झाबुआ डिप्टी कलेक्टर ने की आदिवासी छात्रा से छेड़खानी,निलंबित कर हुई जेल

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के डिप्टी कलेक्टर सुनील कुमार झा को आदिवासी छात्रा से छेड़खानी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. SDM पर आरोप हैं कि छात्रावास निरक्षण के दौरान उन्होंने आदिवासी छात्रा से छेड़खानी की और उसे गलत तरह से छूने की कोशिश की .जिसके बाद आदिवासी छात्रा ने सुनील झा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी. आदिवासी लड़की से छेड़खानी सीधी पेशाब कांड में आदिवासी युवक के साथ आमानवीय व्यवहार के बाद .अब झाबुआ में भी सोमवार शाम को आदिवासी छात्रा से छेड़खानी का मामला सामने आया .जिसका आरोपी क्षेत्र का SDM है . प्रदेश के झाबुआ जिले के बेलगाम प्रशासनिक अधिकारी सुनील झा पर आरोप है .कि SDM जिला मुख्यालय स्थित आदिम जनजाति के सीनियर बालिका छात्रावास में निरक्षण करने पहुंचे .उसी दौरान अधिकारी ने एक छात्रा के साथ छेड़खानी की और उसे बुरी नियत से छूने की कोशिश भी की. SDM को हुई जेल जब छात्रा ने शिकायत की तो कलेक्टर तन्वी हड्डा ने देर शाम इंदौर कमिश्नर को मामले की जानकारी दी. जानकारी मिलने के तुरंत बाद तत्काल प्रभाव से SDM सुनील झा को पद से निलंबित कर दिया गया. साथ ही उन्हें बुरहापुर अटेच के आदेश दे दिए गए . मामले के जानकारी मिलने पर पुलिस ने भी मंगलवार सुबह ही आरोपी सुनील झा के खिलाफ छेड़खानी करने .और,पोस्को एक्ट समेत कई धाराओं सहित कोतवाली थाना क्षेत्र में मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया.पुलिस ने विवेचना शुरू करने के पहले आरोपी को जिला एवं सत्र न्यायलय में पेश कर जेल भेज दिया है.
रतलाम जिले के मदरसे में हुई मासूम के साथ बेरहमी

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के अंतर्गत बिरियाखेढ़ी के दारुल उलूम गोसिया मदरसे में नाबालिग को बेरहमी से पीटने का मामला सामने आया.मदरसे में पढ़ाने वाले एक शिक्षक ने मासूम बच्चे की बुरी तरह पिटाई की ,जिसके कारण उसके पूरे शरीर पर ज़क्म दिखाई दे रहे थे. बाद में परिजनों ने बेटे के शरीर पर निशान देख मदरसे के मौलाना और शिक्षक को खरी खोटी सुनाई. मदरसे में बच्चे के साथ बेरहमी प्रदेश के रतलाम जिले में गरीब नवाज मदरसे के शिक्षक ने मासूम बच्चे को बेरहमी से पीटा जिसके बाद आरोपी हाफिज तौफीक खान के खिलाफ जुवयिनल जस्टिस एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया है.बताया जा रहा है कि बच्चा मंदसौर जिले का रहने वाला है .जब बच्चे के परिजनों ने अपने मासूम बच्चे की हालत देखी तो वह मदरसे के मौलवी पर अपना आक्रोश प्रकट करने लगे. आपको बता दे कि घटना के बाद परिजन अपने बच्चे को वापस ले गए. लेकिन परिजनों ने पुलिस से शिकायत नही करी लेकिन विडियो वायरल होने के कारण खबर पुलिस को पता चली तो पुलिस ने मामला अपने संज्ञान में ले लिया है. शिक्षक को किया मदरसे से बेदखल मदरसे के एक मौलाना हाफिज मोहोम्मद रफीक ने बताया कि जिस शिक्षक ने बालक को बेरहमी से मारा है वो 20 दिन पहले ही आया है और हमने इससे बच्चों के साथ मारपीट करने को मना किया. घटना के बाद कथित शिक्षक को मदरसे से निकाल दिया गया सूत्रों के मुताबिक मदरसा बिना अनुमति के चलाया जा रहा है साथ ही ये भी पता चला की जिस जमीन पर मदरसा बना है वह अतिक्रमण में आती है और मदरसा बोर्ड में भी इसका पंजीयन नहीं है. हालांकि अभी इन सभी की पुष्टि नहीं हुई है ये जांच के विषय हैं. ये भी पढ़ें – MP में भी सामने आया UP की ज्योति मौर्य जैसा मामला https://aayudh.org/jyoti-mauryas-case-is-repeated-in-mp/
PayTM के फाउन्डर विजय शेखर OpenAI से क्यों चिंतित है?

ChatGPT निर्माता, OpenAI ने अपने नए ब्लॉग पोस्ट मे बताया है की “Superintelligence” इसी दसक में आ सकती है। भारत: PayTM के फाउन्डर विजय शेखर शर्मा ने अत्यधिक एडवांस्ड AI सिस्टम के विकास के कारण संभावित अशक्तिकरण और यहां तक कि मानवता के विलुप्त होने के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने ओपनएआई के हालिया ब्लॉग पोस्ट का हवाला देते हुए एक ट्वीट में अपनी चिंताएं साझा कीं। क्या था OpenAI के ब्लॉग पोस्ट में? दरअसल OpenAI की एक नई ब्लॉग पोस्ट आई है जिसका शीर्षक है “Introducing Superalignment”। इसमे उन्होंने ये बताया है की सुपरिन्टेलिजेंस जिसका मतलब है एक काल्पनिक एजेंट जिसके पास सबसे प्रतिभाशाली मानव दिमागों से कहीं अधिक बुद्धि होती है। पहले ये काल्पनिक लगता था पर इस पोस्ट के अनुसार कुछ 7 सालों मे ऐसा मुमकिन हो सकता है। अभी AI को और भी वैज्ञानिक और तकनीकी आविष्कारों की जरूरत है जिससे वो इंसानी दिमाग से भी आगे बढ़ जाए। OpenAI इसमे महत्वपूर्ण कंप्यूटिंग शक्ति समर्पित कर रहा है और इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए इल्या सुतस्केवर और जान लेइक के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर रहा है। पोस्ट मे भी डाला गया है की सुपरइंटेलिजेंस से जुड़े जोखिमों के प्रबंधन के लिए नए शासन संस्थानों और एआई सिस्टम को मानवीय इरादे से संरेखित करने की चुनौती को हल करने की आवश्यकता है। इसी पर विजय शेखर ने चिंता जताते हुए कहा की वो सच मे भयभीत है ये देखकर की कुछ लोगों और देशों के पास इस क्षेत्र मे पहले से ही कितनी ज्यादा शक्तियां आ गई है। OpenAI आगे क्या करने वाला है? ओपनएआई के दृष्टिकोण में एक स्वचालित संरेखण शोधकर्ता का निर्माण शामिल है जो मोटे तौर पर मानव-स्तर की बुद्धिमत्ता पर काम करता है। OpenAI स्वीकार करता है कि उनकी अनुसंधान प्राथमिकताएँ विकसित होंगी, और वे भविष्य में अपने रोडमैप के बारे में अधिक विवरण साझा करने की योजना बना रहे हैं। वे अधीक्षण संरेखण की समस्या पर काम करने के लिए शीर्ष मशीन लर्निंग शोधकर्ताओं और इंजीनियरों की एक टीम को इकट्ठा कर रहे हैं। Read about: डागु ग्लेशियर को सूर्य किरण से बचाने के लिए क्या कर रहे है चीनी? https://aayudh.org/chinese-saving-melting-dagu-glacier/
डागु ग्लेशियर को पिघलने से बचाने के लिए चीनी ऐसा क्या कर रहे है?

चीन मे स्थित डागु ग्लेशियर को पिघलने से बचाने के लिए चीन के कुछ शोधकर्ता उसपर एक ऐसी डिजाइन की हुई चादर डाल रहे है जिस से सूर्य की 50 से 70 प्रतिशत किरणें वापस आसमान मे रिफ्लेक्ट हो जाएंगी। Read in depth: https://www.scmp.com/business/article/3226846/climate-scientists-cover-sichuans-dagu-glaciers-tencent-sponsored-hi-tech-blanket-impede-their-melt कई सालों से डागु के आस पास हज़ारों लोग रह रहे है जिनको इस से पानी और हाइड्रो पावर के रूप मे बिजली मिलती है। इसकी खूबसूरती देखने के लिए सालाना 2 लाख के करीब पर्यटक आते है और इस से करीबन 2000 लोगों की नौकरियां जुड़ी है। अब पृथ्वी के गर्म होने से यह सब ख़तरे में है। तिब्बती पठार में ऐसे प्रयोग हजारों नौकरियों को संरक्षित करने में मदद कर सकता है। इसलिए ये कदम उठाए जा रहे है। इन चीनी शोधकर्ताओं का कहना है की इसे बस छोटे जगहों पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए जून मे डागु के 400sq मीटर पर ये परीक्षण के तौर पर किया गया था। डागु ग्लेशियर से पहले कहाँ किया जा चूका है ऐसा? ग्लेशियरों को परावर्तक सामग्री की चादरों से ढंकना कोई नया विचार नहीं है। यूरोपीय स्की रिसॉर्ट लगभग दो दशकों से अपनी बर्फ की सुरक्षा के लिए सफेद कंबल का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन चीन ने अभी इस दृष्टिकोण का प्रयोग शुरू ही किया है। अब आगे क्या हो सकता है? ये वैज्ञानिकों की टीम अब एक नई सामग्री का परीक्षण कर रही है जो उनके शोध से पता चलता है कि इसमें 93% से अधिक सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट करने की क्षमता है और डागु को सक्रिय रूप से गर्मी खोने में मदद मिलेगी। पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए, फिल्म सेलूलोज़ एसीटेट और पौधों से बने प्राकृतिक फाइबर से बनाई गई है। इस पदार्थ का उपयोग कम पहुंच वाले ग्लेशियरों पर ड्रोन द्वारा जमा किए गए छोटे कणों के रूप में भी किया जा सकता है। जानकारों का कहना है की ऐसा करना ठीक वैसा ही है जैसे बेहद बुरे बीमारी से जूझ रहे मरीज़ को कुछ और वर्ष देना। एकमात्र वास्तविक इलाज है ग्रह-वार्मिंग कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में भारी कटौती करना, जिसका चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्रोत है। Read about: कनाडा मे खालिस्तानी पर Trudeau https://aayudh.org/trudeau-on-khalistani/
UP की ज्योति मौर्य जैसी कहानी अब MP में भी आई सामने,पति निकला बेबफा

उत्तर प्रदेश की SDM ज्योति मौर्य का मामला देश भर में चर्चित हो रहा है ऐसे में मध्य प्रदेश के देवास से भी हूबहू ज्योति मौर्य जैसा ही एक मामला सामने आया है बस फर्क सिर्फ इतना है कि ज्योति मौर्य केस में पति ने पत्नी को पढ़ाया और अफसर बनने पर पत्नी ने पति को ठुकराया वहीँ देवास के मामले में एक पत्नी ने अपने पति को पढ़ाया और अफसर बनने पर उसे छोड़कर चला गया. पति को पढ़ाने मांजती थी बर्तन दरअसल प्रदेश के देवास की रहने वाली ममता नाम की एक युवती ने बताया कि उसकी शादी 2015 में कमरू नाम के एक युवक से हुई.कमरू अफसर बनना चाहता था तो ममता ने दिन रात मेहनत कर दूसरों के घर के बर्तन मांजे और कमरू को अफसर बनाया. ममता ने कमरू पर आरोप लगाया है कि कमरू ने उसे धोखा दिया है ,कमरू ने अफसर बनने के बाद किसी और महिला के साथ अवैध संबंध बनाये और जब इसका पता ममता को चला तो उसने कमरू का विरोध किया जिसके बाद उसने ममता को परेशान करना शुरू कर दिया. ममता पति की हर प्रकार की प्रताड़ना सहती रही पर उसे छोड़कर नहीं गयी. कमरू ने किया ममता को रखने से इनकार ममता से पीछा छुड़ाने के लिए अब कमरू ने उससे झूठ बोला कि वो प्लाट लेने की सोच रहा है जिसकी बात करने के लिए ममता को अपने मायके जाना पड़ा. ममता को बातों में फसकर मायके भेजकर कमरू रतलाम के मकान पर ताला डाल अपने घर चला गया और जब ममता ने बात करने की कोशिश कि तो उसने ममता को रखने से इनकार कर दिया साथ ही उसे अनपढ़ गवार और बर्तन मांजने वाली भी कहा. SDOP ने करी ममता की मदद ममता के लाख कहने पर भी कमरू उसे स्वीकारने को तैयार नहीं हुआ तो ममता ने SDOP के घर काम किया. SDOP ने ममता की मदद करने एक आवेदन पत्र लिख वाया जिसके बाद उन्होंने कमरू को भी बुलवाकर समझाया और SDOP की समझाईश पर कमरू ने जिंदिगी भर ममता को रखने का वादा किया पर महज 4 महीने बाद ही वो दोबारा ममता को छोड़कर चला गया. नहीं मिलती भरणपोषण की राशी ममता के फ़ोन करने कमरू ने कहा कि अगर ममता उसके घर आई तो वो उसे मरवा देगा .जिसके बाद से ये केस कोर्ट में चल रहा है और कोर्ट के कहने के बावजूद भी अभी तक कमरू ममता के भरणपोषण के लिए पैसा नहीं देता है.तभी से ममता कोर्ट से न्याय दिलाने ली गुहार लगा रही है.