पवित्र प्रेम का सूचक है हरियाली तीज
सत्यम शिवम सुनदरम. सावन का यूं तो पूरा महिना ही भगवान शिव की याद करने और आत्मिक और शारीरिक शुद्धिकरण का महिना होता है. सावन के सोमवार का भी विशेष महत्व होता है जिसमें भगवान शिव की आराधाना और पूजन का भी महत्व है. इस महिने की शुक्ल पक्ष की तर्तिया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है. इस साल यह पर्व 18 अगस्त को 8:01 मिनट से शुरु होकर 19 अगस्त को रात 10:19 बजे तक चलेगा. यह त्योहार विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और उतर प्रदेश में मनाया जाता है. इस दिन सुहागिनें अपनी पति की लंबी आयू के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. यह पर्व पति और पत्नि के पवित्र प्रेम का प्रतिक है. जयपूर में हरियाली तीज तो वहीं हाङौती में कजली तीज के नाम से जाना जाता है. माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन का है त्योहार : हरियाली तीज की कथा सुनाते हुए भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि हे पार्वती ! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया. अन्न और जल का भी त्याग कर दिया और सर्दी, गर्मी, बरसात जैसे मौसम की भी कोई फिक्र नहीं की. तब जाकर तुम्हें मैं प्राप्त हुआ हूं. अब से पूजा के दौरान तुम्हारे इसी कठोर तप की कथा को ही पढ़ा जाएगा और सुना जाएगा. इससे अन्य महिलाओं को भी तुम्हारे तप के समान पुण्य की प्राप्ति होगी और उनकी कामना की पूर्ति होगी. महादेव कथा सुनाते हुए कहते हैं कि हे पार्वती ! एक बार नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा कि मैं विष्णुजी के भेजने पर यहां आया हूं. भगवान विष्णु स्वयं आपकी तेजस्वी कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं. नारद मुनि की बात सुनकर पर्वतराज बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने शादी के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया. लेकिन जब तुम्हारे पिता ने ये बात तुम्हें बताई तो तुम बहुत दुखी हुईं क्योंकि तुम तो पहले ही मन से मुझे अपना पति मान चुकी थीं. क्रोध नहीं करती हरतालिका तीज व्रती इस त्योहार में मन की शुद्दि का विशेष मह्तव होता है. गुस्सा करना वर्जित होता है. इसके अलावा बता दें सुहागिनें मेंहदी रचाती हैं. यूं तो मेंहदी सुहाग का प्रतीक है लेकिन इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण ये है की मेंहदी शीतलता प्रदान करती है. मंगलसूत्र पहनने से नकारात्मक एनर्जी दूर रहती है. चांदी की पायल पहनने से एङियां मजबूत होती है. विवाहित कन्याओं को मायके के तरफ से उपहार स्वरुप भेंट की जाने वाली वस्तुओं को सिंघारा कहते हैं. निस्वार्थ प्रेम का संदेश देती है हरियाली तीज: कलियुग में जहां आज हर रिशते में दरार आती दिखाई देती है वहीं हरतालिका तीज का ये त्योहार पति और पत्नी के पवित्र प्रेम को जाग्रत कर रिशते की डोर को मजबूत कर देता है. रिश्ते में खोए हुए प्रेम को पुन: वापस ले आती है. ये त्योहार रिश्ते में एक दूसरे के प्रति सम्मान भी वापस ले आता है. पत्नी का निर्जला उपवास रखना संपूर्ण समर्पण को दिखाता है.