फ्रांस और भारत के बीच हुआ एक बड़ा समझौता…पिनाका रॉकेट लॉन्चर खरीदेगा फ्रांस

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मक्रों के बीच राजनीतिक मुद्दों समेत मिडिल ईस्ट और अंतरिक्ष जैसे कई मुद्दों पर बातचीत हुई। पीएम मोदी फ्रांस के दो दिवसीय दौरे पर हैं, जहाँ उन्होंने 11 फरवरी को AI समिट की सह-अध्यक्षता की। बुधवार को फ्रांस और भारत के बीच व्यापार और निवेश को लेकर बात हुई। वैश्विक और क्षत्रिय विषयों पर हुई बातचीत दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत में उन्होंने AI समेत कई पहलुओं पर बात की। व्यापार और निवेश के मुद्दों पर दोनों देशों ने उसे बढ़ावा देने के लिए आपसी सहमति जताई है। बैठक के बाद आयोजित किए गए एक वार्ता में कहा गया कि बातचीत में वैश्विक मुद्दों के साथ-साथ क्षत्रिय मुद्दों को भी शामिल किया गया है। दोनों देशों के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार की बात कही गई। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता की बात पर जोर दिया। भारत से पिनाका रॉकेट लॉन्चर खरीदेगा फ्रांस इस बैठक के दौरान भारत और फ्रांस के बीच रक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे विषयों पर भी बातचीत हुई। रक्षा संबंधों को मजबूती देने के लिए फ्रांस ने भारत से पिनाका रॉकेट लॉन्चर खरीदने की बात कही है। दोनों नेताओं ने आतंवाद जैसे संगीन विषयों को भी अपनी बातचीत में जगह दी। पीएम मोदी ने भारतीय सैनिकों को दी श्रद्धांजलि प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मक्रों बुधवार को मारसेई शहर गए, जहाँ उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। बैंड की धुनों ने इस अवसर की गरिमा को बढ़ाने का काम किया। जिसके बाद दोनों नेताओं ने परिसर का दौरा कर स्मारक पट्टिकाओं पर फूल चढ़ाए। Read more : Shubman Gill ने लगाया शतक, कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए…
महाकुंभ में स्नान के महत्व पर डॉक्टर वगीश स्वामी जी के विचार, पढ़िए आयुध्द की पूरी रिपोर्ट…

प्रयागराज। एक माह तक लगने वाले महाकुंभ में हर रोज़ लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। Aayudh की टीम भी इस भव्य महाकुम्भ में आपको अलग-अलग पहलुओं से वाकिफ़ कराने पहुंची। इसी कड़ी में हमारी मुलाकात डॉक्टर वगीश स्वामी जी से हुई, जिन्होंने हमें महाकुंभ में स्न्नान के फायदे बताए। आइए जानते हैं महाकुंभ में स्नान करने के फ़ायदे। सारे तीर्थों में स्नान का पुण्य मिल जाता है.. जब स्वामी जी से Aayudh की टीम ने बात कि तो उन्होंने बताया कि एक महीने तक लगने वाले इस महकुंभ में सभी देवी – देवता पधारते हैं। उन्होंने बताया कि प्रयागराज में लगने वाले महाकुम्भ में स्नान करने से सारे तीर्थों के पुण्य मिल जाते हैं। उन्होंने कहा – “हम मनुष्य सभी तीर्थों पर नहीं जा सकते हैं, हो सकता है कि कोई तीर्थ हमसे छूट गया हो तो प्रयागराज के संगम में स्नान करने से हम उन सभी तीर्थों के स्नान के भागी बन सकते हैं।” एक महीने में किस-किस दिन स्नान करना शुभ है ? स्वामी जी ने बताया कि एक महीने में किसी भी दिन स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि आप पूरा महीना कुंभ में स्नान करते हैं तो और भी अच्छा है। कुछ दिन ऐसे हैं जिसमें अवश्य स्नान करना चाहिए। कुछ विशेष दिन कौन-कौन से हैं ? यदि आप मकर संक्रांति, वसंत पंचमी और मौनी अमावस्या के दिन स्नान करते हैं तो और भी शुभ माना जाता है। उन्होंने साधुओं के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि जिस प्रकार हमारे घर में कोई साधु आते हैं तो हम सबसे पहले उन्हें भोजन करवाते हैं, उसी प्रकार इन विशेष दिनों पर हम साधुओं को पहले स्नान का अधिकार देकर उनका सम्मान करते हैं। इसी स्नान करने की व्यवस्था को हम शाही स्नान और अमृत स्नान कहते हैं। यदि आप इन विशेष दिनों में कभी भी स्नान करते हैं तो वह अमृत स्नान ही होगा। स्वामी जी ने युवाओं को दिशाहीन क्यों कहा ? हम सभी जानते हैं कि इस वर्ष महाकुंभ में युवाओं की एक बड़ी संख्या देखने को मिल रही है। युवा देश के अलग – अलग कोनों से आकर महाकुम्भ में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। जब Aayudh की टीम ने स्वामी जी से युवाओं को संदेश देने के लिए कहा तो उन्होंने युवाओं को दिशाहीन बता दिया। उन्होंने कहा – “युवा दिशाहीन है, वो बस चल रहा है। जहाँ युवत्व ख़त्म हो जा रहा है, वहां तो वो जीना शुरू कर रहा है।” उन्होंने युवाओं को अध्यात्म से जुड़ने की सलाह दी। Read more : प्रयागराज महाकुंभ: कश्मीरी पंडितों ने बताई अपनी आप बीती, पढ़िए Aayudh की रिपोर्ट…
Shubman Gill ने लगाया शतक, कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए…

अहमदाबाद। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में Shubman Gill ने शतक लगाकर कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। Shubman Gill के वनडे करियर का यह सातवां सतक है। पिछली बार 24 सितंबर 2023 को उन्होंने इंदौर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक लगाया था। कौन – कौन से रिकॉर्ड अपने नाम किए ? पिछले दो वनडे में शतक बनाने से चूक गए आपको बता दें कि पहला वनडे मैच नागपुर में खेला गया था। जिसमें Shubman Gill ने रन बनाए थे। इसके बाद दूसरा वनडे मैच कटक में खेला गया, जिसमें उन्होंने 60 रनों की पारी खेली। पिछले दोनों मैचों में Shubman Gill शतक लगाते-लगाते चूक गए थे। अहमदाबाद में खेले गए तीसरे वनडे में उन्होंने इस कमी को भी पूरा कर दिया। सेंचुरी बनाकर उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी हाशिम अमला के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। हाशिम 51वीं वनडे में 2500 रनों का आंकड़ा पार किया था मगर शुभम ने इसे अपने 50 वें वनडे में ही करके दिखा दिया। इंडिया VS इंग्लैंड की टीम इंडिया – रोहित शर्मा(कप्तान), विराट कोहली, कुलदीप यादव,शुभमन गिल, केएल राहुल (विकेटकीपर), हार्दिक पंड्या, जैसे कई दिग्गज खिलाड़ी शामिल थे। इंग्लैंड – जोस बटलर (कप्तान), फिल सॉल्ट (विकेटकीपर), बेन डकेट, टॉम बैंटन, मार्क वुड, जैसे बेहतरीन खिलाड़ी मौजूद थे। Read more : प्रयागराज महाकुंभ: कश्मीरी पंडितों ने बताई अपनी आप बीती, पढ़िए Aayudh की रिपोर्ट…
प्रयागराज महाकुंभ: कश्मीरी पंडितों ने बताई अपनी आप बीती, पढ़िए Aayudh की रिपोर्ट…

प्रयागराज। 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ अब कुछ ही दिनों में समाप्त होने वाला है। धर्म, आध्यात्म ,परंपरा और पर्यटन के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करने वाला महकुंभ इस सदी का सबसे बड़ा समागम है। इसी समागम में अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधि मंडल भी शामिल हुए हैं। इसी में एक प्रतिनिधि मंडल कश्मीरी पंडितों का भी है। जी हाँ, वही कश्मीरी पंडित जिन्हें 90 के दशक में उन्हीं के कश्मीर से भगा दिया गया। इतने अत्याचार किए गए की उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा। जब भी कश्मीरी पंडितों का जिक्र होता है तो आँखों के सामने उस समय की तस्वीरें घूमने लगती हैं। कैसे उन्हें रातों- रात वहां से भगा दिया गया था। साल 1990 से लेकर अब तक वो अपने हक़ की मांग कर रहे हैं, मगर सरकार अब भी उनकी मांगों को पूरा करने में असफल है। जब Aayudh की टीम कश्मीरी पंडितों के शिविर में पहुंची तो उन्होंने बताया कि कश्मीरी पंडित आज भी विपरीत परिस्थितियों में जी रहे हैं। क्या कहना है शिविर के संस्थापक का ? जब Aayudh की टीम ने शिविर के संस्थापक अश्विनी जी से बात कि तो उन्होंने बताया कि इस शिविर के लगाने के पीछे का उद्देश्य हिन्दू समुदाय के लोगों को अपनी दास्तां सुनाना है। उन्होनें बताया कि हम कुंभ में अपने हिस्से के मूल्यों को देने आए हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि जम्मू शहर में कश्मीरी पंडितों का एक बड़ा तबका दयनीय स्तिथि में जी रहा है। सरकार उनके लिए कुछ कदम उठाए। कश्मीर और देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले कश्मीरी पंडितों के लिए इस शिविर में भोजन और रुकने कि निः शुल्क व्यवस्था की गई है। 1990 में बेटियों की प्राइवेसी ख़त्म हो गई थी जब Aayudh की टीम ने एक महिला से बात करने की कोशिश कि तो उन्होंने भी हमें एक ऐसी कहानी सुनाई, जिसने हमें झंकझोर कर रख दिया। उन्होंने बताया कि 1990 में जब कश्मीरी पंडितों को भगाया गया तब एक ही घर में 15-15 परिवार रहने को मजबूर थे। बेटियों और महिलाओं की प्राइवेसी ख़त्म हो चुकी थी। पार्टिशन के लिए साड़ियों का इस्तमाल किया जाता था। उन्होंने बंदूक उठाया, हमनें कलम उठाई 90 के दसक में प्रताड़ित कश्मीर के लोगों का कहना है कि यदि आज हम अपने हालातों को थोड़ा भी बेहतर कर पाए हैं तो उसके पीछे की वजह है ‘शिक्षा’। हमनें भले ही एक वक्त खाना खाया हो मगर अपने बच्चों को पढ़ाया है। संघियों को मारने के लिए नाम निकाले गए कश्मीरी पंडितों के शिविर में जब Aayudh की टीम लोगों से बात कर रही थी तभी एक व्यक्ति ने कहा – “उन्होंने तो हमें मारने के लिए हिटलिस्ट निकाले थे।” जब Aayudh की टीम ने उनसे पूरी जानकारी ली तब पता चला कि उनका नाम कुलदीप है, वो संघी हैं और कश्मीर में शाखा चलाते थे। उनका कहना है कि कश्मीर में उस वक्त की सरकार हमें इंडिया का एजेंट कहती थी। अब सवाल ये है कि अपने ही देश के एक राज्य में रहने वाला व्यक्ति अपने ही देश का एजेंट कैसे हो सकता है, उन्होंने हमें आगे बताया कि अचानक एक दिन रात को सभी मुस्लिम समुदाय के लोग निकलकर ‘यहाँ बनेगा पाकिस्तान’ के नारे लगाने लगे थे। इन कहानियों से आपको इतना तो जरूर पता चल गया होगा कि कश्मीरी पंडितों को 90 के दशक में किन-किन हालातों से गुजरना पड़ा। Article 370 हटने से क्या हैं उम्मीदें ? जब Aayudh की टीम ने कुलदीप जी से आर्टिकल 370 के बारे में सवाल किया तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान तो आई मगर साथ ही उन्होंने एक चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्टिकल 370 को हटाकर एक अच्छा कदम उठाया है मगर अभी उसका असर दिखने में कम से कम दस साल लगेंगे। यदि आप भी कश्मीरी पंडितों के इतिहास, उनपर हुए अत्याचार और बरबर्ता की कहानी को सुनना और समझना चाहते हैं तो Aayudh के यूट्यूब चैनल पर सुन सकते हैं। Watch : https://youtu.be/cDlY7sJ0bAE?si=Q8ZfhOixhz_0Jw6O Read more : https://aayudh.org/death-of-the-chief-priest-of-ram-mandir/
नहीं रहे राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास, जानिए उनके बारे में कुछ खास बातें…..

अयोध्या। श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी का बुधवार की सुबह 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। आचार्य लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें पहले अयोध्या के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबियत अधिक बिगड़ने के कारण उन्हें लखनऊ रेफर किया गया। लखनऊ के पीजीआई में उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान ही ब्रेन स्ट्रोक होने से उनका निधन हो गया। सूचनाओं के अनुसार आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर को अयोध्या लाया जाएगा। जिसके बाद गुरुवार को आयोध्या के सरयू तट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। कौन हैं आचार्य सत्येंद्र दास ? आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 20 मई 1945 को उत्तरप्रदेश के संतकबीरनगर जिले में हुआ था। यह जिला आयोध्या से 90 किलोमीटर की दूरी पर है। आचार्य सत्येंद्र दास जी के पिता अभिराम दास जी के आश्रम पर अक्सर जाया करते थे। सत्येंद्र दास भी उनके साथ आश्रम पर जाते थे। अभिराम दास जी वही हैं, जिन्होंने राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी के मूर्तियों के निकलने का दावा किया था। अभिराम दास जी का भगवान राम के प्रति सेवा और समर्पण देख सत्येंद्र दास काफी प्रभावित हुए। उन्होंने साल 1958 में घर छोड़कर सन्यास लेने का फैसला किया। सन्यास लेने के बाद सत्येंद्र दास, अभिराम दास जी के साथ ही उनके आश्रम पर रहने लगे। आचार्य सत्येंद्र दास जी ने अध्यापक और पुजारी दोनों की भूमिका निभाई 1958 में घर छोड़ने के बाद उन्होंने आश्रम में रहकर संस्कृत की पढ़ाई शुरू की। 12वीं तक उन्होंने संस्कृत में पढ़ाई की। 12वीं के बाद संस्कृत से ही आचार्य किया। पढ़ाई के साथ-साथ पूजा पाठ भी करते थे। जब पढ़ाई खत्म हुई तो अयोध्या में नौकरी की तलाश करने लगे। 1976 में अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय के व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। सहायक अध्यापक के तौर पर उन्हें 75 रूपए तन्खा मिलती थी। अध्यापन के साथ ही वो राम मंदिर में पुजारी का भी काम करते थे। तब उन्हें बतौर पुजारी 100 रूपए मिलते थे। जब साल 2007 में अध्यापक के पद से रिटायर हुए , तो उनकी तन्खा बढ़कर 13 हजार रूपए हो गई थी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद वेतन में वृद्धि कर 38,500 रुपए कर दी गई थी। 32 वर्षों तक रामलला की सेवा की आचार्य सत्येंद्र दास साल 1992 से रामलला की सेवा कर रहे हैं। मार्च 1992 में तत्कालीन रिसीवर ने आचार्य सत्येंद्र दास की पुजारी के तौर पर नियुक्ति की थी।उन्होनें करीब 23 वर्षों तक टेंट में रामलाल की सेवा की। इसके बाद जब रामलला अस्थायी मंदिर में विराजे तब उन्होनें 8 साल तक उनकी सेवा की। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मुख्य पुजारी के रूप में कार्यरत थे। बाबरी विध्वंस के वक्त रामलला को गोद में लेकर भागे आचार्य सत्येंद्र दास जी ने एक अख़बार के इंटरव्यू में बताया कि वो बाबरी विध्वंस के दौरान वहीं मौजूद थे। उनका कहना है कि 6 दिसंबर, 1992 को जब उन्होंने रामलला को भोग लगाया, उसके बाद चारों तरफ़ आवाज़ें गूंजने लगीं। नारे लगने लगे। सारे नवयुवक कारसेवक विवादित ढांचे पर पहुंचकर उसे तोड़ना शुरू कर दिया। उन्होनें बताया कि “बीच वाले गुंबद के नीचे मैं रामलाल की सेवा कर रहा था। गुस्साए कारसेवकों ने इसे भी तोड़ना शुरू कर दिया। गुम्बद के बीच में एक बड़ा सुराख़ होने के बाद वहां से रामलला पर मिट्टी और पत्थर गिरने शुरू हो गए थे। जिसके बाद मैं रामलला की मूर्ति को लेकर दौड़ पड़ा।” Read more : MP Cabinet Meeting 2025 : MP में 20 लाख से अधिक नौजवानों को मिलेगा रोजगार, कैबिनेट बैठक में लिए गए कई बड़े फैसले…