हर घर तिरंगा होना,
देश की शान है।
मेरी माटी पर मर मिटना
मेरा सौभाग्य है।
देश आजादी 77वां जश्न मनाने के लिए सभी तैयार हैं. हर देशवासी का दिल देश प्रेम और आजादी के गौरव को अनुभव करने के लिए उत्सुक है. आजादी के जश्न में इस साल भी हर घर तिरंगा अभियान की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है. लेकिन इस वर्ष एक नए अभियान ने लोगों के अंदर अपने देश के माटी से प्रेम को और भी चार चांद लगा दिया है.
इस वर्ष 30 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में “मेरी माटी मेरा देश” अभियान की घोषणा की थी. इस अभियान की आधिकारिक लॉन्चिंग 9 अगस्त को हुई। यह अभियान 30 अगस्त तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य वीर जवानों और देश के लिए शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान और आदर का भाव जागृत करना है.
देश के लिए अपने गौरव को प्रदर्शित करने के लिए कोई तिरंगे का सहारा लेता है तो कोई केसरिया, सफेद और हरे रंग के साफे को पहनकर देश प्रेम जाहिर करता है.

घर की छत हो, या कोई सरकारी इमारत या फिर स्कूल और कालेज. हर जगह एक चीज सामान्य होती है और वो होता है देश का तिरंगा.
पर क्या आपको पता है इस तिरंगे का सबसे सटीक और सही पैमाने जैसे लंबाई, चौड़ाई का पूरी तरह ध्यान रखते हुए बनाने वाली संस्था मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है. जी हां संस्था का नाम है “मध्य भारत खादी संघ” जहां तिरंगे का निर्माण भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित राष्ट्र ध्वज बनाए जाते हैं.
सीहोर से तिरंगे के कपड़े बनाने के लिए मंगाया जाता है सूत:
यहां पर तिरंगे का निर्माण बहुत ही विधि विधान के साथ किया जाता है. यहां तिरंगे के निर्माण के लिए कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंगों का सही चुनाव जैसे मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता है. सबसे पहले तिरंगे के धागे का निर्माण किया जाता है. लैब में सारे मानकों को पास करने के बाद ही तिरंगे के निर्माण का कार्य आगे बढ़ाया जाता है. तिरंगे की क्वालिटी को बनाए रखने के लिए सिर्फ प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग किया जाता है. मध्य सीहोर से कपास मंगाया जाता है। इसके बाद सूत से कपड़ा बनाया जाता है. केसरिया, सफेद और हरे रंग की ड्राइंग बनाई जाती है. अशोक चक्र का निर्माण राष्ट्रीय ध्वज के लंबाई के हिसाब से की जाती है.
90 फीसदी महिलाएं करती हैं तिरंगे का निर्माण:
इस संस्था में सबसे ज्यादा मात्रा में महिलाएं तिरंगे का निर्माण कर रही हैं. महिलाएं कहती हैं की उन्हें देश के तिरंगे का निर्माण करके बहुत खुशी मिलती है और वो खुद को गौरवान्वित महसूस करती है. बता दें की यहां बनाए जाने वाले तिरंगों की डिमांड पूरे देश के अलग अलग जिलों में हैं. यहां 2×3, 3×4.5, और 6×4.5 साइज में बनाए जाते हैं। 6:4 के तिरंगे को सिलाई करने में 1 घंटे का समय लग जाता है.
मध्य भारत खादी संघ का इतिहास:
सन 1925 में मध्य भारत खादी संघ की स्थापना हुई थी. 1956 में संस्थान को आयोग का दर्जा मिला. 2016 से यहां तिरंगों का निर्माण आईएसआई मानकों को ध्यान में रखकर किया जाता है. यह भारत की पहली ऐसी संस्था है जो आईएसआई से सर्टिफाइड तिरंगों का निर्माण करती है. यहां से तिरंगों को अलग अलग सरकारी आवासों पर गौरव के साथ फहराए जाते हैं।
इस स्वतंत्रता दिवस के लिए 14,300 राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर चुका है. पिछले वर्ष 2022 को 1-2 करोड़ रूपए तक के तिरंगों का निर्माण किया गया था. इस वर्ष 22 राज्यों में तिरंगों का सप्लाई किया जायेगा. इस साल संस्थान को 55 हजार तिरंगा बनाने का ऑर्डर दिया गया है. पूरे देश भर में अलग अलग राज्यों में ग्वालियर में बनाए जाने वाले तिरंगे को फहराकर कल देश आजादी का जश्न मनाएगा.