कौन है सिरनाम सिंह “TREE MAN OF DATIA “
अक्सर आपने ऐसे नेताओं के बारे में सुना होगा जो पेड़ लगाते हैं लेकिन शायद ही फिर दोबारा उस पेड़ की ओर देखते हों पर आज हम आपको “TREE MAN OF DATIA ” के बारे में.यह दतिया जिले में रहने वाले एक ऐसे बूढ़े दादा हैं जो प्रतिदिन कई पेड़ लगाते हैं और उनकी देखभाल भी करते हैं. 25 साल से लगा रहे हैं पेड़ आयुध मीडीया की एक रिपोर्ट के अनुसार दतिया जिले के रहने वाले सिरनाम सिंह आज से करीब 25 साल पहले से लगातार, रोज़ाना कई पेड़ लगाते हैं. कैसे किया शुरू दरअसल सिरनाम सिंह के गाँव में एक बार कथा हुई थी.कथा में व्यास ने कहा था कि यदी कोई व्यक्ति एक पेड़ भी लगाता है तो उसे 1000 यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है. फिर क्या था जैसे ही सिरनाम को यह बात मालुम हुई तो तभी से उनने पेड़ लगाना शुरू कर दिया.वह एक दिन में एक या दे नहीं बल्कि कई पेड़ लगाने लगे.और इस तरह उनका “TREE MAN OF DATIA ” बनने का सफर शुरू हुआ. सिरनाम रोज़ाना सुबह 5 बजे उठकर घर से निकल जाते है और अपने साथ नाश्ता बाँध लेते है.दादा घर से निकलकर फिर दिन भर पेड़ लगाते हैं.वह सिर्फ पेड़ों को लगाते नहीं बल्कि उनका ध्यान भी रखते हैं.वह पेड़ों को पानी भी डाला करते हैं. बना दिेए कई बाग सिरनाम बताते है कि उन्होने ना केवल अपने गाँव भरसूला में पेड़ लगाए हैं बल्कि आस-पास के कई गाँव में भी हरियाली को कायम रखा है वह आस-पास के गाँवों में भी पेड़ लगाते रहते हैं.आज यह दादा पूरे भारत में “TREE MAN OF DATIA ” के नाम से जाने जाते हैं. ये भी देखें-
Smart Tattoo- अब बस एक कला नहीं चिकित्सा उपकरण भी?
कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि टैटू की अगली पीढ़ी “Smart Tattoo” चिह्नों से कहीं अधिक होगी। लंदन: कला के सबसे पुराने रूपों में से एक टैटू को माना जाता है, जो हजारों साल पुराना है और मानव इतिहास में कई संस्कृतियों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता है। इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक शोधकर्ता डॉ. अली यतिसेन ने बताया है की, “Smart Tattoo” पिगमेन्ट मानव शरीर में कुछ बायोमार्कर की निगरानी के लिए चमड़े के नीचे इंजेक्ट किया जा सकता है। यतिसेन कहते हैं, उनकी अवधारणा पारंपरिक टैटू स्याही को “कार्यात्मक सामग्रियों” से बदल देती है, “ऐसे टैटू बनाते हैं जो बाहरी उत्तेजनाओं के जवाब में अपना रंग बदलते हैं”, जैसे कि मधुमेह वाले लोगों के लिए ब्लड शुगर के स्तर में बदलाव, गुर्दे या यकृत के कार्यों की निगरानी करना, या एथलीट में डिहायड्रेशन जैसी दिक्कतें। यतिसेन का कहना हैं, “हमें उम्मीद है कि अब कोई भी बीमारी पहचानने के लिए ये नवीन प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाएगा”। इसमें “इंजेक्टेबल सेंसर” की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है जो वास्तविक समय में मानव स्थिति की रिपोर्ट और प्रदर्शन कर सकती है। और कहा हुए है Smart Tattoo पर काम? कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के डॉ. कार्सन ब्रून्स विकिरण या यूवी प्रकाश जोखिम जैसे बाहरी कारकों की निगरानी में मदद करने के लिए स्मार्ट टैटू पर काम कर रहे हैं, जो त्वचा कैंसर का एक प्रमुख कारण है। ऐसे अदृश्य रहने वाले टैटू यूवी रे के संपर्क में आने पर स्वयं प्रकट हो जाएगा, जैसे कि जब कोई व्यक्ति बहुत लंबे समय तक धूप में रहता है। अधिक सनस्क्रीन लगाने पर या सूरज की रौशनी छोड़ने के बाद गायब हो जाता है। ब्रून्स के टीम ने तब से स्मार्ट टैटू पिगमेंट विकसित किया है जो कम से कम तीन साल तक काम कर सकता है, और प्रकाश स्रोत को नियंत्रित करके इसे “चालू और बंद” किया जा सकता है। Smart Tattoo के फायदे शोधकर्ताओं का कहना है कि स्मार्ट घड़ियों या ग्लूकोज मॉनिटर जैसी पहनने योग्य तकनीक की तुलना में स्मार्ट टैटू का एक फायदा यह है कि उन्हें हैक नहीं किया जा सकता है या बैटरी खत्म नहीं की जा सकती है। “(स्मार्ट टैटू) सबसे सुविधाजनक हैं,” उनका मानना है, “क्योंकि यह पहनने योग्य वस्तुओं और इमप्लान्ट के बीच एक अद्भुत मध्य का रास्ता है”। चुनौतियाँ क्या है? एक चुनौती है आम जनता को इस तकनीक को स्वीकार करने के लिए तैयार करना। कुछ लोगों और संस्कृतियों के लिए, टैटू बनवाना एक कलंक है, जबकि अन्य के मन में त्वचा के नीचे इंजेक्शन की सुरक्षा के बारे में सवाल हैं। यतिसेन की तकनीक का परीक्षण सुअर की त्वचा पर किया गया है, और अगले तीन वर्षों में मानव नैदानिक परीक्षणों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। एक और चुनौती यह सुनिश्चित करना होगी कि डेटा पर्याप्त और सटीक हों, जिससे बीमारी की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए “सार्थक, कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि” प्राप्त हो सके। ये भी पढ़ें: King Charles को मिलने वाला ग्रांट 45% से क्यों बढ़ाया गया? https://aayudh.org/king-charles-grant-hiked-by-45/
कूनो में फिर मिले अनहोनी के संकेत,लापता हुई मादा चीता
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से मुसीबतें हटने का नाम ही नहीं ले रही हैं.पहले चीतों में झड़प हुई फिर कॉलर से संक्रमण हुआ और अब नेशनल पार्क में एक मादा चीता लापता है.जिसकी खोज फिलहाल जारी है. पूरा मामला मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क के सभी चोतों को मौनसून के चलते वापस बाड़े में शिफ्ट किया जा रहा है. कुल 15 चीतों में से 13 चीते अभी तक बाड़े में आ चुके हैं.पर दो मादा चीता अभी भी खुले में मौजूद है. मादा चीते धात्री और निर्वा अभी भी खुले में ही घूम रहे हैं.इनमें से धात्री की लेकेशन तो पार्क के प्रबंधन को मालूम है पर निर्वा का कुछ पता नहीं है.जिसके बाद से पार्क प्रबंधन के पसीने छूट रहा हैं. ऐसे हो रही खोज दरअसल निर्वा का रेडियो कॉलर खराब हो गया है जिसके कारण उसकी लोकेशन ट्रेक करने में परेशानी आ रही है हालाँकि निर्वा अभी भी पार्क की सीमा के अंदर है. ट्रेकिंग टीम चाते को ड्रोन और पगमार्ग के ज़रिए ढूँड रही है.इसके साथ ही उन्होने कॉलर आईडी ठीक करने के लिए तकनीकी टीम से सहियोग माँगा है.पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ असीम श्रीवास्तव ने बताया है की 13 चीते स्वस्थ है और बाकी दो की जाँच बाकी हैं.
इस बड़े आदिवासी नेता की हुई बीजेपी में एन्ट्री !
बीजेपी ने गुरूवार को एक पूर्व न्यायाधीश को प्रदेश महामंत्री और प्रदेश संगठन महामंत्री की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता दिलाई. इसके अलावा जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक भी अब पार्टी का हिस्सा बन चुके हैं. इस महामंत्री ने दिलाई बीजेपी की सदस्यता बुधवार को बीजेपी प्रदेश कार्यालय में प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने अंग वस्त्र पहनाकर रिटायर्ड जज प्रकाश भाऊ उइके सहित महाकोशल प्रांत के जनजातीय सुरक्षा मंच के संयोजक सोहन सिंह को उनके समर्थकों सहित भाजपा की सदस्यता दिलवाई. प्रकाश भाऊ उइके पार्टी की सदस्यता लेते वक्त प्रकाश भाऊ उइके ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के साथ प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के नेतृत्व में पार्टी के बढ़ते विस्तार से प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर रहा हूँ. सोहन सिंह का बयान आया सामने जनजातीय सुरक्षा मंच के संयोजक सोहन सिंह का कहना है कि जनजातीय वर्ग के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार काम कर रही है. भाजपा की विचारधारा और नीतियों से प्रभावित होकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहा हूँ. ये है बीजेपी का प्लान कई राजनैतिक जानकारों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी आदिवासी बहुमूल्य इलाकों के ऐसे लोगों को खोज रही है जिन्होने बड़े पदों पर काम किया हो.पार्टी इन लोगों की मदद से आदिवासी इलाकों तक भाजपा द्वारा उनके लिए के गए कार्य़ों को पहुँचाएगी.