समय तक चली बहस में सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी दलों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। NDA ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय, खासकर गरीबों और महिलाओं के लिए लाभकारी बताया, जबकि विपक्ष ने इसे “संविधान विरोधी” और “मुस्लिम विरोधी” करार दिया। बहस के बाद मतदान में विधेयक को 288 सांसदों के समर्थन से पारित कर दिया गया, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया। गृह मंत्री अमित शाह ने इस दौरान मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि यह विधेयक उनकी धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करेगा। राज्यसभा में मंजूरी: 13 घंटे की जद्दोजहद लोकसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक 3 अप्रैल को राज्यसभा में पेश किया गया। यहां भी करीब 13 घंटे तक चली बहस के बाद, शुक्रवार सुबह 4 बजे के आसपास इसे मंजूरी मिली। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि 95 सांसदों ने इसका विरोध किया। बहस के दौरान विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर अल्पसंख्यकों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया, वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे “सबका साथ, सबका विकास” के मंत्र का हिस्सा बताया। रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों को शामिल किया गया है, जिससे यह और प्रभावी बनेगा। Waqf Amendment Bill : मुख्य बिंदु वक्फ संशोधन विधेयक 2025 में कई बदलाव किये गए हैं, जैसे कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, केवल 5 साल से अधिक समय से इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्तियों को संपत्ति दान करने की अनुमति, और सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा करने पर रोक। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ प्रशासन में पारदर्शिता लाएगा और गरीब मुस्लिमों को लाभ पहुंचाएगा। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। कांग्रेस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है। लोक सभा और राज्य सभा से पास होने के बाद अब यह बिल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा। इसके लागू होने के बाद वक्फ बोर्ड के कामकाज में बड़े बदलाव की उम्मीद है। ALSO READ : Panna Viral Video : पन्ना में पत्नी ने पति को पीटा…Video देख रोंगटे हो जाएंगे WATCH : https://youtu.be/Nxw71-XItRE?si=LdPhiIUOlitIkZOM
Panna Viral Video : पन्ना में पत्नी ने पति को पीटा…Video देख रोंगटे हो जाएंगे
Panna Viral Video : मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पत्नी ने अपने पति को बुरी तरह पीटा। यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। क्या है पूरा मामला ? यह घटना पन्ना शहर के एक मोहल्ले की है, जहाँ पत्नी ने गुस्से में आकर अपने पति पर हाथ उठा दिया और उसे पीटना शुरू कर दिया। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद पीड़ित पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज की और न्याय की गुहार लगाई। Panna : कैमरे में रिकॉर्ड हुई, पूरी वारदात पीड़ित का नाम लोकेश मांझी है, जो पन्ना में रेलवे लोको पायलट के पद पर कार्यरत हैं। लोकेश ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी पत्नी लंबे समय से उनके साथ मारपीट कर रही थी। इस बार उन्होंने इस घटना को छिपे हुए कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया, जो अब उनके आरोपों का सबसे बड़ा सबूत बन गया है। वीडियो में साफ दिखाई देता है कि उनकी पत्नी उन्हें लगातार थप्पड़ मार रही है, जबकि लोकेश हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगते नजर आ रहे हैं। सोने-चांदी की मांग लोकेश ने पुलिस को बताया कि उनकी पत्नी और ससुराल वाले उनसे पैसे और सोने-चांदी की मांग करते हैं। जब वह उनकी मांग पूरी नहीं कर पाते, तो उनकी पत्नी उनके साथ मारपीट करने लग जाती हैं। इसके अलावा, उनकी पत्नी ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी, जिसके चलते लोकेश ने आखिरकार कानून का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी पत्नी की धमकियों से इतने परेशान हो गए थे कि उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा था। लोकेश ने वीडियो की फुटेज पुलिस अधीक्षक को सौंपकर जल्द से जल्द कार्रवाही की मांग की है। ALSO READ : Gujarat Blast : MP के 21 मजदूर मरे, परिवार वालों का छलका दर्द\ WATCH : https://youtu.be/oMPgVuv3FMY?si=38ogHA8ZFBEdjF7D