मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के रहने वाले देवेंद्र सिंह रावत नामक एक राम के योध्दा ने बाबरी विध्वंस के समय हुए अपने अनुभव को आयुध मीडिया की टीम के साथ सांझा किया। जिसे सुनकर हर राम भक्त की आँखे भर उठेंगी।
मुस्लिम परिवार को दी अपने परिवार की जिम्मेदारी
देवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जब उन्होंने अयोध्या में होने वाली कारसेवा में जाने का मन बनाया। उस वक्त उनके ही पड़ोस में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार को राम के योध्दा ने जिम्मेदारी दी कि उनके जाने के बाद वह परिवार की सुरक्षा करें। जिसपर मुस्लिम परिवार ने भी अपने परिवार की तरह ही राम भक्त के परिवार की सुरक्षा की।
इस तरह अयोध्या पहुँचे राम के योध्दा
जब देवेंद्र अयोध्या के लिए निकले तो उन्हें एक साधु मिले जिन्होंने राम के योध्दा को अपने साथ रख रख लिया। लखलऊ में उन्हें रोक लिया गया तब साधु महाराज ने बताया कि देवेंद्र उनके शिष्य हैं। साधु ने कई बार उन्हें अयोध्या में हुई गोली बारी आदि से भी बचाया। बतादें कि उस वक्त कोई बस आदि यातायात के साधन बंद थे और ट्रेनों में लोगों का सैलाब। ऐसी स्थिती में वह ट्रेन की छत पर चढ़कर अयोध्या पहुँचे।
बाबरी मस्जिद की गुम्मद पर चढ़कर तोड़ा ढांचा
देवेंद्र ने सभी कारसेवकों के साथ मिलकर बाबरी मस्जिद की पहली गुम्मद पर चढ़कर उसपर भगवा तिरंगा लहराया और हथोड़ा इत्यादी के सहारे पहली गुम्मद को तोड़ दिया। फिर दूसरी गुम्मद को तोड़ा और जब तीसरी गुमम्द की बारी आई तो वह उसे तोड़ते तोड़ते उसके ही ढांचे का साथ नीचे गिर गए। हॉस्पिटल में कुछ दिन रहने का बाद उन्हें होश आया पर ऐसी ही हालत में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिय।
राम के योध्दा को इस नेता ने किया परेशान
देवेंद्र बताते हैं कि उस वक्त उत्तर भोपाल के एक विधायक आतिफ अकील ने ऐलान किया था कि जो भी कारसेवक भोपाल पहुँचेगा हम उसका सर कलम कर देंगे। लेकिन शहर के हिंदूवादी संगठनों ने सभी कारसेवकों को एक आंच तक नहीं आने दी। हालांकि विधायक और मौजूदा मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनपर 44 से ज्यादा केस दर्ज कर उन्हें परेशान करने की कोशिश की। राम के याध्दा देवेंद्र सिंह रावत 22 जनवरी को होने वाली राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को अपना सबसे बड़ा सपना मानते हैं।
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