मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर बिसात बिछ चुकी है। राजनितिक दलों ने कमर कस ली है और ज़ोर – आज़माइश शुरू करदी है। चुनावी मैदान में जहां बीजेपी के विपक्ष में कांग्रेस ही जूझ रही थी तो वहीं अब आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी अपनी सियासी जमीन तलाश रही हैं। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख राजनीतिक दल है जो लगातार तीन दशक से मध्य प्रदेश में अपने आपको मजबूत करने और पार्टी के विस्तार में लगे हुए हैं।
समाजवादी पार्टी भी मध्य प्रदेश के मैदान में सक्रीय
मध्य प्रदेश में आचार संहिता लगने से पहले जहां बीजेपी ने जन आशीर्वाद यात्रा निकाली ,कांग्रेस जन आक्रोश यात्रा निकाल रही दोनों दल प्रचार प्रसार कर रहे तो वहीँ अब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मध्य प्रदेश के मैदान में सक्रीय हो गए है। अखिलेश ने कुछ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा तो करदी है। अखिलेश यादव खुद चुनाव प्रचार में उतर गए है और बुधवार को दो दिन के दौरे के लिए मध्य प्रदेश पहुंचे है। एम.पी. में चुनावी शंखनाद करते हुए अखिलेश ने 20 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देंगे।
बसपा 1990 से और सपा 1998 से मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में ताल ठोंक रहे हैं। दोनों ही पार्टियों को इक्का-दुक्का सीट जीतने का इतिहास रहा है। दोनों ही पार्टियों का थोड़ा बहुत प्रभाव यूपी से सटे इलाकों में है। मध्य प्रदेश के रीवा, सिंगरौली, छतरपुर, भिंड और मुरैना जैसे जिलों में दोनों दल वोटरों को प्रभावित करते रहे हैं।
पिछले चुनाव में बसपा और सपा का हाल
पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में सपा ने 52 सीटों पर लड़ी 1.30% वोट शेयर के साथ एक सीट जीती। वहीं बसपा 227 सीट पर लड़ी और 5.01% वोट शेयर के साथ दो सीट जीती। अगर पिछले 2019 लोकसभा चुनावों की बात करें तो मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी सिर्फ दो सीटों पर लड़ी थी। एक भी सीट नहीं जीत पायी और मात्र 0.22% वोट शेयर था। जबकि बसपा 25 सीटों पर लड़ी थी और बसपा को भी 2.38% वोट प्रतिशत के साथ ज़ीरो सीट मिली थी।
सपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2003 में रहा है। इस चुनाव में सपा 161 सीटों पर लड़ी थी जिसमें सात सीटों पर जीत हासिल की थी। सपा का कुल वोट शेयर 5.26 % था. 2003 में बसपा 157 सीट पर लड़ी थी, जिसमें 10.61% वोट शेयर के साथ दो सीटों पर जीत मिली थी।