विधानसभा चुनाव से पहले इन नेताओं के लगातार दौरे
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव नज़दीक है.ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेताओं के मध्यप्रदेश दौरे आज से शुरू हो गए है.इन दौरों की श्रंखला में BJP,कांग्रेस सहित सपा भी शामिल होगी. आज ग्वालियर में हुए प्रियंका गाँधी के दौरे से शरुआत हो चुकी है.आने वाले समय में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी,सहित कई बड़े नेता प्रदेश के दौरे पर आने वाले हैं. विधानसभा चुनाव से पहले इन नेताओं के दौरे प्रियंका गाँधी आज कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी ग्वालियर आई.प्रियंका ने ग्वालियर पहुँचते ही पहले रानी लक्ष्मी बाई की समाधी पर पुष्पांजलि दी.जिसके बाद प्रियंका ने जन सभा को संबोधित किया. जेपी नड्डा प्रदेश में 22 जुलाई को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आरहे हैं.जेपी नड्डा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयेंगे.पार्टी अध्यक्ष भोपाल में कोर ग्रुप की बैठक में शामिल होंगे. अमित शाह पार्टी अध्यक्ष के बाद मध्य प्रदेश में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का आगमन होगा.शाह 26 जुलाई को भोपाल आयेंगे.इसके पहले शाह 23 जुलाई या 30 जुलाई को आने वाले थे पर उनकी यात्रा में संसोधन हो गया. गृहमंत्री पार्टी की कोर बैठक लेंगे. बैठक में समितियां बनायीं जाएँगी साथ ही पिछली बैठक में दिए गए टास्क की भी जांच होगी. अखिलेश यादव इन्ही दौरों की श्रंखला में 6 अगस्त को सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी मध्य प्रदेश आयेंगे.बताया जा रहा है कि वह 6 अगस्त को मध्य प्रदेश के ऐसे जिलों में जायेंगे जो उत्तर प्रदेश से लगे हुआ हैं.माना जा रहा है कि वह खजुराहो पहुँच सकते हैं. राहुल गाँधी सपा और भाजपा के साथ कांग्रेस पार्टी के राहुल गाँधी भी मध्य प्रदेश के शहडोल में दौरा करेंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि वह पेशाब कांड पर बात कर जनसभा को संबोधित करेंगे.पार्टी के नेताओं ने राहुल गाँधी के आने की सारी तैयारियां कर ली हैं. मिल्लिकार्जुन खरगे 13 अगस्त को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल्लिकार्जुन खरगे मध्य प्रदेश दौरे पर आयेंगे.खरगे सागर में आने वाले हैं वहीँ खरगे के आने की दूसरे दिन ही सागर में भाजापा ने भी एक बड़ा कार्य क्रम रखा है. प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी 14 अगस्त को bjp ने सागर में संत रविदास मंदिर निर्माण समारोह का आयोजन रखा है.आयोजन में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद रहेंगे.बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम के द्वारा भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जातियों को साधने का प्रयास करेगी.
क्या अमेरिका में चुनाव एक कारोबार बन गया है?
2020 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में चुनाव अभियानों पर लगभग 1440 करोड़ डॉलर खर्च किए गए थे। यह अमेरिकी इतिहास का सबसे महंगा चुनाव प्रचार था। ये 70 देशों के GDP से भी ज्यादा है। अमेरिका: राष्ट्रपति जो बाइडेन की टीम ने नई डेटा निकाली है जिससे ये सामने आया है की 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में बाइडेन ने लगभग 100 करोड़ डॉलर्स उठाए थे और वही ट्रम्प ने 77.5 करोड़ डॉलर्स। इस साल मे अभी तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों मे बाइडेन को 7.7 करोड़ डॉलर्स डोनेशन मे मिले है, ट्रम्प को 3.8 करोड़ डॉलर्स और रॉन डी सैन्टिस को 2 करोड़ डॉलर्स। 2020 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में चुनाव अभियानों मे 2016 के खर्च से दोगुने से भी अधिक है। पर ये पैसे आते कहा से है? 2010 के पहले तक तो इनमे पैसे आम जनता, पोलिटिकल एक्शन कमिटी और खुद सरकार के तरफ से जाता था। पर फिर 21 जनवरी 2010 को, अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने सिटीजन्स यूनाइटेड के पक्ष में 5-4 निर्णय जारी किया, जिसने पहले संशोधन के उल्लंघन के रूप में कॉर्पोरेट खजाने से चुनाव प्रचार मे स्वतंत्र व्यय पर बीसीआरए के प्रतिबंधों को हटा दिया। उनका मानना था की अगर ऐसा नहीं किया जाए तो अभिव्यक्ति की आजादी पूरी तरीके से लागू नहीं होगी। और फिर तब से बड़ी बड़ी कंपनियों द्वारा चुनावों मे पैसे बहाए जाने लगे। अमरीका में चुनाव पर इसका असर ट्रम्प के चुनाव प्रचार में नैशनल राइफल एसोसिएशन (NRA) ने 3 करोड़ डॉलर्स दिए थे। जिसके बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने आते ही ऐसे बदलाव लाए की बंदूक खरीदना आसान हो गया। अमेरिकी बंदूक की बिक्री 2020 में रिकॉर्ड 23 मिलियन तक पहुंच गई जो की 2019 से 65% से ज्यादा थी। और फिर ये 2021 में बढ़ती ही गई। और इसका असर कितना घातक रहा वो बताने की जरूरत भी नहीं है। 2023 मे अब तक 1355 मास शूटिंग के रिपोर्ट दर्ज हो चुके है। 2019 में, अमेरिका में बंदूक से संबंधित मौतों की कुल संख्या 33,599 थी। 2022 में, मौतों की संख्या 31% की वृद्धि बढ़कर 44,290 हो गई। आलोचकों का आरोप है कि “अमेरिकी राजनीतिक अभियानों पर बड़ी धनराशि इस हद तक हावी है जो दशकों में नहीं देखी गई” और “आम अमेरिकियों की आवाज़ को दबा रही है।” ऐसा दावा है की अगले चुनाव के लिए दोगुना पैसा बहाया जाएगा। ऐसा ही रहा तो ना जाने आगे कौन सी कंपनी चुनाव मे पैसे देकर अपने फायदे के नियम बनवाएगी। अब सरकार की नियम से कारोबार नहीं, कारोबारियों से सरकार के नियम बनेंगे। ये भी पढ़ें: मालदीव में मोदी के मुखौटे में India Out के नारे क्यों लग रहे है? https://aayudh.org/india-out-campaign-revived-in-maldives/
ज्ञानवापी मस्जिद पर आया हिन्दुओं के पक्ष में बड़ा फैसला
राम मंदिर की तरह ही ज्ञानवापी मस्जिद में भी ASI सर्वे को मंजूरी मिल गई है.वाराणसी कोर्ट ने मस्जिद परिसर में ASI सर्वे करने की इजाजत दे दी है.ये सर्वे वजुखाने को छोड़ पूरी मस्जिद परिसर में किया जाएगा . आपको बतादे कि लंबे समय से हिंदू पक्ष द्वारा आर्कोलॉजिकल सर्वे की मांग की जा रही थी और वहीं मुस्लिम पक्ष सर्वे करने का विरोध कर रहा था.दरअसल हिंदू पक्ष का मानना है कि मस्जिद के नीचे भगवान विश्वनाथ का मंदिर है . हिंदू पक्ष की ओर से मत रखने वाले वकील का कहना है की उनके मुताबिक लगभग 3से 6 महीने में सर्वे पूरा हो सकता है और इसी के साथ ज्ञानवापी मस्जिद का सच भी सामने आ जाएगा .
वन्दे भारत ट्रेन में बाथरूम जाना पड़ा महंगा,लगा 6000 का चूना
सीधी पेशाब कांड के बाद अब ट्रेन पेशाब कांड सुर्ख़ियों में है.दरअसल एक युवक को वन्दे भारत ट्रेन में बाथरूम जाना भारी पड़ गया.युवक भोपाल के स्टेशन पर खड़ी वन्दे भारत ट्रेन में बाथरूम करने चड़ा . लेकिन वापस आने तक ट्रेन के गेट बंद हो गए थे.बीवी और बच्चे स्टेशन पर बैठे रहे और युवक को ट्रेन के साथ उज्जैन जाना पड़ा.ट्रेन में बिना टिकट पकड़ाए जाने पर जुर्माना लगा और टिकट खरीदनी भी पड़ गई. पेशाब करने गया वन्दे भारत ट्रेन में फसा सिंगरौली के बैढन के रहने वाले 32 साल के अब्दुल कादिर 14 जुलाई को अपनी बीवी और बच्चे के साथ हैदराबाद से सिंगरोली के लिए दक्षिण एक्सप्रेस ट्रेन से रवाना हुए.15 जुलाई शाम करीब 5:30 बजे भोपाल स्टेशन पहुँचे. भोपाल से कादिर दूसरी ट्रेन से सिंगरोली जाने वाले थे.ट्रेन को चलने में काफी समय था.जिसके बाद काफिर बीवी और बच्चे सहित ट्रेन से उतर गए और खाना खाने के लिए जाने लगे. तभी कादिर को पेशाब लगी और वो दूसरे प्लेटफार्म पर खड़ी वन्दे भारत एक्सप्रेस में बाथरूम करने चढ़ गया.पर जब लौटा तो देखा की गेट लग चुके हैं.गेट आटोमेटिक होने के कारण खुले भी नहीं और कादिर फस गया. सिंगरोली की जगह उज्जैन पहुँचा कादिर अलग-अलग बोगियों में मौजूद तीन टीटी, दो महिलाओं और 2 पुरूष पुलिस कर्मियों से मदद मांगी और ट्रेन को रुकवाने के लिए कहा.पर ट्रेन के गेट आटोमेटिक होने के कारण पुरूष पुलिस भी कुछ नहीं कर पाए. कादिर ने कहा कि टीटी ने मेरा 1020 रुपए का टिकट (फाइन के साथ) बनाया गया.कादिर के ना होने पर उसकी बीवी भी ट्रेन पर नहीं छड़ी और इस तरह उनकी अगली ट्रेन भी छूट गयी. कुल 6000 रुपये का लगा चूना पूरे परिवार का सेकंड कोच AC में टिकट था जिसके 4000 रुपये भी डूब गए.स्टेशन पर कादिर के बच्चे को बुखार आ गया जिसके कारण दंपत्ति और परेशान हो गए . फिर कादिर को उजैन से दोबारा भोपाल आना पड़ा.जिसमे उसके 750 रुपये खर्च हुआ.इस तरह कुल मिलाकर कादिर को वन्दे भारत ट्रेन में बाथरूम जाने का लगभग 6000 रुपये का चूना लगा.
मालदीव में मोदी के मुखौटे में India Out के नारे क्यों लग रहे है?
मालदीव में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले है और इसलिए यहाँ “India Out” अभियान चल रहा है। इस साल ईद के दिन से इसकी शुरुआत हुई थी। मालदीव: ये ‘India Out’ अभियान नया नहीं है, आधिकारिक रूप से 2020 से ही ये चालू है। क्या है “India Out” अभियान? 2005 में लोकतांत्रिक संवैधानिक सुधारों के उद्भव और 2008 में मौमून अब्दुल गयूम की चुनावी हार ने चर्चा और असहमति के लिए जगह खोल दी थी। तब से ही मालदीव में भारत विरोधी भावनाओं को कभी-कभार बढ़ावा देने और सहायता के राजनीतिकरण का उदय हुआ। 2013 में चीन का आदमी कहे जाने वाले अब्दुल्ला यामीन के चुनाव के बाद, मालदीव ने चीन के साथ अपनी बातचीत बढ़ा दी और 2014 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना के समर्थन के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्रा का स्वागत किया। जैसे-जैसे घरेलू असहमति और विरोध पर यामीन पर कार्रवाई हुई, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय आलोचना बढ़ती गई, मालदीव के राष्ट्रपति चीन के और करीब आ गए। यामीन पर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिसके वजह से वो 11 साल की सजा भी काट रहा है और 2018 मे राष्ट्रपति पद से हाथ भी धोना पड़ा। 2018 में यामीन की चुनावी हार के बाद ही इस अभियान का ये स्वरूप सामने आया। कैसा रहा है भारत-मालदीव का रिश्ता? भारत और मालदीव के बीच पिछले छह दशकों से राजनयिक, रक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध साझा हैं। हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति में स्थित, मालदीव हिंद महासागर और उसके पड़ोस के लिए भारत की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। अपनी ओर से, मालदीव को भारत की आर्थिक सहायता और शुद्ध सुरक्षा प्रावधान से लाभ मिलता है। हालाँकि, 2013 में यामीन के सत्ता में आने के साथ, लोकतंत्र पर उनके सख्त रुख, चीन के प्रति निकटता और राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भारत विरोधी बयानबाजी के कारण भारत-मालदीव संबंधों में गिरावट आई। 2018 में एक नए राष्ट्रपति, इब्राहिम सोलिह को चुना गया, जिन्होंने तुरंत ‘India First’ नीति शुरू करके रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए काम किया। नीति में आर्थिक और रक्षा साझेदारी के लिए भारत को प्राथमिकता दी गई, और मालदीव में चीनी निवेश और गतिविधियों से उत्पन्न भारतीय चिंताओं के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखाई गई। पर अब फिर से चुनाव आ रहे है और यमीन को लगता है की भारत को मुद्दा बनाकर वो लोगों की समस्या हल कर पाएगा पर वो लोग मालदीव के है की चीन के वो तो वक्त ही बताएगा। ये भी पढ़ें: क्या Seema Haider के वजह से हो रहे है पाकिस्तान में मंदिरों पर हमले? https://aayudh.org/seema-haider-behind-temple-attack-in-pakistan/