जानिए क्रिसमस से जुड़ी कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक बातें
क्रिसमस, जो हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है, गहरी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ों वाला एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्यौहार है। क्रिसमस का सार इसकी धार्मिक उत्पत्ति से परे तक फैला हुआ है, जिसमें दुनिया भर के लोगों द्वारा अपनाई गई परंपराओं और रीति-रिवाजों की विविध शृंखला शामिल है। ईसाइयों के लिए, क्रिसमस का गहरा आध्यात्मिक महत्व है, जो आशा, प्रेम और मुक्ति के वादे का प्रतीक है। प्रियजनों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान तीन बुद्धिमान पुरुषों द्वारा शिशु यीशु को उपहार देने की बाइबिल कहानी को दर्शाता है। अंत में, क्रिसमस एक बहुआयामी उत्सव है जो धार्मिक महत्व को सांस्कृतिक परंपराओं के साथ जोड़ता है। यह चिंतन, कृतज्ञता और समुदायों के एक साथ आने की खुशी का समय है। जैसे-जैसे लोग उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, भोजन साझा करते हैं और स्थायी यादें बनाते हैं, क्रिसमस विकसित होता रहता है, जो सीमाओं और मान्यताओं से परे परंपराओं की एक समृद्ध टेपेस्ट्री बुनता है। क्रिसमस का धार्मिक महत्व : इसके मूल में, क्रिसमस एक ईसाई अवकाश है जिस दिन यीशु मसीह के जन्म का जश्न मनाया जाता है। ईसाई परंपरा के अनुसार, ईसाई धर्म के केंद्रीय व्यक्ति यीशु का जन्म दो हजार साल पहले बेथलेहम में हुआ था। बाइबिल में मैथ्यू और ल्यूक के गॉस्पेल जन्म की कहानी बताते हैं, जिसमें यीशु के आसपास की परिस्थितियों का वर्णन किया गया है; जन्म, जिसमें चरवाहों और जादूगरों का दौरा शामिल है। सांस्कृतिक परंपराएँ : सदियों से, क्रिसमस ने अपने धार्मिक मूल को पार कर असंख्य सांस्कृतिक परंपराओं को अपना लिया है जो विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में भिन्न-भिन्न हैं। सजावट, जैसे आभूषणों और रोशनी से सजे क्रिसमस पेड़, और उत्सव की पुष्पांजलि, एक गर्म और आनंदमय वातावरण बनाते हैं। उपहार देने की प्रथा, मैगी के प्रसाद से प्रेरित होकर, प्रेम और सद्भावना की एक सार्वभौमिक अभिव्यक्ति बन गई है। परिवार और दोस्त भोजन साझा करने, उपहारों का आदान-प्रदान करने और उत्सव के माहौल का आनंद लेने के लिए एक साथ आते हैं। सांता क्लॉज़, जो डच छवि सिंटरक्लास से लिया गया है, उपहार देने और मौज-मस्ती से जुड़ा एक प्रतिष्ठित प्रतीक बन गया है। क्रिसमस पर दिखता है उत्सव का माहौल : कालातीत क्लासिक्स और कैरोल्स के साथ क्रिसमस संगीत, उत्सव के माहौल में योगदान देता है। समुदाय अक्सर कैरोलिंग में संलग्न होते हैं, गीत के माध्यम से खुशी फैलाते हैं। यीशु के जन्म को दर्शाने वाले नैटिविटी दृश्य, घरों और सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित किए जाते हैं, जो छुट्टी की धार्मिक जड़ों को मजबूत करते हैं। वैश्विक उत्सव: जबकि क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे खास त्यौहार हैं, लेकिन विभिन्न धर्मों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों द्वारा अपनाया जाने वाला एक वैश्विक उत्सव बन गया है। प्रेम, करुणा और एकजुटता के सार्वभौमिक विषय दुनिया भर के व्यक्तियों के साथ गूंजते हैं, छुट्टियों के मौसम के दौरान एकता की भावना को बढ़ावा देते हैं। ये भी पढ़ें- कुछ खास जगहं जहा आप नया साल 2024 पर घूमने जा सकते है
कौन हैं छत्तीसगढ़ के ईश्वर साहू जिसने तय किया मजदूर से विधायक का सफर
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की इस चुनावी परिणाम में एक अनोखी बात देखने को मिली। दरअसल इस चुनाव में प्रदेश के साजा विधानसभा सीट से एक खेती किसानी करने वाले आम मजदूर ईश्वर साहू को भाजपा ने टिकट दिया। ये भी पढ़ें- फरमान जिसमें औरंगजेब ने दिया श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर तुड़वाने का आदेश जिसके बाद उसने कांग्रेस पार्टी से सात बार के विधायक और मंत्री रहे रविंद्र चौबे को बुरी तरह हरा दिया था। जिसके बाद हर कोई जानना चाहता है कि आखिर कौन है ईश्वर साहू जिसपर पार्टी ने इतना भरोसा जताया था। ने दंगों में खोया अपना बेटा साजा विधानसभा के नए विधायक ईश्वर का जीवन तब पूरी तरह से बदल गया जब 8 अप्रेल को प्रदेश के बेमेतरा के बिरनपुर में दो समुदायों के बीच बड़ा दंगा हुआ। इस दंगे में हुई हिंसा के बीच ईश्वर साहू के जवान बेटे की मौत हो गई। जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने 10 अप्रेल को छत्तीसगढ़ बंद करने का बड़ा फैसला किया इस दौरान बवाल मच गया और कई जगह आगजनी की घटनाँए भी हुई। भाजपा ने भूपेश से की इस्तीफे की मांग इस घटना को राजनैतिक रूप देते हुए भाजपा ने छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधा और उनके इस्तीफे की मांग रखी। जिसके बाद प्रदेश सरकार ऐक्शन में आई और जांच के आदेश दिए। साथ ही पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया। आम मजदूर से हार गए कांग्रेस पार्टी के मंत्री प्रदेश में विधानसभा चुनाव आने पर भारतीय जनता पार्टी ने दंगों में अपना बेटा खोने वाले ईश्वर साहू को टिकट दिया। यह चुनाव वैसे तो ईश्वर के लिए आसान नहीं था क्योंकि उनके विपक्ष में क्षेत्र से 7 बार विधायक रहे और कांग्रेस के मंत्री पद पर रहे रविंद्र चौबे थे। लेकिन इसके बाद भी ईश्वर साहू ने उन्हें 5000 से भी ज्यादा वोटों से हरा दिया। ये भी पढ़ें- मोहन यादव की सरकार के लिए पांच साल बड़ा ही रहने वाला है कठिन, समझिए पांच प्वांइट्स में क्यों?
मोहन यादव की सरकार के लिए पांच साल बड़ा ही रहने वाला है कठिन, समझिए पांच प्वांइट्स में क्यों?
मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री की शपथ 13 2023 दिसंबर को ली। इसके बाद से ही यादव एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं लेकिन यादव को पांच साल सरकार चलाना बड़ा ही कठिन भरा रहने वाला है क्योंकि पिछली सरकार में प्रदेश पर लाखों करोड़ का कर्ज है जिसे पार पाना इतना आसान नहीं रहने वाला है। साथ ही महिलाओं के साथ घटी घटना, प्रदेश में बेरोजगोरी भी मोहन यादव की सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। तो आइए जानते हैं पांच वो प्वाइंट्स के बारे में जिस पर मौजूदा सरकार को सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है ताकि प्रदेश नए आयाम पर जा सके। एमपी पर बढ़ता हुआ कर्ज मध्य प्रदेश पर फिलहाल बहुत ही कर्ज है। जिसकी वजह से आम जनता पर भी प्रभाव पड़ सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमपी पर 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। जबकि इस साल की एमपी सरकार की बजट 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रहा था। अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि कर्ज से लदे मोहन यादव की सरकार कैसे पार पाएगी? मोहन यादव सरकार पर बजट से ज्यादा कर्ज मध्य प्रदेश पर बजट से ज्यादा कर्ज है। इस साल शिवराज सरकार ने विधानसभा में 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। जिसमें कई तरह की योजनाओं का जिक्र किया गया था। इन्हीं योजनाओं में से एक मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना भी रहा। प्रदेश की पिछली शिवराज सरकार ने कई किश्तों में कर्ज लिया है। जिसका भरपाई करना मोहन यादव की सरकार के लिए मुश्किलों से भरा रहने वाला है। इस साल लिए गए कर्ज का विवरण25 जनवरी 2023- 2000 करोड़02 फरवरी 2023- 3000 करोड़09 फरवरी 2023- 3000 करोड़16 फरवरी 2023-3000 करोड़23 फरवरी 2023- 3000 करोड़02 मार्च 2023- 3000 करोड़09 मार्च 2023- 2000 करोड़17 मार्च 2023- 4000 करोड़24 मार्च 2023- 1000 करोड़29 मई 2023- 2000 करोड़14 जून 2023- 4000 करोड़12 सितंबर 2023-1000 करोड़ महिला अपराध के मामले में अव्वल नंबर पर एमपी मध्य प्रदेश में महिलाओं के साथ दुर्व्यहार में नबंर वन पर है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के जरिए संसद में बताया था कि एमपी में साल 2019 से लेकर 2021 तक 1 लाख 60 हजार महिलाओं का अपहरण हुआ है। जिनमें 38 हजार से ज्यादा लड़कियां शामिल हैं। जानकारी के लिए बता दें कि ये आकंड़ा महज दो सालों का है अगर 2022 और 2023 के आकंड़े सामने आए तो ये दो लाख के पार भी जा सकता है। मोहन यादव की सरकार के लिए ये सबसे बड़ा चुनौती रहने वाला है कि वो महिलाओं की गुमशुदगी पर नियंत्रण कैसे रख पाते हैं। प्रदेश मे बेरोजगारी दर जबरदस्त मध्य प्रदेश की बेरोजगारी दर हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। मध्य प्रदेश में अगर बेरोजगारों की संख्या की बात की जाए तो राज्य में 24,77,000 बेरोजगार सूचीबद्ध हैं। इसमें पिछले साल के 5,46,000 बेरोजगारों के आंकड़े को और जोड़ गया है। जिसकी संख्या 30 लाख 23 हजार तक पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सबसे कम बेरोजगारी दर में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है। यह भी पढ़ें- फरमान जिसमें औरंगजेब ने दिया श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर तुड़वाने का आदेश अगस्त 2022 के हिसाब से मध्य प्रदेश की बेरोजगारी दर 3.52% रही। जिनमें पुरुषों की बेरोजगारी दर 3.48% और महिलाओं की 4.91% भागीदारी है। हालांकि, इस दर पर कांग्रेस पार्टी हमेशा से सवाल उठाती रही है। उनका कहना है कि ये आंकड़े सत्य से परे हैं। हाल ही में कांग्रेस के पूर्व विधायक पीसी शर्मा ने दावा किया था कि प्रदेश में 49 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार है जिन पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। अगर सरकार द्वारा दिए गए आकंड़ों की मानें तो फिलहाल प्रदेश में 30 लाख लोग बेरोजगार हैं जिन पर मोहन यादव को काम करना और उन्हें रोजगार दिलाना चुनौती भरा हो सकता है। क्या एमपी को टॉप-5 में ला पाएंगे मोहन यादव? देश की जीडीपी में मध्य प्रदेश का योगदान 4.8 फीसदी है। पहले ये आंकड़ा 3.6 फीसदी था। मौजूदा समय में प्रदेश के हर व्यक्ति की वार्षिक आय 1 लाख 40 हजार है। GSDP के आकंड़े (2021-22) के मुताबिक, मध्य प्रदेश की देश की जीडीपी में 10वां स्थान है। इसकी साल भर की GSDP( Gross State Domestic Product) 120 बिलियन डॉलर है। मोहन यादव को अपने आप को एक अच्छे प्रशासक के तौर पर स्थापित करना है तो राज्य की जीडीपी पर ध्यान देना होगा ताकि मध्य प्रदेश टॉप पांच राज्यों की लिस्ट में आ सके। यह भी पढ़ें- कुछ खास जगहं जहा आप नया साल 2024 पर घूमने जा सकते है