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King Charles को मिलने वाला ग्रांट 45% से क्यों बढ़ाया गया?

इंग्लैंड के 70 वर्षीय King Charles के सालाना वेतन मे तत्काल के 908 करोड़ रुपये से 2025 में 45% बढ़ोतरी होने वाली है। और उधर डोकटोरों की बस 5% वेतन बधाई गई है। ब्रिटेन: किंग चार्ल्स III को UK के करदाताओं से सार्वजनिक धन में पर्याप्त वृद्धि प्राप्त होने वाली है, राजशाही के वार्षिक बजट में 2025 से 45% की वृद्धि हुई है। सरकार संप्रभु अनुदान को बढ़ावा देने की योजना बना रही है, जो क्राउन एस्टेट से होने वाले मुनाफे के मुकाबले मौजूदा £86 मिलियन (₹908 करोड़) से £125 मिलियन (₹1,320 करोड़) तक आंका गया है। राजकोष द्वारा प्रकाशित रॉयल फंडिंग की समीक्षा यह सुझाव देने के लिए तैयार की गई थी कि राजा सार्वजनिक सेवाओं के लिए क्राउन एस्टेट फंड को चैनल करने के लिए वेतन में कटौती करेंगे। हालाँकि, वास्तव में, राजशाही को 2025 से महत्वपूर्ण वेतन वृद्धि मिलने वाली है, जैसा कि द गार्जियन ने बताया है। कैसे तय होता है ये ग्रांट? 2011 में तत्कालीन प्रधान मंत्री डेविड कैमरन और चांसलर जॉर्ज ओसबोर्न द्वारा पेश किया गया फॉर्मूला, सम्राट की फंडिंग को क्राउन एस्टेट के मुनाफे के एक प्रतिशत से जोड़ता है। रॉयल ट्रस्टी, जिसमें प्रधान मंत्री, चांसलर और राजा के वित्तीय सलाहकार शामिल हैं, इस प्रतिशत को तय करते हैं, जिसे 2017 से 25% पर निर्धारित किया गया है, जिससे संपत्ति के मुनाफे में वृद्धि के कारण राजशाही के लिए वित्त पोषण में लगातार वृद्धि हुई है। King Charles क्या करते है इतने पैसों से? ब्रिटेन के सरकार का मानना है की ये शाही परिवार ब्रिटेन की शान है। इनको अपने कामन्वेल्थ देशों मे प्रजा से मिलने जाना होता है और कई कार्यक्रमों मे शिरकत देनी होती है इसलिए इतने पैसे इनको अपने रख रखाव और घूमने के लिए मिलते है। डॉक्टर धरने पर क्यों बैठे है? इंग्लैंड में वरिष्ठ डॉक्टर 20-21 जुलाई को लगभग 50 वर्षों में वेतन को लेकर अपनी पहली हड़ताल पर बैठे। 20,000 से अधिक सलाहकारों (86%) ने ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के मतदान में वेतन को लेकर हड़ताल के पक्ष में मतदान किया, जिसमें 71% मतदान हुआ। हड़ताल का मतलब है कि नैशनल हेल्थ सर्विस (NHS) को सेवा के बहुत कम स्तर पर काम करना होगा। यह वाकआउट वेतन-समीक्षा निकाय की सिफारिशों के अनुरूप 6% वृद्धि की सरकार की “अंतिम पेशकश” को लेकर है, लेकिन जो डॉक्टर चाहते हैं, उनका वेतन 8% के महंगाई दर के कारण कम हो गया है। यह डॉक्टर एक बार में पूर्ण वेतन बहाली की मांग नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय, वे चाहते हैं कि सरकार वेतन वृद्धि देना शुरू करे जो कम से कम इन्फ्लैशन रेट के बराबर हो, जो वर्तमान में 11% से थोड़ा ऊपर है। NHS कंसल्टेंटस प्रति वर्ष औसतन £126,000 से अधिक कमाते हैं, जिसमें अतिरिक्त घंटों और प्रदर्शन के लिए अतिरिक्त वेतन भी शामिल है। उन्हें निजी काम के लिए अतिरिक्त भुगतान भी किया जा सकता है – लेकिन सभी ऐसा नहीं करते हैं। इन्फ्लैशन के रीटेल प्राइस इंडेक्स (RPI) माप को ध्यान में रखने के बाद, 2008 से उनका वेतन 27% गिर गया है। ब्रिटेन को ये याद तो दिलाना ही पड़ता है की वो पहले शासक थे अब नहीं, पर वहाँ की सरकार को ये भी बताना होगा की वेतन बढ़ाने के लिए कौन योग्य है 24 घंटे काम करने वाले डॉक्टर की सबको लूटने वाले शासक। ये भी पढ़ें: Sweden में कुरान जलाने की नौबत क्यों आई? https://aayudh.org/quraan-burning-in-sweden/

माँ क्षिप्रा ने किया बाबा महाकाल का अभिषेक

उज्जैन के बाबा महाकाल का अभिषेक करने पहुँची माँ क्षिप्रा.उज्जैन जिले में भारी बारिश के चलते क्षिप्रा नदी उफान पर है. जिसके कारण बाकी शहरों के साथ ही उज्जैन में भी कई चौराहों पर और मुख्य़ मार्ग पर भी पानी भर गया. क्षिप्रा का पानी अब मंदिर परिसर में भी पहुँच गया है. क्षिप्रा नदी उफान पर कल रात उज्जैन सहित कई जिलों में भारी बारिश के चलते क्षिप्रा नदी और गम्भीर डैम उफान पर आ गए.इसके कारण रात को ही डैम का एक गेट खोल दिया गया.जिसके बाद पानी परिसर और रैम्प से होकर नन्दी हॉल में पहुँच गया. रात करीब 10:30 बजे बाबा महाकाल की शयन आरती चल रही थी.उसी दौरान परिसर और रैम्प से होकर पानी नन्दी हॉल में पहुँच गया. जिससे हुआ बाबा महाकाल का अभिषेक .शयन आरती के बाद सभी श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर से बाहर निकाल दिया गया. श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर से बाहर नीकाल ने के बाद मंदिर कर्मचारियों ने पानी निकालना शुरू किया.तेज़ बारिश के चलते कलेक्टर ने भी 22 जुलाई को बच्चों के सरकारी एवं प्रायवेट स्कूलों की छुट्टी कर दी गयी. तेज़ बारिश के चलते सारा शहर जलमग्न हो गया है.साथ ही जितने भी यात्रि उज्जैन आए हैं वह सब भी परेशान हैं.मौसम विभाग का कहना है कि आज भी तेज़ बारिश हो सकती है.

Sweden में कुरान जलाने की नौबत क्यों आई?

“मुझे मुस्लिमों से कोई दिक्कत नहीं, उनकी विचारधारा से है”, कुरान जलाने वाले मोमिका ने कहा। स्वीडेन: “मुझे मुस्लिमों से कोई दिक्कत नहीं, उनकी विचारधारा से है”, ऐसा कहना है 37 साल के सलवान मोमिका का, जो की खुद स्वीडेन में रह रहे एक इराकी शरणार्थी है। इस साल 28 जून, इस्लाम के बड़े त्योहारों मे से एक, बकरीद के दिन इसने स्वीडेन की राजधानी स्टॉकहोम के सबसे बड़े मस्जिद के सामने इस्लाम का पवित्र किताब, कुरान के कुछ पन्ने जला दिए थे। स्वीडिश पुलिस ने ‘Freedom of Speech’ कानूनों के अनुसार, मोमिका को विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी थी। लेकिन बाद में पुलिस ने कहा कि नफरत फैलाने के लिए घटना की जांच की जा रही है। मुसलमान कुरान को ईश्वर का पवित्र शब्द मानते हैं और इसके प्रति किसी भी जानबूझकर क्षति या अनादर को बेहद अपमानजनक मानते हैं। मुस्लिम देशों ने क्या कहा? इस घटना से नाटो के सदस्य तुर्कीये सहित अन्य मुस्लिम-बहुल देशों में भी गुस्सा फैल गया।   तुर्कीये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा: “हम अंततः अहंकारी पश्चिमी लोगों को सिखाएंगे कि मुसलमानों का अपमान करना विचार की स्वतंत्रता नहीं है।” इराक, ईरान, सऊदी अरब और मिस्र सहित मध्य पूर्वी देशों ने इस आगजनी की कड़ी आलोचना की। मोरक्को और जॉर्डन ने स्टॉकहोम से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है और मोरक्को ने रबात में स्वीडन के प्रभारी डी’एफ़ेयर को भी तलब किया है। पाकिस्तान मे भारी रैलियाँ भी निकाली गई। कई देशों मे तो स्वीडिश एमबस्सी पर हमले भी किए गए। इराक के बग़दाद मे 20 जुलाई को स्वीडिश एम्बसी पर हमले के जवाब में फिर से स्टॉकहोम मे इराक़ी दूतावास के सामने मोमिका ने इराक़ी झंडे और कुरान को जमीन पर फेंक कर पैर से मारा। पहले भी कुरान जलाने की कोशिश हुई थी? फरवरी में, मोमिका ने स्टॉकहोम में इराकी दूतावास के सामने कुरान जलाने की अनुमति मांगी, जबकि एक अन्य व्यक्ति ने तुर्किये के स्टॉकहोम दूतावास के सामने कुरान जलाने की अनुमति मांगी। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया, लेकिन दोनों पुलिस के फैसले को अदालत में ले गए। स्वीडिश प्रशासनिक न्यायालय ने 4 अप्रैल को पुलिस के फैसले को पलट दिया, यह तर्क देते हुए कि “सुरक्षा जोखिम संबंधी चिंताएं” प्रदर्शन के अधिकार को सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं थीं। मामला जब देश की सुप्रीम कोर्ट में गया तो 12 जून को उसने जलाने की इजाजत को बरकरार रखा। 21 जनवरी को, डेनिश-स्वीडिश राजनेता रासमस पलुदान ने स्टॉकहोम में तुर्की दूतावास के सामने कुरान की एक प्रति जलायी थी। भारी पुलिस सुरक्षा के बीच हुई कार्रवाई के दौरान किसी को भी पलुदान के पास आने की अनुमति नहीं दी गई थी। स्वीडन के प्रधान मंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने कहा कि कुरान जलाना “कानूनी लेकिन उचित नहीं” था। पर सवाल ये है की ‘Freedom of Expression’ के अंदर किसी की धार्मिक भावना को आहत करना कितना सही है? ये भी पढ़ें: क्या अमेरिका में चुनाव एक कारोबार बन गया है? https://aayudh.org/america-2020-election-budget/

स्कूल में छात्रा के त्रिपुंड पर मच गया बवाल,स्कूल से निकालने की दी धमकी

मेरठ के एक स्कूल में छात्रा के त्रिपुंड लगाकर आने पर बवाल हो गया.छात्रा के त्रिपुंड को देख प्रिंसिपल ने स्कूल से निकालने की धमकी दी.वह केवल सावन के दौरान स्कूल में त्रिपुंड लगाकर और रुद्राक्ष पहनकर आना चाहती थी. प्रिंसिपल का कहना है कि ऐसा करने से दूसरे धर्म के बच्चों को दिक्कत होगी इसलिए त्रिपुंड लगाकर या रुद्राक्ष पहनकर स्कूल आने की इजाज़त नहीं है. पहले शिक्षक ने डाँटा,फिर प्रिंसिपल ने दी धमकी उत्तरप्रदेश के मेरठ के मोदीपुरम स्थित सुभाष इंटर कॉलेज में त्रिपुंड पर मच गया बवाल.दरअसल स्कूल की 11वी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा त्रिपुंड लगाकर घर से निकलती है.स्कूल पहुँचने पर पहले तो शिक्षक ने डाँटा और फिर प्रिंसिपल ले भी डाँटा. छात्रा सावन के महिने में त्रिपुंड लगाकर साथ ही रुद्राक्ष का ब्रेसलेट पहनकर आना चाहती थी.लेकिन प्रिंसिपल ने उसे स्कूल से निकालने की धमकी दे दी.जिसपर परिजन भी आक्रोश में नजर आरहे हैं. प्रिंसिपल का पक्क्ष प्रिंसिपल ने छात्रा पर आरोप लगाए हैं कि वह स्कूल में लव जिहाद की बात करती है,मुस्लिमों से द्रोह करती है और स्कूल में त्रिपुंड लगाकर आने के मामले पर अड़ी हुई है.अगर उसकी बात मान लेंगे तो दूसरे धर्म के बच्चों को दिक्कत होगी.स्कूल का माहौल भी खराब हो जाएगा . परिजनों का पक्क्ष छात्रा के परिजनों की माने तो उनका कहना है कि प्रिंसिपल ने अभद्र व्यवहार किया साथ ही स्कूल से निकालने की धमकी भी दी.ये भी कहा कि लव जिहाद के बारे में बताना तो अच्छी बात है.