ABVP के दोनों छात्रों की रिहाई की उठी मांग, कल होगा बड़ा आंदोलन
ABVP के छात्रों को मदद करना महंगा पड़ गया है. जी हां आप सही सुन रहे हैं. ABVP के दो छात्रों को अदालत से इसलिए जमानत नहीं मिल रही है क्योंकि उन्होंने बिना इजाजत के हाईकोर्ट के जज की गाड़ी का उपयोग कर एक मरीज को हॉस्पिटल तक पहुंचाया ताकि उसकी जान बच जाए लेकिन अब इसी मामले में ABVP के दो छात्र फंसते हुए नजर आ रहे हैं। इस पूरे मामले पर ABVP का कहना है कि इंसानियत बची नहीं है किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती करना क्या पाप हो गया है? कोर्ट को इस पूरे घटनाक्रम में अपनी इंसानियत दिखानी चाहिए। लेकिन ऐसा लग रहा है कि आज के जमाने में मदद करना गुनाह हो गया है। क्या है मामला? दरअसल, शिवपुरी पीके यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर रणजीत सिंह यादव दिल्ली से झांसी जा रहे थे। तभी अचानक ट्रेन में उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। उसी ट्रेन में ABVP संगठन से जुड़े कुछ छात्र सफर कर रहे थे। पूर्व वाइस चांसलर की बिगड़ती तबीयत को देख सभी छात्र घबरा गए और उन्हें उपचार देने के लिए ट्रेन में काफी प्रयास की लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। जान बचाने के लिए किया था गाड़ी का प्रयोग जब ट्रेन ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर पहुंची तभी सभी छात्रों ने मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती कराने का फैसला किया। पूर्व चांसलर को ट्रेन से उतारकर स्टेशन से बाहर आए और इधर उधर एंबुलेंस की खोज करने लगे लेकिन कहीं नहीं दिखा इसके अलावा छात्रों ने लोकल गाड़ी को भी देखा लेकिन कुछ नहीं मिला। इसके बाद छात्रों ने वीआईपी एरिया में हाईकोर्ट के एक जज की गाड़ी खड़ी देखी। जिसके बाद छात्रों को थोड़ी राहत मिली लेकिन जज के ड्रावर ने उन्हें अस्पताल ले जाने से माना कर दिया। इसके बाद छात्रों ने मरीज की हालत बिगड़ते देख जबरदस्ती कार में बैठया और उसे जिले के जयारोग्य अस्पताल में भर्ती करवाया लेकिन पूर्व चांसलर की जान नहीं बच पाई। डॉकटर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। ABVP के दोनों छात्रों की रिहाई की उठी मांग इस पूरे मामले में दो छात्रों को आरोपी बनाया गया है। जिनका नाम हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा है। फिलहाल दोनों जेल में बंद हैं। इनकी रिहाई पर कोर्ट में सगंठन की ओर से दलील दी गई कि दोनों ने कुलपति की जान बचाने के लिए कार ली थी। जिस पर अदालत ने कहा कि किसी से मदद विनम्रता पूर्वक मांगी जाती है न की बलपूर्वक। यह भी पढ़ें- मांस मछली की दुकान पर सियासत, मोहन यादव सरकार को मिला मुस्लिम मंच का साथ यह कहते हुए न्यायालय ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी। जमानत याचिका खारिज होने पर संगठन के लोग नाराज हैं। उनका कहना है कि जान बचाना क्या गुनाह हो गया है। दोनों छात्रों को जमानत के लिए संगठन की ओर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटया गया है जिसकी सुनवाई सोमवार को होने वाली है। कल से होगा ABVP के छात्रों के लिए आंदोलन सुनवाई होने से पहले संगठन आज सांकेतिक तौर पर विरोध प्रदर्शन करने वाला है। साथ ही संगठन कल पूरे प्रदेश मेंप्रदर्शन करने वाला है। जानकारी के लिए बता दें कि, हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा पर मप्र डकैती और व्यापार प्रभाव क्षेत्र अधिनियम (एमपीडीवीपीके अधिनियम), डकैती विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज कराया गया है। जेल में बंद दोनों छात्रों की तबीयत खराब बाताई जा रही है। एक छात्र को वायरल फीवर तो दूसरे का यूरिन इंफेक्शन हुआ है। जिसका इलाज जयारोग्य अस्पताल में चल रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सोमवार की सुनवाई में इन दोनों छात्रों को कोर्ट से रिहाई मिलती है या अभी इन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा। यह भी पढ़ें- ओरछा में ढोल नगाड़े के साथ भगवान राम की निकाली जाएगी बारात
मांस मछली की दुकान पर सियासत, मोहन यादव सरकार को मिला मुस्लिम मंच का साथ
मध्य प्रदेश की सरकार ने बीते दिन एक फरमान जारी किया था कि धार्मिक स्थलों से 100 मीटर के आसपास, अवैध तरीके और खुले में मांस मछली की दुकान नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा करता हुआ कोई पाया गया तो उन पर सरकार उचित कार्रवाई करेगी। सरकार के इस आदेश के बाद देश की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है। बीते दिन मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि, बीजेपी को बस मुद्दा चाहिए ताकि गरमाहट बनी रहे। अब इसी मामले पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की पहली प्रतिक्रिया आई है। मायावती ने क्या कहा ? एक्स पर मायावती लिखती हैं “मध्य प्रदेश की नई बनी भाजपा सरकार द्वारा बेरोजगारों व अन्य गरीब मेहनतकशों को रोटी-रोजी उपलब्ध कराने का जरूरी फैसला करने के बजाय, रोजगार के अभाव में मछली, अण्डा, मीट आदि का खुले में स्वरोजगार करने वालों पर दमन शुरू कर देना कितना उचित? इस विवादित फैसले पर पुनर्विचार जरूरी।” एक अन्य ट्वीट में मायावती ने लिखा, “मध्य प्रदेश सरकार ही नहीं बल्कि सभी सरकारों से महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि को दूर करने पर ही पूरी तन्मयता से काम करने की जरूरत। फिर भी इन वस्तुओं के खुले में व्यापार करने पर इतनी ज्यादा आपत्ति है तो उन्हें उजाड़ने से पहले दुकान एलाट करने की व्यवस्था सरकार क्यों नहीं करती?” यह भी पढ़ें- श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सपा सांसद ने नकारा बरसे कमलनाथ मायावती के अलावा कमलनाथ ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है। कमलनाथ ने कहा कि, ये कुछ न कुछ बहाना विवाद के लिए खोजते हैं। ये कुछ भी करें समाज में विवाद नहीं होना चाहिए। ये हमारा लक्ष्य है। हमारी संस्कृति जुड़ कर रहने की है, प्यार मोहब्बत की है। यादव सरकार को मिला राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का साथ वहीं इस पूरे मामले पर मध्य प्रदेश की सरकार को राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का साथ मिलता हुआ नजर आ रहा है। मुस्लिम मंच ने व्यापिरयों से आग्रह किया है कि वो खुले में मांस,मछली की दुकान न लगाए और न ही इसे बेचें। सगंठन की ओर से लोगों को बताया जा रहा है कि कोई भी ऐसा काम न करें जिससे समाज में सांप्रदायिक माहौल न पैदा हो। बिहार में भी दिखा मांस मछली विवाद बता दें कि, मध्य प्रदेश में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में भी योगी सरकार ऐसी फरमान ला चुकी है। धार्मिक जगहों के पास किसी प्रकार की मांस, मछली बेचने की मानाही है। वहीं हाल ही में खुले में मांस-मछली बेचने के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई 12 जनवरी 2024 को होने वाली है। इस याचिका में पटना सहित राज्य के अन्य जिलों में खुलेतौर पर मांस बेचने पर बैन लगाने की मांग की गई है। यह भी पढ़ें- श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर ओवैसी ने दिया बड़ा बयान
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सपा सांसद ने नकारा
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने से मना कर दिया है। इसके पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी, जिसके खिलाफ ईदगाह कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे इंकार करते हुए मथुरा में अधिवक्ता आयुक्तों की टीम को श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और ईदगाह परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर 18 दिसंबर को कोर्ट करेगी अगला फैसला सर्वेक्षण के तौर-तरीके 18 दिसंबर को तय होंगे, जब अदालत सुनवाई फिर से शुरू करेगी। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के सर्वे पर रोक लगाने से इंकार किया है। इससे एक दिन पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर सर्वे की मंजूरी दी थी, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस सर्वे को रोक देने का फैसला किया है, जिससे मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के विवाद में नए मोड़ आए हैं। राम मंदिर के फैसले को भी नकारा सपा सांसद एसटी हसन ने इस फैसले को नकारा, कहते हुए कि इससे बाबरी मस्जिद के सर्वे की तरह ही होगा, जिसमें कोई साक्ष्य नहीं मिला था। उन्होंने कहा कि संविधान नहीं था और राजतंत्र चलता था, जब राजा ने जहां चाहा मंदिर और मस्जिद बनवा दी। इसके बाद, आजकल सरकार धर्म के नाम पर टेंशन पैदा कर रही है और देश को 500 साल पीछे ले जाने की कोशिश कर रही है। AIUDEF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने भी उठाया सवाल AIUDEF प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने भी इस फैसले का समर्थन नहीं किया और बताया कि BJP, RSS, VHP का एजेंडा है कि वे मस्जिदों को अपना मंदिर बताते हैं। उन्होंने कहा कि इससे आगे और नए विवादों का आरंभ हो सकता है, और हम सभी को मिलकर देश को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए ना की देश को 500 साल पीछे लके जाना चाहिए। ये भी पढ़े-श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर ओवैसी ने दिया बड़ा बयान
ओरछा में ढोल नगाड़े के साथ भगवान राम की निकाली जाएगी बारात
राम राजा सरकार की नगरी ओरछा दुल्हन की तरह सज धज के तैयार है। नगर को सजाने का मुख्य कारण बुंदेली रीति-रिवाजों से राम राजा सरकार का विवाह करना है। इस मंदिर की साज सज्जा का काम मंदिर प्रशासन अपने हाथों में लिया है। बता दें कि, बारात के दिन पूरी सड़कों पर झंडे व लाइटनिंग झालरों से सजावट की जाएगी। जानकी मंदिर पर विशेष फूलों की सजावट होने वाली है। पारंपरिक विवाह महोत्सव की तैयारी शुरू राम की नगरी ओरछा में सदियों से ये उत्सव मनाया जा रहा है। मनाए जाने वाले राम जानकी विवाह महोत्सव को लेकर नगर सहित बुंदेलखंड के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। इसका आयोजन 15 से 17 दिसंबर को होना है। इस पारंपरिक विवाह महोत्सव की तैयारी मंदिर प्रबंधन और जिला प्रशासन की ओर से की जा रही है। ये भी पढ़ें- श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर ओवैसी ने दिया बड़ा बयान भगवान राम को दिया जाएगा गॉर्ड ऑफ ऑनर 17 दिसम्बर को रात्रि 8 बजे ढोल नगाड़े, गाजेबाजों और राजसी ठाटबाट के साथ श्री रामराजा सरकार की बारात निकाली जाएगी। वरयात्रा के मंदिर से निकलते ही सशस्त्र पुलिस बल दूल्हा बने राजा राम को गॉर्ड ऑफ ऑनर देगा। इसके बाद श्री राम जी अपने छोटे भाई लक्ष्मण जी के संग पालकी में विराजमान होकर पूरे नगर वासियों को दर्शन देते हुए नगर मुख्य चौराहे पर स्थित जनक भवन मंदिर के लिए निकलेंगे। सरकार की नगरी में आयोजित इस कार्यक्रम को देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। सुरक्षा को देखते हुए पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। तीन दिन होता है कार्यक्रम मंदिर के प्रांगण में बहुत ही सुंदर पंडाल लगाए गए हैं। नगर की जितनी भी महिलाएं हैं वो सभी सांस्कृतिक बुंदेली गाना गाने शुरू कर दिए हैं। दुल्हन की तरह से सज चुकी ओरछा में तीन दिवसीय राम विवाह कार्यक्रम में पहले दिन तेल और हल्दी का कार्यक्रम होता है। जिसमें नगर की महिलाएं भगवान श्री राम को तेल हल्दी चढ़ाती हैं। दूसरे दिन मंडप का कार्यक्रम विधि विधान से जिले के प्रशासन द्वारा कराई जाती है। जिसमें भगवान श्री राम की पूजा की जाती है। ये भी पढ़ें-साल 2024 में देश के इन पांच खूबसूरत शहरों का करें भ्रमण
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर ओवैसी ने दिया बड़ा बयान
मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। 14 दिसम्बर को इलाहाबाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर का सर्वे करने की मंजूरी दे दी गई है। वहीं अब इस मामले में (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान सामने आया है जिसमें उनका कहना है कि यह विवाद सालों पहले दोनों पक्षों की आपसी सहमति से सुलझ गया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर ओवैसी ने दिया बयान मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर इलाहाबाद के सर्वे वाले फैसले पर अब (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान सामने आया है। ओवैसी का कहना है कि यह विवाद सालों पहले ही मंदिर ट्रस्ट और मस्जिद कमेटी की आपसी सहमति से सुलझ गया था। यह भी पढ़ें- साल 2024 में देश के इन पांच खूबसूरत शहरों का करें भ्रमण ओवैसी ने अपने सोशल मीडीया ऐक्स पर लिखते हुए कहा कि ‘‘एक नया समूह आया है जो इन विवादों को उठा रहा है। चाहे वह काशी हो, लखनऊ की टीले वाली मस्जिद हो या मथुरा यह एक ही समूह है।’’ ओवैसी ने लगाए इस समूह पर आरोप ओवैसी कहते हैं कि उपासना कानून अब भी लागू कानून है।लेकिन इस समूह ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया को मजाक बनाकर रखा है। वह आगे कहते हैं कि जब इस मामले को लेकर 9 जनवरी को फैसला होने वाला था तो ऐसा क्या हुआ कि कोर्ट को फैसला इतना जल्दी लेना पड़ा। यह भी पढ़ें- मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमी का पूरा इतिहास
साल 2024 में देश के इन पांच खूबसूरत शहरों का करें भ्रमण
कुछ ही दिनों में साल 2023 खत्म होने जा रहा है और साल 2024 का लोग खुले बाहों से स्वागत करते हुए नजर आएंगे। नए साल को लोग अपने-अपने तरीके से वेलकम करते हैं कुछ लोग इस दिन पिकनिक पर तो कुछ घूमने के लिए अन्य शहर जाते हैं। तो चलिए आपको देश की उन पांच शहरों के नाम बताते हैं जहां आप अपने पूरे परिवार या दोस्तों के साथ घूमने के लिए जा सकते हैं मनाली न्यू ईयर और साल 2024 के आने पर आप हिमाचल प्रदेश के मनाली का दौरा कर सकते हैं। ठंड के दिन में आप यहां बर्फबारी का लुत्फ उठा सकते हैं। विंटर के सीजन की वजह से इस इलाके में आपको चारों तरफ बर्फ की चादर बिछी हुई नजर आएगी जो आपके मन को काफी लुभावन लगेगा। गंगटोक सिक्किम की राजधानी गंगटोक भी हैप्पी न्यूर ईयर के मौके पर बेहतर हैं। यहां आप अपने प्रेमिका के साथ घूमने जा सकते हैं। इस शहर में आपको नेचर से जुड़ी चीजें देखने को मिलेगी। चारों तरफ पहाड़ और पेड़-पौधे ही देखने को मिलेंगे। नए साल के मौके पर आप गंगटोक शहर को घूमने की लिस्ट में रख सकते हैं। गुलमर्ग जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग शहर प्राकृतिक से लबरेज है। नए साल के खास मौके पर इस शहर में जा सकते हैं। ठडं की वजह से यहां चारों ओर आपको बर्फ ही बर्फ देखने को मिलेंगे। अगर आप मध्य भारत के रहने वाले हैं तो एक बार आपको इस मौसम में गुलमर्ग का दौरा जरूर करना चाहिए और न्यू ईयर से अच्छा मौका कुछ नहीं हो सकता। दोस्तों या परिवार वालों के साथ गुलमर्ग का दौरा कर सकते हैं। ऊटी नए साल की शुरुआत दूर तक फैले चाय के बागानों के बीच करनी है तो आप ऊटी घूमने का प्लान कर सकते हैं। यहां के मनमोहक दृश्य, झीलें और शानदार पहाड़ियां आपने न्यू ईयर को खूबसूरत बना देंगी।ऊटी उन लोगों के लिए घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है, जो शोर-शराबे वाली पार्टियों की बजाय नेचर को इंजॉय करना चाहते हैं। नीलगिरि पहाड़ियों में बसे इस स्वीट से शहर की खूबसूरती आपका मनमोह लेगी। भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी न्यू ईयर माना सकते हैं। झीलों की नगरी से प्रसिद्ध भोपाल में आपको चारों तरफ प्राकृतिक के नजारें देखने को मिलेंगे। भोपाल नेचर के बहुत ही नजदीक है। अगर आप भोपल में न्यू ईयर को सेलिब्रेट करना चाहते हैं तो आप सैर सपाटा, वन बिहार, राजा भोज मंदिर जैसे तमाम फेमस जगहों का भ्रमण कर सकते हैं जो आपके मनमोहने का काम करेंगी। ये भी पढ़ें- मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमी का पूरा इतिहास
मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमी का पूरा इतिहास
ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब समूचे देश की निगाहें मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमी पर टिकी हुई हैं। 14 दिसम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमी के करीब स्थित शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की मंजूरी दे दी है और यह सर्वे किस तरह किया जाएगा इसकी सुवाई 18 दिसम्बर को की जाएगी। आज इस लेख के माध्यम से जानिए मंदिर बनने से लेकर के मंदिर विवाद के पीछे के तथ्य। किसने कराया था श्रीकृष्ण जन्मभूमी का निर्माण श्रीकष्ण जन्मभूमी विवाद आज से करीब 350 साल पुराना है। ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने सन् 1618 ई में भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमी पर मंदिर बनवाया था। तब तक इस भूमी से जुड़ा कोई विवाद खड़ा नहीं हुआ था। ये भी पढ़ें- श्रीकृष्ण जन्मभूमी के इतिहास से जुड़ी कुछ खास इस शासक ने किया श्रीकृष्ण जन्मभूमी पर आक्रमण सन् 1670 में मुगल शासक ओरंगजेब ने एक शाही ईदगाह नामक मस्जिद का निर्माम कराया था। हिंदूपक्ष का कहना है कि यह मस्जिद का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर तोड़कर किया गया था। बतादें कि मस्जिद के निर्माण के बाद से ही यह ज़मीन करीब 100 साल तक मुस्लिम पक्ष के पास थी। इस जमीन पर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित था। मराठों ने कराया था जन्मभूमी ता पुन: निर्माण सन् 1770 में मराठों और मुगलों के बीच जंग छिड़ गई है।इस जंग में मराठों को जीत मिली थी जिसके बाद यह भूमी पुन हिंदूपक्ष के पास आ गई थी। जिसपर मराठों ने दोबारा मंदिर बनवाया और उसे केशवदेव मंदिर कहा गया। अंग्रेजों ने की थी श्रीकृष्ण जन्मभूमी की नीलामी समय बीतने के साथ मंदिर जर्र अवस्था को प्राप्त हो गया था। फिर अंग्रेजों द्वारा सन् 1815 में मंदिर की नीलामी कर दी गई जिसे काशी नरेश ने खरीदा। काशी नरेश की कोशिशों के बाबजूद मंदिर का पुन निर्माण नहीं हो सका जिसके कारण यह जगह खाली पड़ी रही। जिसके बाद साल 1944 में इस भूमी को जुगल किशोर बिड़ला ने खरीद लिया। श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट ने की मंदिर की स्थापना आजादी के बाद साल 1951 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की स्थापना हुई। साल 1953 में मंदिर निर्माण की शुरूआत हुई और साल 1958 में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया। लेकिन तब से आज तक इस मंदिर को लेकर विवाद चला आ रहा है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमी के इतिहास से जुड़ी कुछ खास
श्रीकृष्ण जन्मभूमी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिसे आप सब ने कही पढ़ा या सुना नही होगा. हमारी मीडिया टीम ने जब मथुरा मंदिर के इतिहास को उठा कर देखा तो कुछ खास बातें पता चली हैं जो हम आप सब को भी बताना चाहेंगे. एक नही बल्कि 4 बार मथुरा मंदिर को तोड़ा और बनाया गया है. करीब पाँच हजार साल पहले, कटरा केशव देव में राजा कंस का कारागार था, जहां मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। ये भी पढ़े- अयोध्या के श्रीराम मंदिर में कौन बनेगा मुख्य पुजारी किसने किया श्रीकृष्ण जन्मभूमी पर हमला इतिहासकार डॉ. वासुदेव अरण अग्रवाल ने इसे श्रीकृष्ण की जन्मभूमि माना है। महमूद गजनवी ने सन् 1017 में मंदिर पर हमला किया था। साक्ष्यों के आधार पर, इसे कई बार नष्ट किया गया और बार-बार निर्मित हुआ। सन् 1669 में औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ा और ईदगाह बनाया। ब्रिटिश शासनकाल में इसे खरीदा गया और भव्यता से पुनर्निर्माण हुआ। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की मंदिर निर्माण में भूमिका श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने 1944 में मंदिर की स्थापना की, परंतु ईदगाह को लेकर विवाद है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2023 में सर्वेक्षण के लिए निगरानी करने के लिए अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया है। हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मस्जिद के नीचे है। इसके स्वीकृति के बावजूद, विवाद जारी है और यह आयोग 18 दिसंबर, 2023 को आगामी सुनवाई करेगा। ये भी पढ़े- भारत के कुलदीप और सुर्या ने दक्षिण अफ्रीका को किया पराजित
भारत के कुलदीप और सुर्या ने दक्षिण अफ्रीका को किया पराजित
सूर्यकुमार यादव के ऐतिहासिक शतक के बाद, जन्मदिन के खास मौके पर कुलदीप यादव ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टी20 मैच में विकेट का पंजा जड़ा। इस मैच में टीम इंडिया ने जीत दर्ज कर टी20 सीरीज 1-1 से बराबरी कर ली, साथ ही कई रिकॉर्ड भी स्थापित किए। सूर्यकुमार यादव के शतक और कुलदीप यादव के पांच विकेट ने दक्षिण अफ्रीका को तीसरे टी20 मैच में पराजित कर दिया। तीन मैचों की टी20 सीरीज बराबरी पर रही, जहां पहले खेल में सूर्या ने ऐतिहासिक 56 गेंदों में शतक बनाया और टीम ने बड़ा स्कोर तय किया। अफ्रीकी टीम 95 रन पर सिमट गई और 106 रनों से हारी। यह उनकी तीसरी सबसे बड़ी हार थी। कुलदीप यादव ने जन्मदिन पर 17 रन देकर 5 विकेट लिए, जो टी20 इंटरनेशनल मैच में किसी भी गेंदबाज द्वारा किए गए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक था। ये भी पढ़े- अयोध्या के श्रीराम मंदिर में कौन बनेगा मुख्य पुजारी उप-कप्तान रवींद्र जडेजा ने भी दो विकेट लिए, जबकि टॉस हारकर भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट पर 201 रन बनाए। इसके बाद, सूर्या और यशस्वी ने मिलकर 70 गेंदों में 112 रनों की पार्टनरशिप करते हुए टीम को संभाला और बड़े स्कोर तक पहुंचाया। यशस्वी 41 गेंदों पर 60 रन बनाकर आउट हुए, जबकि सूर्या ने अपनी पारी में 8 छक्के और 7 चौके जमाए, रोहित शर्मा और ग्लेन मैक्सवेल के साथ शतक के रिकॉर्ड को बराबर किया। साउथ अफ्रीका के लिए केशव महाराज और लिजाड विलियमस ने 2-2 झटके लगाए, जबकि तबरेज शम्सी और नांद्रे बर्गर को भी एक-एक विकेट मिला। अफ्रीकी टीम 13.5 ओवर में 95 रनों पर सिमट गई, जिसमें डेविड मिलर ने सबसे ज्यादा 35 रन बनाए। कुलदीप यादव ने अपने जन्मदिन पर टी20 इंटरनेशनल में शानदार प्रदर्शन करते हुए 5 विकेट लिए, जिससे वह सबसे अच्छे गेंदबाजी करने वाले खिलाड़ी बने। ये भी पढ़े- राजस्थान में कल शपथ समारोह, इन दिग्गजों के आने की संभावना