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मौलाना तौकीर रज़ा: उत्तरप्रदेश में बवाल, यूपी पुलिस ने जारी किया अलर्ट

मौलाना तौकीर रज़ा

उत्तराखंड के हल्द्वानी हिंसा की आग अभी थमी ही नहीं और उत्तरप्रदेश के बरेली में हंगामा हो गया है। बता दें कि बरेली में मौलाना तौकीर रज़ा ने खुलेआम धमकी दी है कि जो भी उन्हें मारने की कोशिश करेगा वह उसे मार देंगे। इतना ही नहीं उन्होंने जेल भरो आंदोलन शुरू किया है जिसके बाद यूपी पुलिस मुख्यालय ने अलर्ट जारी कर दिया है। मौलाना तौकीर रज़ा ने दिया भड़काऊ भाषण मौलाना तौकीर रज़ा अपने भड़काऊ भाषणों के कारण हमेशा ही चर्चा का विषय बने रहते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। उन्होंने इस बार धमकी दी है कि अगर कोई हमारे ऊपर हमला करेगा तो हम उसे मार देंगे। वह कहते हैं कि अगर कोर्ट कोई संज्ञान नहीं लेता है तो हम खुद अपनी सुरक्षा करेंगे। हमें अपनी रक्षा करने का अधिकार कानून ने दिया है। वह बुलडोजर एक्शन का भी विरोध करते हैं और मौलाना पुष्कर सिंह धामी सहित पीएम मोदी के लिए आपत्तिजनक भाषा का उपयोग करते हैं। जेल भरो आंदोलन शुरू आपको बतादें कि मौलाना ने जेल भरो आंदोलन और सामूहिक गिरफ्तारी की शुरूआत की है जिसके बाद बरेली में उनके समर्थक फ्लैग मार्च निकालने के लिए सड़क पर उतर आए हैं। क्षेत्र में सभी मस्जिदों के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई है, फिलहाल पूरा क्षेत्र छावनी में बदल गया है। मौलना को बरेली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था पर उनको समझा बुझाकर घर भेज दिया गया है। यह भी पढ़ें- Uttarakhand: साबित हो गया कि हल्द्वानी हिंसा है एक सोची समझी साझिश

जब प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह किसान बनकर पहुँच गए थाना

चौधरी चरण सिंह

भारत सरकार ने हालही में तीन ऐसी हस्तियों को मरणोपरांत भारत रत्न दोने की घोषणा की है जिनके देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं। इन नामों में एक नाम है प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जो केवल 23 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। लेकिन इतने कम समय में भी उन्होंने ऐसे काम कर दिखाए जिनकी तारीफ आज भी हर राजनेता करता है। जब चौधरी चरण सिंह बन गए किसान साल 1979 में प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह एक बार एक शिकायत पर जनपद के ऊसराहार पुलिस स्टेशन पहुँच गए। लेकिन नेता बनकर नहीं बल्कि 75 साल के एक गरीब किसान का रूप लेकर। वह किसान के भेष में जैसे ही पुलिस स्टेशन के अंदर आए तो उन्हें कोई पहचान नहीं पाया। चौधरी ने एक सिपाही से पूछा कि दरोगा साहिब हैं तो जवाब मिला कि वह तो नहीं हैं। पुलिसकर्मियों ने पूछा कि आप कौन हैं और यहां क्यों आए हैं। चौधरी ने बताया कि वह एक किसान हैं और जेबकतरों ने उनकी जेब काट ली है।वह बताते हैं कि बैल खरीदने के लिए वो पैसे लेकर आए थे जिसे चोर चुराकर ले गए। किसान पुलिस कर्मियों से बिनती करते हैं कि उनकी कम्प्लेन लिख लें पर पुलिस वाले नहीं मानते। किसान बने चौधरी की नहीं लिखी रिपोर्ट चौधरी चरण सिंह ने रिपोर्ट लिखने की गुहार लगाई पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। जिसके बाद वह थाने से बाहर जाने लगे तो एक सिपाही को उनपर दया आ गई। वह उनसे कहता है कि रिपोर्ट लिख देंगे पर कुछ खर्चा पानी लगेगा। चौधरी ने पूछा कितना तो सिपाही ने 100 रूपए बता दिए। उस समय सौ रूपए की कीमत काफी होती थी तो कम कराते कराते बात 35 रूपए पर आ गई। सिपाही ने थानेदार को बात बताई फिर थानेदार ने रिपार्ट लिखी। चौधरी चरण सिंह ने लिया बड़ा एक्शन इसी दौरान उनसे पूछा कि दादा अंगूठा लगाओगे या हस्ताक्षर करोगे। चौधरी ने कहा हस्ताक्षर जिसके बाद फाईल पर हस्ताक्षर कर चौधरी ने अपनी जेब से मौहर निकाली और आगे रखे स्टंप पैड को खीचा और प्रधानमंत्री भारत सरकार की मौहर ठोक दी। जिसके बाद पुलिस थाने में मौजूद सभी लोगों के पसीने छूट गए। बाद में उनका पूरा काफिला भी थाना पहुँच गया और पूरे थाने को नीलंबित कर दिया गया। यह भी पढ़ें- राहुल गांधी ने उठाया मोदी की जाती पर सवाल, देखिए उनके आरोप कितने सही

Uttarakhand: साबित हो गया कि हल्द्वानी हिंसा है एक सोची समझी साझिश

Uttarakhand , हल्द्वानी

बुधवार शाम को उत्तराखंड (Uttarakhand) की देवभूमि कहे जाने वाले क्षेत्र हल्द्वानी में कट्टर पंथियों ने इस कदर हिंसा को अंजाम दिया कि 2 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। पर कई जानकार लोगों के मुताबिक इस घटना के पीछे की वजह मुस्लिम समूदाय की नाराज़गी नहीं हैं बल्कि ये हिंसा एक सोची समझी साझिश का हिस्सा है। क्या है (Uttarakhand) हल्द्वानी हिंसा का पूरा मामला उत्तराखंड हाईकार्ट के आदेश पर ऐसी सभी जगह जहाँ अतिक्रमण किया गया हो वहाँ कारवाई के निर्देश दिए गए थे। इसके तहत ही नगर निगम ने शासकीय भूमि पर बनी एक मस्जिद और मदरसे पर बुलडोजर चलाई जिसके बाद पुलिस बल पर पथराव किया गया, पुलिसकर्मियों को जिंदा जलाने के प्रयास किए गए, गोलियां चलाई गई और पैट्रोल बम फेंके गए। इस हिंसा में 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए वहीं दो लोगों की मौत होने की बात सामने आई। DM ने बताया हिंसा को साज़िश डीएम वंदना सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि कारवाई केवल अवैध निर्माणों पर ही की जा रही थी। जिसकी सूचना पहली ही दी गई थी। उनका कहना है कि आरोपियों ने पहले से ही प्लानिंग कर रखी थी । जैसे ही टीम कारवाई करने गई वैसे ही अचानक से बड़ी संख्या में लोग आए और टीम पर हमला करना शुरू कर दिया। यह भी पढ़ें- आशुतोष महाराज को 10 साल पुरानी समाधि से वापस लाने शिष्या ने ली समाधि