नए साल (NEW YEAR) पर अब लोग नहीं कर सकेंगे आवारा गर्दी
युवाओं में नए साल (NEW YEAR) को लेकर बड़ा क्रेज होता है। नए साल पर सभी लोग और खास कर के युवा वर्ग के लोग पार्टियाँ मनाते हैं। इस दिन लोग खाने पीने से लेकर नाच गाने तक हर चीज़ दिल खोलकर करते हैं। ऐसे में साल के पहले दिन ही अखबारों में एक्सीडेंट, लड़ाई झगड़े, छेड़छाड़ जैसी कई खबरों के बीच नए साल की खुशी खो जाती है पर इस साल ऐसा नहीं होगा। क्योंकि इस साल कोई अपनी मन मर्जी नहीं चला पाएगा। ये भी पढ़ें- क्रिसमस के दिन लोग कैसे मांगते है सांता से उपहार नए साल (NEW YEAR) के लिए जारी हुआ निर्देश दरअसल न्यूईयर को लेकर प्रशासन ने पहले ही कुछ निर्देश जारी कर दिए हैं। इस निर्देश में कहा गया है कि रात को 12 बजे तक शहर को सभी पब और बार बंद कर दिए जाएंगे। नए साल पर 12 बजे के बाद कोई पब या बार खुले नहीं रह सकेंगे। 12:15 तक पार्किंग स्थल को भी खाली कर देना होगा।पुलिस प्रशासन को भी सख्ती रखने की जिम्मेदारी दी है । यदि कोई भी शराब के नशे में वाहन चलाता पाया गया या नियमों का उलंघन करता पकड़ा गया तो उसपर पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी।साथ ही पब और बार में रात 11:30 बजे के बाद एंट्री नहीं मिल सकेगी। यदि वहाँ किसी भी प्रकार का कोई झगड़ा होता है तो पब और बार के मालिकों द्वारा तुरंत पुलिस को सूचना दी जाएगी। ये भी पढ़ें- गीता जयंती के महत्व के साथ जानिए क्या है श्रीमद्भगवतगीता का सार
गीता जयंती के महत्व के साथ जानिए क्या है श्रीमद्भगवतगीता का सार
सनातन धर्म के सभी ग्रन्थों और पुराणों में सबसे श्रेष्ठ श्रीमद्भगवतगीता को माना जाता है। श्रीमद्भगवतगीता को ना केवल भारत में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में एक मार्गदर्शक के तौर पर देखा जाता है। बतादें कि गीता का प्राकट्य मार्गशीर्ष मास की शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को हुआ था जिसे आज के दौर में लोग गीता जयंती के तौर पर मनाते हैं। क्यों मनाई जाती है गीता जयंती सनातन धर्म के सभी वेदों और पुराणों की रचना महार्षी वेद्व्यास ने की है। पर श्रीमद्भगवतगीता का रचना किसी के द्वारा नहीं की गई थी बल्कि यह एक प्रकार की श्रुति है यानि जो सुनी गई था। दरअसल गीता का जन्म स्वयं श्रीकृष्ण के मुख से हुआ है। गीता वही ज्ञान है जिसे कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था और उसी दिन को गीता जयंती का नाम दिया गया। ये भी पढ़ें- क्रिसमस के दिन लोग कैसे मांगते है सांता से उपहार गीता का महत्व भगवतगीता में कुल 18 अध्याय हैं । इन अठारह अध्यायों में वह ज्ञान व्याप्त है जिसे अर्जुन से भगवान के श्रीमुख से सुना। माना जाता है कि यदि मनुष्य को जीवन में कोई भी दुविधा आती है तो वह उसका फल गीता से ले सकता है। भगवतगीता में बताती है कि हम क्या हैं और हमारा जीवन लक्ष्य क्या है। साथ ही श्रीमद्भगवतगीता हमें जीवन जीने का और कर्म करने का सही सलीका भी सिखाती है। श्रीमद्भगवतगीता के मुख्य उपदेश गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को अपना कर्तव्य पूरा करने की सलाह देते हैं। वह अर्जुन के अंदर आए वैराग्य को हटाकर उन्हें कर्म निष्ठ बनाते हैं। गीता के सार के तौर पर भगवान कहते हैं कि मनुष्य के हाथ में केवल कर्म है उसे फल की चिंता नहीं करनी चाहिए और अपने कर्म को पूर्ण निष्ठा से करना चाहिए। ये भी पढ़ें- शाहरुख खान की नई फिल्म ‘डंकी’ हो रही है बड़ी हिट!