कमलेश्वर डोडियार पर क्यों दर्ज हैं 16 मामले, जानिए कुछ अनसुने किस्से
मध्य प्रदेश की सैलाना विधानसभा सीट से विधायक बने कमलेश्वर डोडियार के बारे में तो आपने सुना ही होगा ,ये वही विधायक हैं जो जब चुनाव जीते तो उन्हें राजधानी भोपाल बुलाया गया लेकिन क्योंकि इनके पास कार नही थी तो ये अपने बहनोई की मोटर साइकिल से ही भोपाल पहुंच गए। इनके विधायक बनने की कहानी तो आपने कई जगह सुनी होगी पर आज हम आपको इनसे जुड़ी कुछ ऐसे बात बताने वाले हैं जो सिर्फ उनके बेहद करीब रहने वाले लोग ही जानते हैं । कमलेश्वर डोडियार करते थे वेटर का काम कमलेश्वर हमेशा से ही एक बड़ा सपना देखने वाले व्यक्ति रहे हैं । बतादें कि कमलेश्वर 6 भाई और 3 बहनों में सबसे छोटे हैं । उनके माता और पिता मजदूरी करते हैं और उसी पैसों से कमलेश्वर का घर चलता है। कमलेश्वर ने विधायक बनने के लिए कई पापड़ बेले है उन्होंने कभी अपनी मां के साथ मिलकर मजदूरी की तो कहीं होटलों में वेटर का काम किया। ये भी पढ़ें- फोर्ड मोटर्स ने किया था रतन टाटा का अपमान, फिर ऐसे लिया टाटा ने बदला कमलेश्वर ने घर में आर्थिक संकट होते हुए तो कभी अपनी पढ़ाई नहीं रुकने दी। उनकी पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई गांव में ही हुई जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह सैलानाचले गए। उन्होंने अपनी 12वीं की पढ़ाई रतलाम में पूरी की और फिर वहीं से उन्होंने बीए अंग्रेज़ी की डिग्री प्राप्त हुई। कमलेश्वर ने इसके साथ ही वकालत की पढ़ाई को भी पूरा किया। कमलेश्वर ने ये सारी डिग्रियां और अपनी अब तक की जिंदगी टीन की चादर वाले कच्चे घर में रहकर ही बताई है। बराक ओबामा से प्रभावित है जीवन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कमलेश्वर बराक ओबामा से प्रभावित हैं कमलेश्वर बताते हैं, ”मुझे उनका संघर्ष काफ़ी हद तक अपनी तरह का लगता है । उनका परिवार भी कीनिया से आकर अमेरिका में बसा और तमाम क़िस्म के भेदभाव का सामना उन्होंने किया और उसके बाद वो उस मुक़ाम पर पहुंचे”। कमलेश्वर हमेशा से ही आदिवासी समाज के लिए एक मसीहा बनकर कार्य करते आए है। उन्होंने अब तक उनके हो साथ रहकर सभी बातों को गौर से देखा और परखा है जिसके कारण ही राजनैतिक गलियारों में उनसे जलने वालों की कतार भी बड़ी है इसी के चलते इन पर 16 मामले दर्ज हैं और ये 11 बार जेल भी जा चुके हैं। ये भी पढ़ें- राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान विशाल और बहुआयामी है
फोर्ड मोटर्स ने किया था रतन टाटा का अपमान, फिर ऐसे लिया टाटा ने बदला
आपने फिल्मों में भी कई बार सुना होगा कि किस तरह हीरो अपनी मेहनत और लगन से अपने बिगड़ते हुए काम को भी बनाने में सफल हो जाता है। साथ ही किस तरह वह अपने दुश्मनों को मज़ा चखा देता है। कुछ ऐसी ही कहानी टाटा ग्रुप के मालिक रतन टाटा की भी है। ये भी पढ़ें- श्री कृष्ण के भक्तों के लिए एक अद्भुत खबर, द्वारका नगरी के दर्शन अब आसान दरअसल जब शुरूआती दिनों में टाटा मोटर्स की सेल अच्छी नहीं हुआ करती थी तब टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने की नौबत आ गई थी उस वक्त इसे बेचने के लिए रतन टाटा ने अमेरिकन कंपनी फोर्ड मोटर्स के मालिक से बात की लेकिन बदले में उन्होंने रतन टाटा का ही मज़ाक उड़ा दिया जिसका बदला रतन ने 9 साल बाद लिया था। रतन टाटा का फोर्ड मोटर्स के मालिक ने उड़ाया मज़ाक बात 90 के दशक की है जब टाटा द्वारा इंडिको लॉन्च किया गया लेकिन उसकी खरीददारी उम्मीद के अनुसार नहीं हो पाई जिसके बाद टाटा ग्रुप ने टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का फैसला कर लिया था । उसे बेचने के लिए रतन टाटा ने कार बनाने वाली अमेरिकन कंपनी फोर्ड मोटर्स के मालिक बिल फोर्ड से बात की जिस पर बिल ने रतन से कुछ ऐसा कह दिया कि टाटा ने अपना फैसला ही बदल दिया दरअसल बिल फोर्ड ने कहा कि तुम कुछ जानते नहीं हो , तुमने पैसेंजर कार डिवीजन की शुरूआत ही क्यों की , अगर मैं तुम्हारे साथ ये डील करता हूँ तो ये तुम पर बहुत बड़ा एहसान होगा। बस फिर क्या था बिल की यह बात सुनकर रतन ने अपना पैसेंजर कार डिवीजन बेचने का फैसला बदल दिया और टाटा ने इस तरह लिया था बदला वह दिन रात उसी को आगे बढ़ाने पर लगे रहे और देखते ही देखते उनकी कार की मांग दुनिया भर में बढ़ने लगी । इस किस्से के 9 साल बाद तो यह स्थिति थी कि दुनिया की टॉप कार्स की लिस्ट में भी उनकी कारों का नाम शामिल था। वहीं फोर्ड मोटर्स को दिन प्रतिदिन असफलता देख नी पड़ रही थी जिसके बाद फोर्ड कंपनी को मदद करने का जिम्मा टाटा ने लिया और उनकी जैगुआर और लैड रोवर कार खरीद ली इस तरह से टाटा ने भी अपना बदला पूरा कर लिया । बतादें कि इस डील को करने के लिए टाटा अमेरिका नहीं गए बल्कि बिल को भारत बुलाया डील होने के बाद बिल फोर्ड ने खुद कह कि आपने मुझ पर बड़ा एहसान किया है। ये भी पढ़ें- नए साल में अपनाएं नए लक्ष्य